आतंकवाद पर विश्व समुदाय के ढुलमुल रवैये के कारण ही अभी तक इस शब्द को पारिभाषित तक नहीं किया जा सका है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी पर एक व्यापक कन्वेंशन करने का प्रस्ताव है, लेकिन अभी तक वह प्रस्ताव पारित तक नहीं हो पाया है। इसका कारण आतंकवाद को पारिभाषित करने में सर्व सहमति का नहीं पाना भी है। अब जरूरत इस बात की है कि आतंकवाद को साफ साथ शब्दों में पारिभाषित कर दिया जाय।
अनेक लोग अपनी आतंकवादी गतिविधियों को सही ठहराते हैं और कहते हैं कि वह दमन के खिलाफ उनका प्रतिरोध है। ऐसा कहकर वे नागरिकों की जान भी लेते रहते हैं। लेकिन अन्याय और शोषण के खिलाफ लड़ने के और रास्ते भी हैं। उन्हें अपनी लड़ाई इस तरह से लड़नी चाहिए, जिससे निर्दोष लोगों की मौत न हो।
इस्लामिक स्टेट ने पेरिस के हत्याकांड की जिम्मेदारी ली थी। उसने कुछ दिन पहले एक रूसी यात्री विमान को मार गिराने का श्रेेय भी लिया था। वह यह सब इसलिए कर रहा है, क्योंकि रूस और फ्रांस उसके खिलाफ सीरिया और इराक में सैनिक कार्रवाई कर रहे हैं।
इस्लामिक स्टेट ने इराक और सीरिया के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। सवाल उठता है कि जब वह कब्जा हो रहा था, तो अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी क्या कर रहे थे? उस समय तो उसे वैसा करने से रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहे थे। इस्लामिक स्टेट अनेक विदेशियो को बंधक बना लेता था, उसके बावजूद उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती थी। इस्लामिक स्टेट के इराक के एक बड़े भाग पर कब्जे के पहले वहां अमेरिका का कब्जा था। अमेरिका ने सद्दाम हुसैन की सरकार को गिराकर उस पर कब्जा कर लिया था और एक चुनी हुई सरकार के दिखावे से वहां की सरकार चला रहा था। उसके कब्जे से इराक के कुछ हिस्से को इस्लामिक स्टेट ने मुक्त कर लिया। आखिर अमेरिका और उससे समर्थित इराक की स्थानीय सरकार इस्लामिक स्टेट को रोकने के लिए कुछ कर क्यो नहीं पाए?
इराक में अपनी स्थिति को ठीक रखने में विफल अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों ने सीरिया की असद सरकार को हटाने की मुहिम छेड़ दी, लेकिन ईरान और रूस असद का समर्थन कर रहे हैं। असद को हटाने के लिए अमेरिका ने उनके विरोधियों को समर्थन देना शुरू कर दिया और यहीं से अच्छा आतंकवादी और बुरा आतंकवादी का अंतर किया जाने लगा। असद के वे विरोधी जिनकी सहायता से अमेरिका उन्हे हटाना चाह रहा है, अच्छा आतंकवादी कहा जाता है, जबकि इस्लामिक स्टेट बुरा आतंकवादी कहा जा रहा है।
रूस ने सीरिया में हस्तक्षेप करना शुरू किया और असद के सभी विरोधियों पर हमला तेज कर दिया। उसने अच्छे और बुरे आतंकवाद मे अंतर नहीं किया, लेकिन अमेरिका को इस बात का दुख है कि रूस बुरे आतंकवादी पर नहीं बल्कि अच्छे आतंकवादी पर कहर बरपा रहा है।
अमेरिका ने असद विरोधियों की सहायता की। वे विरोधी दुनिया भर से अपने लिए सेना कर रहे थे। उन्होंने असद को कमजोर कर दिया, जिसका फायदा इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों को हुआ। उसने मौके का फायदा उठाकर सीरिया के एक बड़े भाग पर अपना कब्जा कर लिया। अब वही इस्लामिक स्टेट अमेरिका और उसके दोस्त देशों के लिए भी खतरा बना गया है।
रूस उसके खिलाफ सक्रिय है। यदि अमेरिका और नाटो देश इस्लामिक स्टेट को समाप्त करना चाहते हैं, तो उन्हें रूस के साथ सहयोग करना होगा और अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद के शब्दजाल से बाहर निकलना होगा। (संवाद)
आईएसआईएस की चुनौती
नाटो को रूस के साथ सहयोग करना होगा
अशोक बी शर्मा - 2015-11-30 10:31
पेरिस में हुए आतंकवादी हमले ने आतंकवादियों को अच्छे आतंकवादी और बुरे आतंकवादी में विभाजन करने के खतरे को उजागर कर दिया है। इससे कोई फायदा तो हुआ नहीं है, उलटे इससे माहौल खराब ही हुआ है। इसके कारण कुछ को अच्छे आतंकवादी बताकर संरक्षण देने की जो परंपरा बनी हुई है, उससे निजात पाने की जरूरत पेरिस के आतंकी हमले ने रेखांकित कर दी है।