नौ मई 2008 को शुरू हुई इस योजना के उद्देश्यों में निचले स्तर पर खेल गतिविधियों के आयोजन से खेलों को व्यापक आधार प्रदान करना, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में उत्कृष्टता को बढा़वा देना और ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों के विकास पर जोर देकर खेलों को लोकव्यापी स्वरूप प्रदान करना शामिल है। इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिये पंचायत स्तर पर खेलों का बुनियादी ढांचा तैयार करना और विकास खंड एवं जिला स्तर पर खेलों की वार्षिक प्रतियोगिताएं आयोजित करना इस योजना के अहम हिस्से हैं।

इन उद्देश्यों की पैरवी मानव संसाधन विकास की संसद की स्थायी समिति ने अपनी 34वीं रिपोर्ट में भी की है, जिसमें कहा गया है कि सरकार को चरणबद्ध रूप से खेलों के विकास की योजना बनानी चाहिए ताकि एक निश्चित समय में आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार किया जा सके। दसवीं पंचवर्षीय योजना तैयार करने के लिये बड़े खेलों और युवा मामलों के कार्यकारी समूह ने भी इस पहलू पर रोशनी डाली थी अपनी रिपोर्ट में कार्यकारी समूह ने महसूस किया कि देश भर में फौरन खेलों को बुनियादी ढांचों का संजाल खड़ा करने की जरूरत है। यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि ये सुविधायें सभी इच्छुक लोगों को आसानी से सुलभ हों ताकि अधिकाधिक लोग खेलों में भाग ले सकें। ऐसा होने पर ही प्रतिभाओं का आधार व्यापक आकार लेगा।

मार्ग चित्र

पीवाईकेकेए योजना देश की सभी ग्राम एवं ब्लॉक पंचायतों और उसकी समकक्ष इकाइयों में लागू होगी। देश में कुल 607 जिले हैं, 6373 ब्लाक पंचायतें और 2,50,000 ग्राम पंचायतें हैं। छोटी-छोटी पंचायतें होने की स्थिति में 2-3 पंचायतों को मिलाकर एक संकुल (क्लस्टर) बनाया जाएगा। संकुल की सम्मिलित जनसंख्या 4600 के राष्ट्रीय औसत के आसपास होनी चाहिये। वर्ष 2008-09 से शुरू होकर यह योजना 10 वर्ष के लिये होगी और ग्यारहवीं तथा बारहवीं योजना में इस पर चरणबद्ध रूप से अमल किया जाएगा। प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत गांवों में ये कार्यक्रम शुरू किये जाएंगे। प्रयास रहेगा कि 2016-17 तक सभी गांव अथवा ब्लाक पंचायतों में पीवाईकेकेए योजना लागू हो सके। ग्राम अथवा ब्लाक पंचायत स्तर पर इन कार्यक्रमों का क्रियान्वयन नेहरू युवक केन्द्र के खेलयुवा क्लब, राज्य के खेलयुवा क्लब, युवाखेल गतिविधियों से जुड़े अन्य गैर सरकारी संगठनों, स्व-सहायता समूहोंपंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से किया जाएगा।

ग्रामब्लाक पंचायतों के खेलों का बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिये वित्तीय सहायता दी जाएगी। खेल सामग्री उपकरण और अन्य आवश्यक साजो-सामान के लिये भी वित्तीय सहायता दी जाएगी। ये सहायता पांच वर्षों की अवधि के लिये दी जाएगी। इसके साथ ही परिचालन संबंधी व्यय, जिसमें खेलों से जुड़े क्रीड़ा श्री (स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं) का मानदेय भी शामिल है, भी पांच वर्षों की अवधि के लिए दिया जाएगा। प्रत्येक ब्लाक और जिले को वार्षिक प्रतियोगिताओं में पहला तीन स्थान पाने वाले पंचायत को दिये जाने वाले पुरस्कार की 100 प्रतिशत राशि भी केन्द्रीय अनुदान से ही दी जाएगी। इसी प्रकार, जिला स्तरीय प्रतेयोगिताओं में प्रथम तीन ब्लाक पंचायतों का पुरस्कार भी शत-प्रतिशत केन्द्रीय अनुदान से दिये जाएंगे।

वित्तीय और भौतिक प्रगति

पीवाईकेकेए योजना के तहत पहले वर्ष (2008-09) प्रतिस्पर्धा अनुदान के रूप में राज्योंकेन्द्रशासित प्रदेशों को 92 करोड़ रुपये जारी किये गए थे, जबकि दूसरे वर्ष (2009-10 दिसम्बर 09 तक) 106.56 करोड़ रुपये जारी किये गए हैं। योजना के पहले दो वर्षों (2008-09 और 2009-10 में दिसम्बर 09 तक) में 24,115 ग्राम पंचायतों और 654 ब्लाक पंचायतों को शामिल किया गया।

अपेक्षित परिणाम

· निचले स्तर पर खेलों का आधार व्यापक आकार लेगा।

· ग्रामीण क्षेत्रों के युवा स्वास्थ्य के प्रति सचेत होंगे और सकारात्मक एवं उत्पादक नजरिया अपनायेंगे।

· खेल गतिविधियों में ग्रामीण और शहरी युवाओं के बीच खाई संकरी हो सकेगी।

· ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों के विकास पर बल देने से खेलों का लोकव्यापीकरण होगा।

· स्वदेशी खेलों, मार्शल आर्ट का विकास होगा।

· ग्रामीण युवाओं में एकता की भावना पैदा होने की संभावना है।

· प्रत्येक ग्रामजनपद पंचायत में शारीरिक रूप से चुस्त दुरुस्त लोगों की फौज तैयार हो सकेगी।

· ग्रामीण युवाओं में नेतृत्व,सहनशीलता, टीम भावना, समावेशन आदि गुणों का विकास होगा।

· योजना पर उचित ढंग से अमल होने पर देश के गांवों में 5-10 वर्षों में ही बदलाव दिलाई देने लगेगा।