पर हाई कोर्ट की एक टिप्पणी और पिछले दिनों स्थानीय निकायों के चुनाव में मिली यूडीएफ को शिकस्त के बाद उन पर इस्तीफे का दबाव और बढ़ गया। उनकी पार्टी के अंदर से भी वह दबाव बढ़ा। और अंत में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना ही पड़ा।
मणि की पार्टी से कुल 9 विधायक चुनाव जीतकर आए थे। उनमें से एक को तो पहले ही पार्टी से बाहर कर दिया गया था। शेष बचे 8 में से 5 पूरी तरह मणि के साथ हैं। तीन विधायक उनके साथ नहीं है। मणि ने अपने इस्तीफे के साथ अपनी पार्टी के एक अन्य मंत्री को भी इस्तीफा देने को कहा था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है कि उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है, इसलिए वे इस्तीफा नहीं देंगे।
इस्तीफा देने से मना करने वाले मंत्री कोई और नहीं हैं, बल्कि जोजफ हैं, जो केरल कांग्रेस (जोजफ) में हुआ करते थे। उस पार्टी का मणि की पार्टी में विलय हो गया था, लेकिन अब संभावना बन रही है कि दोनों पार्टियां अलग अलग रास्ता अपना सकती हैं।
इसी डर से मणि सरकार से बाहर आने के बावजूद सरकार का समर्थन करने की घोषणा कर रहे हैं। उन्हें पता है कि जोजफ गुट के तीन विधायक सरकार से समर्थन वापस लेने के उनके निर्णय के साथ नहीं होंगे। यदि तीन विधायक भी सरकार का समर्थन करती रहती है, तो चांडी सरकार अपना अस्तित्व किसी तरह बचा सकती है, हालांकि उस पर खतरा फिर भी मंडराता रहेगा।
उसका एक कारण यह है कि लेफ्ट पार्टियां आगामी चुनाव में जोजफ गुट के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती हैं। यदि दोनों के बीच रजामंदी बनती है, तो जोजफ गुट भी चांडी सरकार से बाहर आ जाएगा और वह सरकार अल्पमत में आकर गिर जाएगी।
सरकार से बाहर आकर मणि बहुत ही गुस्से में हैं। वे इस्तीफा नहीं देना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसके लिए मजबूर होना पड़ा। कांग्रेस के केरल प्रदेश अध्यक्ष सुधीरन और गृहमंत्री रमेश चेनिंथाला ने कहना शुरू कर दिया था कि यदि सरकार गिर भी जाती है, तब भी वे चाहेंगे कि मणि सरकार से बाहर हो जाएं या कर दिए जाएं।
मणि को इस बात को लेकर भी गुस्सा है कि उनके साथ न्याय नहीं किया गया। घूसखोरी का आरोप उनके अलावा उत्पाद मंत्री के बाबू पर भी लगा था। के बाबू मुख्यमंत्री चांडी के बहुत नजदीक हैं। के बाबू को तो आरोप से बचा लिया गया और उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया गया, जबकि मणि को मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है।
बारों के संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष रमेश बाबू का आरोप है कि उन्होंने के बाबू को भी घूस दी थी। उनकी बात को मानने से जांच अधिकारियों ने मानने से इनकार कर दिया। अब रमेश बाबू जांच अधिकारियों के उस निर्णय के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं। इससे मणि खुश हैं और उन्हें लगता है कि अकेला उनको दोषी बनाने का चांडी का प्रयास विफल हो जाएगा।
इधर यह भी अफवाह है कि मणि हाई कोर्ट की उस टिप्पणी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं, जिसमें कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति मंत्री के पद पर बना हुआ हो, तो उसके खिलाफ निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती और सही तरीके से मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता। गौरतलब है कि उस टिप्पणी के कारण ही उनका मंत्री के पद पर बना रहना मुश्किल हो गया था।
उधर मणि के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री ने उनकी नाराजगी से बचने के लिए कहा कि मणि निर्दोष हैं। इसे अदालत की अवमानना कहा जा रहा है और एक सीपीएम विधायक इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका भी दायर कर चुके हैं। (संवाद)
भारत: केरल
चांडी सरकार का भविष्य अनिश्चित
गुस्से में हैं के एम मणि
पी श्रीकुमारन - 2015-11-14 17:32
तिरुअनंतपुरमः कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार के नेता अब इस बात को लेकर राहत की सांस ले रहे हैं कि के एक मणि ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन पर एक साल से इस्तीफे का दबाव पड़ रहा था। उन पर बार मालिकों के संगठन ने घूसखोरी का आरोप लगाया था और उससे संबंधित मुकदमे का सामना भी वे कर रहे हैं। इसके बावजूद मणि अपने पद से इस्तीफा देने से साफ इनकार कर रहे थे।