मिस्टर बंटाधार के रूप में प्रचारित किए गए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के 10 साल के लंबे कार्यकाल के बाद सत्ता में वापस लौटी भाजपा ने सुश्री उमा भारती को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था। कुछ महीने बाद ही उन्होंने एक न्यायालयीन मामले में इस्तीफा दे दिया, तब मुख्यमंत्री के रूप में बाबूलाल गौर ने पद संभाला। उस समय तक किसी ने यह नहीं सोचा था कि वरिष्ठ नेताओं की कतार में पीछे रहे शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे। पर नवंबर 2005 में एक जोरदार राजनीतिक हंगामे के बीच तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया जाने के बावजूद किसी को यह भरोसा नहीं था कि वह उस पद पर साल-दो साल भी टिक पाएंगे। उन्हें कमजोर प्रशासनिक पकड़ वाले एवं राजनीतिक विरोधियों से घिरे मुख्यमंत्री के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन बहुत ही धीमी गति से संभल-संभल कर आगे बढ़ते हुए उन्होंने सरकार एवं पार्टी में अपना कद बहुत बड़ा कर लिया। स्थिति यह बन गई कि में ‘‘फिर भाजपा, फिर शिवराज’’ के नारे के साथ भाजपा को 2008 के विधान सभा चुनाव में जाना पड़ा। भाजपा ने इस चुनाव में अनुमान से ज्यादा सीटें हासिल की, जिसे शिवराज की जीत बताया गया। तब यह तय हो गया था कि चौहान प्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री होंगे, जो 5 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। लेकिन उस समय यह किसी ने अनुमान नहीं लगाया था कि वे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बन जाएंगे, जिनका कार्यकाल सबसे ज्यादा समय का होगा।

मध्यप्रदेश के राजनैतिक इतिहास में 1967 में संविद सरकार, 1977 में जनता पार्टी की सरकार, 1990 में भाजपा की सरकार बनी थी, पर उनमें से कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। यहां तक कि उनके छोटे से कार्यकाल में कई मुख्यमंत्री बने। 2003 के बाद भाजपा तीसरी बार सत्ता में वापसी की, पर 2005 केे बाद से भाजपा ने मुख्यमंत्री बदलने का काम नहीं किया, जो पहले करती रही थी। मध्यप्रदेश के राजनैतिक इतिहास में यह बड़ा मोड़ है। राजनैतिक विश्लेषकों की यह धारणा टूट चुकी है कि प्रदेश में दोबारा गैर कांग्रेसी सरकार नहीं बन सकती, अब यह धारणा भी टूट चुकी कि दिग्गी राजा के कार्यकाल का रिकाॅर्ड तोड़ना संभव नहीं होगा।

शिवराज सिंह चौहान की इस राजनैतिक सफलता के पीछे उनके शासन काल में प्रदेश के विकास के लिए बनाई गई विभिन्न योजनाओं का भी हाथ है। शिवराज सिंह ने गरीब एवं कमजोर वर्ग के लिए कई योजनाएं बनाई है,। महिलाओं के विकास के लिए गर्भ से लेकर उनकी शादी तक की कई योजनाएं प्रदेश में लागू है। लाडली लक्ष्मी योजना, गांव की बेटी योजना, कन्यादान योजना के साथ-साथ किसानों, दलितों, आदिवासियों के लिए कई योजनाएं राज्य में बनाई गई है। मुख्यमंत्री निवास पर किसान पंचायत, खिलाड़ी पंचायत, महिला पंचायत, कोटवार पंचायत, घरेलू कामकाजी महिला पंचायत जैसे दर्जनों पंचायत बुलाकर उनकी समस्या के समाधान के लिए सुझावों पर अमल करने का काम राज्य सरकार ने किया है। ’आओ बनाएं अपना मध्यप्रदेश‘ अभियान के माध्यम से प्रदेश के लोगों में प्रदेश के प्रति भावनात्मक एवं सांस्कृतिक लगाव बढ़ाया गया है।

इन योजनाओं एवं जनता की नब्ज पर पकड़ के साथ मुख्यमंत्री चौहान ने जनप्रिय नेता की जो छवि बनाई है, उसकी बदौलत उन्होंने कई विपरीत परिस्थितियों एवं बाधाओं को पार करते हुए प्रदेश की राजनीति में नया कीर्तिमान बनाया है, जिसे तोड़ पाना किसी भी दल के किसी भी राजनेता के लिए कठिन होगा। (संवाद)