समाजवादी पार्टी के लिए चिंता की बात यह भी है कि इन उपचुनावों में प्रदेश में उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी बहुजन समाजवादी पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही थी। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा। यही यहीं सपा सहानुभूति फैक्टर का लाभ भी नहीं उठा सकी।
जिन तीन विधानसभा क्षेत्रों के लिए उपचुनाव हो रहे थे, उन सबमें पिछले आमचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ही जीते थे। यानी सपा विधायकों की मौत के कारण ही इन क्षेत्रों में उपचुनाव हो रहे थे। सहानुभूति का लाभ उठाने के लिए पार्टी ने मृत विधायकों के रिश्तेदारों को टिकट दिए थे।
उपचुनाव मुजफ्फरनगर, बिकापुर और देवबंद विधानसभा क्षेत्रों के लिए हो रहे थे। इन तीनों मे सिर्फ बिकापुर से ही सपा उम्मीदवार आनंद सेन की जीत हो पाई। देवबंद में कांग्रेस और मुजफ्फरनगर में भारतीय जनता पार्टी की जीत हो गई।
समाजवादी पार्टी की हार इस तथ्य के बावजूद हुई कि पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने इस चुनावों को बहुत ही गंभीरतापूर्वक लिया था। उन्होंने पार्टी नेताओं को चेतावनी दे रखी थी कि यदि पार्टी हारी, तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
यदि चुनाव परिणामों का विश्लेषण किया जाय, तो पाते हैं कि मुसलमानों के बीच अपना आधार समाजवादी पार्टी खो रही है।
मुजफ्फरनगर में सपा के उम्मीदवार चितरंजन स्वरूप की 7000 मतों से हार हुई। उन्हें भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कपिलदेव अग्रवाल ने हराया। वहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का फायदा भाजपा ने उठाया और मुजफ्फरनगर दंगों के लिए आरोप का सामना कर रहे सुरेश राणा को एक प्रमुख प्रचारक के रूप में पार्टी ने पेश किया था। दूसरी ओर मुस्लिम मतदाताओं ने बढ़चढ़कर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को वोट नहीं दिए।
उसी तरह देवबंद में भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को मुसलमानों के वोट नहीं मिले। मुसलमानों के वोट कांग्रेस के उम्म्ीदवार को मिले और कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत हो भी गई। वहां 26 सालों के बाद कांग्रेस ने जीत दर्ज की। गौरतलब हो कि बाबरी मस्जिद पर कांग्रेस रवैये के कारण मुसलमानों ने देवबंद में कांग्रेस को वोट देना बंद कर रखा था।
देवबंद की जीत ने कांग्रेस के हौसले बुलंद कर दिए हैं। वहां हिन्दुओं का संप्रदाय के आधार पर ध्रुवीकरण हुआ और उसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को हुआ। उसके उम्मीदवार को 45 हजार से भी ज्यादा वोट हुए। मुस्लिम और हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण का नुकसान देवबंद में समाजवादी पार्टी को हुआ।
बिकापुर में समाजवादी पार्टी जीत तो गई, लेकिन जीत का मार्जिन 3 हजार के आसपास ही रहा। जाहिर है, यह जीत उसके लिए शानदार नहीं थी।
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने बिकापुर से अपना एक उम्मीदवार खड़ा किया था। उसे 11 हजार से ज्यादा मत नहीं मिले। उसका उम्मीदवार दलित था और उसे उम्मीद थी कि दलित और मुस्लिम मतदाता मिलकर कुछ गुल खिलाएंगे, लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं।
मायावती के उम्मीदवार की उपस्थिति का लाभ भी ओवैसी का उम्मीदवार प्राप्त नहीं कर सका। बसपा समर्थकों ने अपने वोट अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल उम्मीदवार को दिया, जिन्हें 62 हजार से भी ज्यादा मत मिले और जो दूसरे स्थान पर रहे। (संवाद)
उपचुनावों में समाजवादी पार्टी को झटका
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में जीत दर्ज की
प्रदीप कपूर - 2016-02-20 12:16
लखनऊः अगले साल की शुरुआत में ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा के आमचुनाव होने हैं। उसके पहले तीन विधानसभा क्षेत्रों के लिए हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने जो करारा झटका पाया है, उससे इसके नेता हिल गए हैं। ये नतीजे कुछ दिन पहले आए हैं।