हरियाणा का मसला बहुत ही खौफनाक है। वहां जाट अपने आपको ओबीसी श्रेणी में रखने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए उनका एक सप्ताह तक आंदोलन चला। उस आंदोलन में भारी हिंसा हुई और हजारों करोड़ रुपये की सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा। उस हिंसा में 30 लोग मारे भी गए।
हरियाणा अकेला ऐसा राज्य नहीं है, जहां ओबीसी आरक्षण की मांग की जा रही है। पूरे देश में ऐसा देखा जा रहा है कि अगड़ी जातियों के लोग अपने आपको ओबीसी श्रेणी में रखे जाने की मांग कर रहे हैं। गुजरात में पटेल इस तरह की मांग कर रहे हैं। महाराष्ट्र में मराठा इसकी मांग कर रहे हैं और आंध्र प्रदेश में कापू भी इसकी मांग कर रहे हैं। इन सब प्रदेशों में या तो भाजपा की सरकारें है या उसके सहयोगी संगठन वहां सत्ता में हैं। जैसे, हरियाणा और गुजरात में तो भाजपा की ही अपनी सरकारें हैं। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना की मिली जुली सरकार है। आंध्र प्रदेश में भाजपा के राजग में सहयोगी तेलुगू देशम की सरकार है।
हरियाणा में तो जाट आरक्षण आंदोलन के बाद सरकार ने उन्हें आरक्षण देने का वायदा कर दिया है और उन्हें ओबीसी स्टैटस देने का तरीका ढूंढ़ने के लिए एक कमिटी बनाने की घोषणा भी कर दी है।
आरक्षण की मांग के साथ साथ सिख अब जम्मू और कश्मीर में अपने लिए अल्पसंख्यक स्टैटस की मांग भी करने लगे हैं।
सवाल उठता है कि क्या हरियाणा सरकार द्वारा जाटों को आरक्षण देने के लिए बनाया गया कोई कानूनी कोर्ट की मंजूरी प्राप्त कर पाएगा? इसके पहले भी जाटों को आरक्षण दे दिया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को ही निरस्त कर दिया, क्योंकि वह असंवैधानिक पाया गया।
संविधान में साफ साफ कहा गया कि आरक्षण सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गो को ही दिया जा सकता है। किसी जाति का सरकारी सेवाओं में अपर्याप्त भागीदारी भी आरक्षण पाने की एक अनिवार्य शर्त है, लेकिन जिन जातियों को बिना आरक्षण के ही सरकारी सेवाओं में पर्याप्त भागीदारी मिल रही है, उन्हें आरक्षण दिया जाना असंवैधानिक है। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को दिए गए आरक्षण को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
आरक्षण मामले पर हो रहा यह बवाल आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान के साथ देखा जाना चाहिए, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक गैर राजनैतिक समिति बनाकर आरक्षण की समीक्षा की जानी चाहिए। इसके कारण तरह तरह की शंकाएं पैदा हो रही हैं। बिहार चुनाव के पहले ही भागवत ने इस तरह का बयान दिया था, जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी की वहां हार हो गई थी। (संवाद)
भारत में राजनैतिक पतन का दौर
भाजपा और उसके सहयोगी साबित हो रहे हैं अक्षम
बी के चम - 2016-03-02 11:58
चंडीगढ़ः भारत का राजनैतिक पतन तेजी से हो रहा है। 2015 में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण हो रहा था, जिसके कारण देश की एकता और अखंडता को खतरा पैदा हो गया था। और अब जातिगत ध्रुवीकरण का दौर शुरू हो गया है। इससे देश के सामाजिक ताने बाने को खतरा पैदा हो गया है। इन घटनाओं के पीछे संघ परिवार के लोगों का हाथ है। वे अखंड भारत की बात करते हुए भारत को खंडित करने की कोशिश कर रहे हैं।