गौरतलब हो कि योगम केरल के इझावा समुदाय का संगठन है। इझावा प्रदेश की सबसे अधिक आबादी वाली जाति है। श्री नारायण गुरू इसी जाति में पैदा हुए थे।

आगामी नवंबर महीने में स्थानीय निकायों के चुनाव होने वाले हैं। उन चुनावों मंे उम्मीदवारों को तय करने का काम राजनैतिक दलों ने शुरू कर दिया है। भाजपा और योगम वो चुनाव मिलकर लड़ने वाले हैं और उन्होंने आपस में सीटों के गठबंधन की बातचीत शुरू भी कर दी है। भाजपा नेताओं को लगता है कि इस गठबंधन की सहायता से वह प्रदेश में तीसरे मोर्चे के गठन में सफल हो जाएगी। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को इस बात को लेकर भी खुशी हो रही है कि उन्होंने प्रदेश में हिन्दू एकता के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। उसे लगता है कि प्रदेश के दोनों बड़े गठबंधनों की सरकारों के दौरान हिन्दुओं की भारी उपेक्षा हुई है और उसका लाभ उठाकर वह खुद प्रदेश में एक बड़ी ताकत बन सकती है।

लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि दोनों के बीच गठबंधन होने के बाद भारतीय जनता पार्टी के अंदर जो उत्सव का माहौल है, वह कबतक बना रह पाएगा? जमीनी स्तर पर स्थितियां कुछ और हैं।

भारतीय जनता पार्टी के राजनैतिक खेल पर लोगों के विचार अलग अलग हैं। कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो मानते हैं कि इस गठबंधन के बहुत ही अंतर्विरोध हैं और उनके बोझ के नीचे यह गठबंधन जमींदोज हो सकता है। उनका कहना है कि योगम और भाजपा के दर्शन अलग अलग हैं। इसके कारण दोनों की दोस्ती लंबे समय रहे, इसकी संभावना बहुत ही कम है।

उदाहरण के लिए योगम जाति आधारित आरक्षण की कट्टर समर्थक है। दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरक्षण का विरोधी है। यह आरक्षण समाप्त करना चाहता है और इसके जारी रखे जाने की समीक्षा करने का हिमायती है। यह सच है कि प्रधानमंत्री ने योगम के नेताओं को यह भरोसा दिलाया है कि आरक्षण को जारी रखा जाएगा। लेकिन यह आश्वासन विश्वास करने लायक नहीं है। भाजपा केरल में अपने आपको मजबूत करना चाहती है और इसके कारण ही वह इस प्रकार का आश्वासन दे रही है।

इसके अलावा श्री नारायणा गुरू का दर्शन आरएसएस के दर्शन से अलग है। गुरू का दर्शन सर्वसमावेशी है और मानवतावादी की वकालत करता है, जबकि संघ का दर्शन बहुसंख्यकवादी है। गुरू जातिवादी के विरोधी थे और समाज में किसी जाति और धर्म के वर्चस्व के खिलाफ थे। लेकिन संघ की सोच कुछ और है। संघ उच्च जातियों की श्रेष्ठता का हिमायती है और प्रखर हिन्दुत्व को बढ़ावा देता है।

सीपीएम से इझावा लोग भारी संख्या में भाजपा की ओर जा रहे हैं। इसके कारण सीपीएम की हालत दयनीय हो रही है, लेकिन वह संघ और योगम के दर्शनों के इस अंतर के कारण राहत की सांस भी ले रही है और उसे लगता है कि यह दोस्ती जल्द ही खत्म हो जाएगी। (संवाद)