केरल में इस समय मुख्य रूप से तीन मोर्चे हैं। एक मोर्चा है सत्ताधारी संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन (यूडीएफ) काए तो दूसरा मोर्चा मुख्य विपक्षी वाम लोकतांत्रिक गठबंधन (एलडीएफ) का है। इन दोनों के अलावा भारतीय जनता पार्टी ने नवगठित भारत धर्म जनसेना के साथ मोर्चा बंदी की है।
तीनों मोर्चो में सीटों के बंटवारे को लेकर माथापच्ची हो रही है। सबसे ज्यादा समस्या सत्तारूढ़ यूडीएफ के अंदर ही है।
यूडीएफ का मुख्य दल कांग्रेस है और कांग्रेस के अंदर खुद भी गुटबाजी की समस्या है। एक गुट के मुखिया प्रदेश के मुख्यमंत्री ओमन चांडी हैं, तो दूसरे बड़े गुट के मुखिया रमेश चेनिंथाला हैं। पार्टी में कुछ वैसे लोग भी हैं, जो इन दोनों में से किसी से ताल्लुकात नहीं रखते।
पहले जब कभी टिकट का बंटवारा हुआ करता था, तो ये दोनों नेता अपने अपने लोगों को टिकट दे देते थे और एक दूसरे को उपकृत कर देते थे। वैसा करने के क्रम में उन लोगों का नुकसान हो जाता था, जो इन दोनों में से किसी भी गुट से जुड़े हुए नहीं थे।
इस बार उनकी यह कोशिश ज्यादा सफल नहीं होती दिखाई पड़ रही है। इसका कारण यह है कि इस बार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष वी एम सुधीरन हैं, जो इन दोनों गुटों से अलग हैं। उनकी उपस्थिति के कारण दोनों प्रमुख गुटों से बाहर के लोग भी इस बार टिकट पाने को लेकर ज्यादा आशान्वित हैं। और इस बार टिकट वितरण में मुख्य भूमिका वीएम सुधीरन की ही है।
इस बार टिकट बांटने की प्रक्रिया भी बदल दी गई है। जिला ईकाइयों क महत्व टिकट बंटवारे में बढ़ा दिया गया है। यह गुटों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए किया गया है। लेकिन इसने एक नई समस्या खड़ी कर दी है और वह समस्या इस तथ्य से पैदा हुई है कि जिला ईकाइयों मंे भी चांडी और चेनिंथाला के समर्थक भरे हुए हैं।
इसके बावजूद सुधीरन कुछ ऐसे उम्मीदवारों को भी टिकट दिलवा ही देंगे, जो दोनों प्रमुख गुटों से अलग हैं। कांग्रेस में आपसी गुटबाजी तो है ही, उसे यूडीएफ के अपने सहयोगी दलों के साथ भी सीटों की सौदेबाजी करने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सबसे अधिक समस्या केरल कांग्रेस(मणि) की तरफ से आ रही है। पिछले चुनाव में मणि की पार्टी को 15 सीटंे दी गई थीे, जिनमें 9 जीते थे, लेकिन उस पार्टी से अनेक नेता बाहर हो चुके हैं। जाहिर है, कांग्रेस इस बार उस 15 सीटें नहीं देना चाहती हैं, पर मणि की पार्टी 15 से भी ज्यादा सीटों की मांग कर रही है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग कांग्रेस का सबसे बड़ा सहयोगी दल है। उसके साथ भी कांग्रेस को निबटने में परेशानी हो रही है। आरएसपी और जनता दल(यू) जैसी छोटी पार्टियांे के साथ भी सीटों के बंटवारे में कांग्रेस को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्य विपक्षी एलडीएफ में यूडीएफ जितनी परेशानी तो नहीं है, लेकिन वहां भी सहयोगी दलों के बीच मे खींचतान चल रही है। मुख्य खींचतान सीपीआई और सीपीएम के बीच है। पिछली बार सीपीआई ने 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, इस बा रवह 30 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है। राज्यसभा की एक सीट इस बार एलडीएफ संसद में भेजने वाली है। सीपीआई चाहती है कि यह सीट उसे मिले। छोटी छोटी पार्टियों ने भी सीटों की मांग बढ़ा दी है।
भारतीय जनता पार्टी में भी गुटबाजी चल रही है और उसका नवगठित भारतीय धर्म जनसेना के साथ भी सीटों के लेकर खींचाव की स्थिति बनी हुई है। (संवाद)
केरल चुनाव: सीटों के बंटवारे की समस्या
सभी पार्टियों के सामने बड़ी चुनौती
पी श्रीकुमारन - 2016-03-10 10:36
तिरुअनतुपरमः केरल विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। सभी पार्टियों ने उम्मीदवारों के चयन का काम शुरू भी कर दिया है, लेकिन चयन के काम में एक बड़ी बाधा गठबंधन के दलों के बीच सीटों का बंटवारा है।