इस मांग के साथ सबकी निगाहें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वी एम सुधीरन पर टिकी हुई है। कुछ ही महीनों के बाद विधानसभा के आम चुनाव होने हैं और सुधीरन उस चुनाव के लिए संगठन को तैयार करने के लिए उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई के मूड में हैं, जिनके कारण पार्टी को हार का मुह देखना पड़ा। वे नहीं चाहते हैं कि जो कुछ स्थानी य निकायों के चुनाव में हुए, वह विधानसभा के आम चुनाव में भी दुहराए जायं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूरे संगठन में फेरबदल करने के मूड में दिखाई पड़ रहे हैं। उनकी नजर खासतौर से जिला संगठनों के ऊपर है। कन्नूर, कोल्लाम, मल्लपुरम, त्रिसुर, तिरुअनंतपुरम और पलक्कड में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा। इसलिए इन जिलों के संगठन को बदलने पर विचार किया जा सकता है।

प्रदेश अध्यक्ष के पास छोटे और स्थानीय नेताओं के खिलाफ ही नहीं, बल्कि प्रदेश के बड़े नेताओ के खिलाफ भी शिकायतें आ रही हैं। के सुधारकरण को भी कुछ स्थानों पर हार के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है, तो प्रदेश के सहकारिता मंत्री सीएन बालाकृष्णन के खिलाफ भी शिकायत है। पी रामकृष्णन को भी कहीं कहीं हार के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। वी एस शिवकुमार भी विश्वासघात करने का आरोप झेल रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने उम्मीदवारों के चयन के लिए एक दिशानिर्देश पत्र तैयार किया था। जिन जिलों में कांग्रेस को भारी हार का सामना करना पड़ा, उनमें इन दिशा निर्देशों की धज्जियां सबसे ज्यादा उड़ाई गई थीं। हार वाले जिलों में भीतरघात का सामना भी उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा करना पड़ा।

कन्नूर नगर निगम पर पिछले 140 सालों से कांग्रेस का कब्जा था। पहली बार उसे पिछले चुनाव में वहां हार का मुह देखना पड़ा। उस हार के लिए के सुधाकरन को जिम्मेदार बताया जा रहा है। वे और उनके सहयोगी रमेश चेनिंथाला गुट के हैं।

त्रिसुर और तिरुअनंतपुरम में हार के लिए भी चेनिंथाला गुट के बालाकृष्णन और स्वास्थ्य मंत्री वी एस शिवकुमार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष का मानना है कि यदि गलती करने वाले कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले विधानसभा चुनाव मंे पार्टी की जीत असंभव हो जाएगी।

लेकिन समस्या यह है कि केरल कांग्रेस के दोनों बड़े गुट किसी भी कांग्रेसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहते हैं। गौरतलब है कि एक प्रमुख गुट का नेतृत्व तो खुद मुख्यमंत्री चांडी करते हैं और दूसरे गुट का नेतृत्व रमेश चेनिंथाला के हाथ में है। उन दोनों को लगता है कि यदि कार्रवाई हुई, तो उन दोनों की अपनी रणनीति विफल हो जाएगी और संगठन के अंदर दोनों गुटों की ताकत कम हो जाएगी।

वे दोनों नेता अपने अपने गुट के नेताओं को बचाने में दिलचस्पी रखते हैं और नहीं चाहते हैं कि सुधीरन की ताकत प्रदेश कांग्रेस में बढ़ती दिखाई पड़े। (संवाद)