दिल्ली हाई कोर्ट से राहत नहीं पाने के बाद ही सोनिया गांधी और उनकी पार्टी ने यह तूफान खड़ा किया है। हाई कोर्ट ने उन्हें राहत देने से मना करते हुए जो कहा वह बहुत ही गंभीर है और उसकी गंभीरता पर इस बात से कोई असर नहीं पड़ता कि उस मुकदमा के पीछे भारतीय जनता पार्टी का एक नेता है। हाई कोर्ट ने प्रथम दृष्टि में सोनिया गांधी पर लगाए गए आरोप को सही माना है और कहा है कि नेशनल हेराल्ड की संपत्ति कब्जा करने के लिए आपराधिक साजिश के सबूत दिखाई पड़ रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि संपत्ति हड़पने का वह आरोप सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी पर ही है, जिसमें उनकी पार्टी के कुछ और लोग भी शामिल हैं।

यदि सोनिया गांधी अपने आपको इन्दिरा गांधी की बहुत मानते हुए उनके तरह साहसी समझती हैं, तो उन्हें साहस का परिचय देना चाहिए और न्यायपालिका का आदर करना भी सीखना चाहिए। यह सच है कि हाई कोर्ट के फैसले का मानने से इन्दिरा गांधी ने इनकार कर दिया था और उसके बाद देश में आपातकाल भी लगा दिया था। उसके बाद हुए चुनाव में वह सत्ता से बाहर भी हो गई थीं। पर सत्ता से बाहर आने के बाद उन्होंने जिस शालीनता का परिचय दिया, उसका अनुकरण सोनिया गांधी को करना चाहिए। 1977 के चुनाव मंे भी कांग्रेस की वह दुर्गति नहीं हुई थी, जो दुर्गति कांग्रेस की आज हुई है। उस समय कांग्रेस को लोकसभा की 155 सीटें मिली थीं, जो इस समय एक उपचुनाव जीतने के बाद सिर्फ 45 ही है। सत्ता से बाहर जाने के बाद भी इन्दिरा गांधी को मुकदमे का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने मुकदमा को अदालतों मंे ही लड़ने का फैसला किया था। वह भी चाहतीं, तो संसद के सत्र को तहस नहस कर सकती थीं, पर उन्होंने वैसा नहीं किया।

सत्ता से बाहर रहने और मुकदमों का सामना करने के बाद भी इन्दिरा गांधी ने शालीनता नहीं त्यागी और इसका नतीजा यह हुआ कि वह एक बार फिर सत्ता में आईं। अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का उन्होंने सामना किया, लेकिन इसके लिए उन्होंने संसदीय कामकाज का नुकसान नहीं पहुंचाया, जो आज सोनिया गांधी कर रही हैं।

इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय जनता पार्टी सोनिया और राहुल के पीछे पड़ी है और उनकी परेशानी का सबब बनी है, लेकिन मां बेटे पर जो आरोप लगे हैं, वे बहुत ही गंभीर हैं और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता िकवे आरोप कहां से लगाए जा रहे हैं। नेशनल हेराल्ड अब नहीं छपता, लेकिन उसके पास 20 अरब से लेकर 50 अरब रुपये तक की संपत्ति है। कांग्रेस की अध्यक्ष होने के नाते उसका प्रबंधन भले सोनिया गांधी के पास था, लेकिन वह उसकी मालकिन नहीं थी। पर एक दूसरी कंपनी बनाकर उन्होंने नेशनल हेराल्ड कंपनी को अपनी संपत्ति में तब्दील कर दिया। इस तरह हजारों करोड़ की कंपनी को हथिया लिया। संसद में हंगामा करने से ज्यादा जरूरी सोनिया गांधी के लिए देश का यह बताना है कि उन पर जो आरोप लगे हैं, उनमंे कितनी सच्चाई है। नेशनल हेराल्ड की वह मालकिन हैं या नहीं, यह उन्हें बताना चाहिए। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि वह मालकिन हैं, तो कैसे मालकिन हैं? (संवाद)