यह तो सबको पता है कि एक छोटा सा मसला भी बड़े सांप्रदायिक तनाव का कारण बन सकता है। दादरी में एक भीड़ ने 50 साल के एक व्यक्ति को पीट पीट कर मार डाला। अफवाह थी कि वह बीफ खा रहा था। उस घटना ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया है। बिहार में भी वह एक चुनावी मसला बन बया है। उत्तर प्रदेश के 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी गाय का मसला नतीजों को प्रभावित कर सकता है। सबसे अधिक दुर्भाग्य की बात यह है कि सभी किस्म के राजनीतिज्ञ इस मसले को भुनाने में लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी हिन्दु मतों को गोलबंद करने में लगी हुई है, तो तथा कथित सेकुलर पार्टियां मुस्लिम मतों को गोलबंद कर रही हैं। दोनों तरफ के लोग सक्रिय हो गए हैं और उत्तर प्रदेश व अन्य इलाकों की शांति भंग करने में लगे हुए हैं।
देश के अन्य इलाके के नेता भी दादरी की यात्रा करने में लगे हुए हैं। उन्होंने वहां लाइन लगा दी है। वहां जाकर वे उत्तेजक और भड़काउ भाषण दे रहे हैं। पीड़ित परिवार अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने भी दादरी की यात्रा की। यात्रा के लौटने के बाद उन्होंने कहा कि उस घटना से न तो हिन्दुओं को लाभ हो रहा है और न ही मुसलमानों को। उससे सिर्फ राजनीतिज्ञों को लाभ हो रहा है। वैसा कहते समय केजरीवाल भूल गए कि वे खुद भी राजनीतिज्ञ हैं।
जहां तक समाजवादी पार्टी की बात है, तो अखिलेश यादव 2017 की विधानसभा के चुनावों की तैयारी में लग गए हैं। बहुत लोग कहते हैं कि दादरी की घटना तो उस विधानसभा चुनाव का रिहर्सल ही है। इस तरह की घटनाएं भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनो ंको सूट करती हैं। इससे हुए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का फायदा दोनों पार्टियां उठाती हैं।
कहने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कह रहे हैं कि उनकी पार्टी इस तरह की घटनाओ पर राजनीति नहीं किया करती। उनका आरोप है कि उनकी पार्टी के सत्ताा में आने के बाद कुछ शक्तियां अस्थिरता पैदा करने के लिए सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का काम कर रही हैं। अखिलेश यादव पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने का वायदा कर रहे हैं और 40 लाख रुपये मुआवजे की भी उन्होंने घोषणा कर दी है। लेकिन सवाल उठता है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव कहां हैं?
बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी को ही घेरा है। उसका कहना है कि समाजवादी पार्टी की सरकार कानून व्यवस्था स्थापित करने में विफल रही है। मायावती का आरोप हैं कि समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी इस तरह की सांप्रदायिक घटनाओं पर ही फलती फूलती रही हैं। उन्होंने दादरी घटना के लिए दोनों को जिम्मेदार बताया।
भारतीय जनता पार्टी के नेता अलग अलग स्वर में बोल रहे हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस घटना की निंदा की है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार को उस घटना की रिपोर्ट देने को कहा है और उस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करने की सलाह भी दे डाली है। लेकिन संस्कृति मंत्री महेश शर्मा और विधायक संगीत सोम जैसे नेताओं का स्वर कुछ अलग ही है। उधर बिहार के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि यदि सत्ता मिली, तो भारतीय जनता पार्टी बिहार में गौहत्या पर रोक लगा देगी। (संवाद)
गाय की राजनीति बिहार में हावी
विकास का मुद्दा हो गया है बाहर
कल्याणी शंकर - 2015-10-10 10:44
किसी ने यह नहीं सोचा था कि बीफ पर प्रतिबंध लगाने का मसला और आरक्षण बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दे के रूप में हावी हो जाएंगे। लेकिन वहां की राजनैतिक पार्टियां विकास के मुद्दे को भूलकर उनकी ही चर्चा में लगी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार ने भी विकास के मुद्दे को पीछे धकेल दिया है। हिन्दू गाय की पूजा करते हैं। गाया अब बिहार चुनाव का मुख्य मुद्दा बन गई है।