केन्द्र में बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद भाजपा को लग रहा था कि दक्षिण के केरल प्रदेश में वह इस बार जरूर कुछ बेहतर करेगी। लोकसभा में उसके वोटों का प्रतिशत बढ़ गया था, हालांकि उसे कोई सीट प्राप्त नहीं हुई थी।
पिछले महीने संपन्न स्थानीय निकायों के चुनावों में भी उसे अच्छे वोट मिले थे। उसके आधार पर उसे लग रहा था कि उसे कुछ न कुछ सीटें विधानसभा चुनाव में भी मिल ही जाएगी।
अपनी आकांक्षा और उम्मीद को पूरा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी केरल मे एक हिन्दुवादी तीसरा मोर्चा बनाना चाहती थी। इसके लिए उसने प्रदेश की दो जातियों के संगठनों पर नजर लगा रखी थी।
प्रदेश की सबसे अधिक जनसंख्या वाली जाति इझावा है और उसके बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या वाली जाति नायर है। दोनों जातियां सत्तारूढ़ और मुख्य विपक्षी मोर्चे की अल्पसंख्यक तुष्टि की नीतियों से नाराज हैं। भारतीय जनता पार्टी उनकी इस नाराजगी का लाभ उठाना चाह रही थी।
पर नायरों के संगठन ने सबसे पहले झटका दिया और अपने आपको धर्मनिरपेक्षता का रक्षक बताकर भाजपा के साथ किसी भी प्रकार के सहयोग की संभावना को समाप्त कर दिया।
पर अभी भी इझावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी उम्मीदों से भरी हुई थी। स्थानीय निकायों के चुनावों मंे उसने इझावा की एक नवनिर्मित पार्टी के साथ गठबंधन किया था और उसका लाभ भी उसे मिला था। उस गठबंधन के कारण स्थानीय निकायों मंे उसे अच्छे वोट मिले थे और जहां तहां उसे छिटपुट जीत भी हासिल हुई थी।
लेकिन उस जीत को भाजपा के प्रदेश नेता कुछ अलग नजरिए से देख रहे थे। उन्हें लग रहा था कि वे वोट उसे उसके अपने कारणों से ही मिले थे और उसमें इझावा समुदाय से उसके गठबंधन का कोई हाथ नहीं है।
लिहाजा, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश स्तर के नेता इझावों की पार्टी के साथ गठबंधन करने का विरोध कर रहे थे। पर पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व किसी भी सूरत में उसके साथ गठबंधन चाह रहा था।
भारतीय जनता पार्टी को लग रहा था कि गठबंधन के कारण उसे अपने मजबूत इलाकों में भी इझावा पार्टी को सीटें देनी पड़ेगी, जबकि वहां इझावा की संख्या बहुत कम है।
दूसरी तरफ इझावा नेता भी भारतीय जनता पार्टी को अपनी मजबूती वाले इलाकों से सीटें नहीं देना चाह रहे थे। उन्हें लग रहा था कि जहां वे हैं, वहां भारतीय जनता पार्टी का अस्तित्व ही नहीं है। यही कारण है कि वे भी भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करने से मुकर रहे हैं।
उनका मुकरना भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के सारे आकलनों को धता बता रहा है। वे उम्मीद कर रहे थे कि इस गठबंधन के द्वारा इझावा समुदाय में उनकी पहुंच हो जाएगी और बाद में उनके अंदर ही वे अपना नेतृत्व खड़ा कर देंगे। लेकिन उनकी यह उम्मीद अब बिखर चुकी है।
इझावा समुदाय की उस पार्टी के नेता अब दोनों मजबूत मोर्चो से तालमेल की संभावना तलाशने में लग गए हैं।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी केरल कांग्रेस (मणि) के साथ तालमेल के लिए बातें चला रहे हैं। मणि की इस पार्टी का जनाधार ईसाइयों में है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी अब चर्च जाकर उनके धार्मिक नेताओं से भी बात कर रहे हैं। लेकिन देश भर मे चर्च पर हमले तेज हुए हैं। इसलिए वे उन्हें उपकृत करेंगे, इसकी संभावना बहुत कम है। (संवाद)
केरल में भाजपा को झटका
पार्टी अब चर्च की शरण में
पी श्रीकुमारन - 2016-02-23 12:29
तिरुअनंतपुरमः भारतीय जनता पार्टी को केरल में एक बहुत बड़ा झटका लगा है। विधानसभा चुनाव में कुछ बेहतर करने की उसकी उम्मीद धराशायी होती दिखाई दे रही हैं।