देश की राजधानी दिल्ली की यह दुर्दशा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के बीच में हो रही है। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद खुद अपने हाथ में झाड़ू उठा लिया था और दिल्ली के उस इलाके में सफाई शुरू कर दी थी, जहां कभी महात्मा गांधी रहते थे। संयोग से वह इलाका वाल्मिकी काॅलोनी के नाम से जाना जाता है और वह काॅलोनी सफाई कर्मियों की ही है।ं

दिल्ली की गंदगी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान की पोल खोल रही है। स्वच्छता अभियान के लिए केन्द्र सरकार ने सेवा कर पर सेस भी लगाना शुरू कर दिया है। यानी दिल्ली के लोग केन्द्र सरकार को सफाई के लिए अब अतिरिक्त पैसे दे रहे हैं, लेकिन बदले में उन्हें मिल रही है गंदगी।

देखने से तो यह गंदगी नगर निगम के सफाईकर्मियों की हड़ताल के कारण दिखाई पड़ती है, लेकिन इसके लिए मूल रूप से दिल्ली प्रदेश की केजरीवाल सरकार और दिल्ली की राष्ट्रीय नरेन्द्र मोदी सरकार के बीच चल रहे शीतयुद्दध का नतीजा है।

लोकसभा के चुनाव में भारी जीत हासिल करने के बाद विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को महज तीन सीटों तक सिमट कर रह जाना पड़ा था। अभूतपूर्व बहुमत के साथ दिल्ली में बनी केजरीवाल की सरकार पहले ही दिन से भाजपा और उसकी केन्द्र सरकार की आंखों में कांटा बनी हुई है।

इसी का नतीजा दिल्ली का कूड़े के ढेर के रूप में तब्दील होते जाना है। दिल्ली में एक नहीं तीन सरकारें हैं और उनमें से दो पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।

सबसे मजबूत सरकार केन्द्र की सरकार है। दिल्ली की पुलिस उसी के पास है। जमीन का मामला भी केन्द्र सरकार के पास ही है। नगर निगम का आयुक्त भी केन्द्र सरकार को ही रिपोर्ट करता है।

दूसरी सरकार केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली की सरकार है, जिसके मुखिया केजरीवाल है। इस सरकार के पास सीमित अधिकार है और जो कुछ अधिकार है, वह भी केन्द्र की कृपा पर निर्भर हो जाता है, क्योंकि दिल्ली सरकार के अनेक महत्वपूर्ण आदेश उपराज्यपाल के दस्तखत के बाद ही प्रभावी होते हैं और उपराज्यपाल केन्द्र सरकार को रिपोर्ट करते हैं।

दिल्ली की तीसरी सरकार नगर निगम की सरकार है, जिस पर इस समय भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। नगर निगम के पास आमदनी के अपने स्रोत भी है, लेकिन उनसे उसे इतनी आमदनी नहीं होती कि वह अपना खर्च चला सके। जाहिर है, उसे दिल्ली सरकार पर निर्भर रहना होता है।

नगर निगम का आरोप है कि केजरीवाल सरकार उसे कोष जारी नहीं कर रही है, जिसके कारण उसे पैसे की कमी हो गई है। दिल्ली सरकार कहती है कि उसे जितना कोष जारी करना था, उसने उसे जारी कर दिया है।

दिल्ली सरकार का यह भी आरोप है कि दिल्ली नगर निगम में भारी भ्रष्टाचार है और उसके कारण वहां पैसे की बर्बादी हो रही है। सरकार का कहना है कि भ्रष्टाचार को रोककर दिल्ली नगर निगम पैसे की कमी को पूरा कर सकती है। यही कारण है कि ज्यादा कोष जारी करने में दिल्ली सरकार परहेज कर रही है।

दिल्ली सरकार का यह भी कहना है कि डीडीए के ऊपर दिल्ली नगर निगम का काफी बकाया है। यदि वह बकाया डीडीए चुका देता है, तो नगर निगम का वित्तीय संकट दूर हो जाएगा। ऐसा कहकर केजरीवाल सरकार इस संकट के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदारी ठहरा रही है, जिसके अंतर्गत डीडीए हैं।

इस कूड़ा संकट का एक पहलू यह भी है कि अगले साल दिल्ली नगर निगम का चुनाव है। अभी जो कुछ भी दिल्ली में हो रहा है, उसका असर उस चुनाव पर पड़ेगा। भारतीय जनता पार्टी लोगों को यह बताने की कोशिश कर रही है कि इस समस्या के लिए केजरीवाल जिम्मेदार है और दूसरी तरफ केजरीवाल यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि दिल्ली नगर निगम के भ्रष्टाचार और केन्द्र सरकार द्वारा बकाया पैसे निगम को नहीं देने के कारण यह सब हो रहा है।

केजरीवाल समय से पहले दिल्ली नगर निगम का चुनाव करवाने की मांग कर रहे हैं, ताकि वह निगम को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिला सके। दिल्ली के लोगों के मूड से यही पता चलता है कि यदि चुनाव हुए, तो वहां भी आम आदमी पार्टी को भारी जीत हासिल हो सकती है, क्योंकि लोग नगर निगम के भ्रष्टाचार से छुटकारा चाहते हैं। (संवाद)