फोतेदार ने एक बातचीत में एक पत्रकार को बताया कि कांग्रेस एक बार फिर अपनी समाप्ति की ओर बढ़ रही है। 16 साल पुरानी स्थिति उसके सामने एक बार फिर पैदा हो गई है। उस समय तो सोनिया गांधी ने आकर उसे बचा लिया, लकिन इस बार इसे बचाने वाला कोई नहीं है।

इसमें कोई शक नहीं कि फोतेदार कांग्रेस के अंदर हाशिए पर खिसका दिए गए हैं और वे हताश हैं, लेकिन इसमे कोई दो मत नहीं कि कांग्रेस नेतृत्व को बैठकर यह सोचना चाहिए कि आखिर इस तरह की बातें क्यों की जा रही है। उसे इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि आखिरकार फोतेदार जैसे लोगों को इस तरह की बात करने का साहस कैसे हो रहा है।

कांग्रेस नेतृत्व को यह भी सोचना चाहिए कि आखिर उस पीढ़ी गत बदलाव करने में इतना संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी में इस काम को बहुत आसानी से अंजाम दिया जा चुका है। नरेन्द्र मोदी की पकड़ न केवल सरकार पर, बल्कि पार्टी पर भी पूरी तरह से बन चुकी है, जबकि राहुल गांधी कांग्रेस के शिखर नेतृत्व पर पहुंचने के लिए अभी भी हाथ पांव मार रहे हैं।

एक समय था, जब नरेन्द्र मोदी राजनैतिक अस्पृश्यता के शिकार थे, लेकिन उन्होंने बेहतर संवाद कला से उसे समाप्त कर दिया है, लेकिन राहुल गांधी ने अपने बोलने के तरीके से बिल्कुल उलटा कर डाला है, जबकि उनके नाम के साथ गांधी सरनेम लगा हुआ है।

पिछले एक साल से सोनिया गांधी ने पार्टी का काम राहुल को सौंप रखा है, लेकिन अभी भी सोनिया कोटरी और राहुल कोटरी के बीच रस्साकशी चल रही है। दोनों एक दूसरे के खिलाफ काम कर रहे हैं। यथा स्थिति गांधी परिवार की संस्कृति है और यही कारण है कि अभी भी उन लोगों को पार्टी से बाहर नहीं किया गया है जिन्होंने पार्टी की नैया डुबोई।

नई पीढ़ी राहुल की टीम में शामिल होने के लिए आतुर है, परन्तु पुरानी पीढ़ी अपने हितों की रक्षा करने के लिए तत्पर है। एक मान्यता यह बन रही है कि राहुल गांधी पार्टी के अंदर के 60 साल से अधिक उम्र के नेताओं को उनके पदों पर रहने देने के खिलाफ हैं। जनार्दन द्विवेदी और जयराम रमेश के बयानों से यह पता चलता है।

2014 में कांग्रेस की अबतक की सबसे शर्मनाक चुनावी हार हुई है, लेकिन इस हार पर चर्चा तक अखिल भारतीय कांग्रेसी कमिटी ने नहीं की है। इसके कारण कांग्रेस के पुराने लोग यह सोच सोच कर परेशान हैं कि पता नहीं पार्टी कौन सी दिशा प्राप्त कर रही है।

इसमें कोई दो मत नहीं हो सकता कि राहुल गांधी को अपनी टीम का चुनाव करना चाहिए, लेकिन सब लोग यही चाहेंगे उस टीम में सही लोग हों। उन्होंने अबतक अपनी टीम में जिन लोगों को चुना है, उनमें से अधिकांश अपने पदो ंके योग्य साबित नहीं हुए हैं। उन्होंने अपनी टीम में मधुसूदन मिस्त्री, संजय निरूपम और मोहन प्रकाश जैसे लोगों को लिया है, जो बिना जड़ के नेता हैं।

कांग्रेस के पुराने नेता इस बात से दुखी हैं कि उनके समर्थकों को दरकिनार किया जा रहा है। यह किसी एक प्रदेश में नहीं हो रहा है, बल्कि सभी प्रदेशों मंे लगभग ऐसा ही हो रहा है। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, हुडा, अजित जोगी और कैप्टन अमरीन्दर सिंह जैसे नेताओं को लग रहा है कि उनके समर्थकों को पार्टी के अंदर हाशिए पर धकेला जा रहा है।

कांग्रेस के अंदर जो कुछ हो रहा है, उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि यह अभी और भी नीचे जाएगी। (संवाद)