महाराष्ट्र में कांग्रेस ने जो कुछ किया, वह अप्रत्याशित भी नहीं था। वैसा उसने कोई पहली बार भी नहीं किया है। सच कहा जाय, तो वह राजीव गांधी की एक पुरानी नीति की राह पर ही चलना है। 1989 में राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद के परिसर में राममंदिर के शिलान्यास की शुरुआत करवा दी थी और उसके पहले उन्होंने बाबरी मस्जिद का ताला खुलवा दिया था।
जब राजीव गांधी वह सब कर रहे थे, उस समय उनके पास अनुभव नहीं था। वे अरुण नेहरू जैसे लोगों से घिरे हुए थे और वैसे लोगों ने ही उनका वैसा करने की सलाह दी थी। वैसा करके राजीव गांधी ने धर्मनिरपेक्षता से कांग्रेस को विमुख करना शुरू किया था, ठीक उसी तरह जिस तरह से इन्दिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान कांग्रेस को लोकतंत्र से अलग करना शुरू कर दिया था।
कांग्रेस ने महाराष्ट्र विधानसभा में अपना वह पुराना इतिहास एक बार फिर दुहरा दिया है। इस घटना से यह साफ साबित होता है कि भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा से लड़ने की ताकत अब कांग्रेस में नहीं रही और उसके सामने आत्मसमर्पण करना ही उसकी नियति रह गई हैं
भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा पुरुषवादी है। उसके आदर्श पुरुष एम एस गोलवलकर हैं, जिनकी विचारधारा भारत के मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक मानती है। गौरतलब हो कि श्री गोलवलकर आरएसएस के दूसरे प्रमुख रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी आरएसएस की उस विचारधारा के अनुरूप मस्जिदों पर हमले करवाती है और उन लोगांे को भी अपना शिकार बनाती है, जो स्वविवेकवादी हैं या बीफ खाते हैं। और अब तो उसने भारत माता की जय बोलने को ही मुद्दा बना लिया है।
भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि जो काम राजद्रोह कानून का इस्तेमाल नहीं कर सका, वही काम भारत माता की जय से हो जाएगा। लेकिन लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा में विश्वास करने वाले लोगों को इस पर आपत्ति है, क्योंकि किसी भी नारे को किसी के ऊपर थोपा नहीं जा सकता, चाहे वह नारा कितना भी अच्छा लगे।
हमारे देश का अपना एक राष्ट्रगानए राष्ट्रीय झंडा और राष्ट्रचिन्ह है और अधिक राष्ट्रीय पहचानों को बढ़ाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसके कारण उनकी अहमियत कम हो जाती है।
मुसलमान यदि भारत माता की जय अपने कुछ धार्मिक विश्वासों के कारण नहीं बोलना चाहते, तो हमें उनके इस तर्क पर गौर करना चाहिए। वे भारत को एक मातृदेवी के रूप में स्वीकार नहीं करते, क्योंकि वे एक ही अल्लाह को मानते हैं और उसके अलावा और किसी की इबादत में विश्वास में नहीं रखते। आजादी की लड़ाई के दौरान जब बंदे मातरम को लेकर विवाद खड़ा हुआ था, तो उसमें भी उनका वही कहना था कि वे अल्लाह के अलावा और किसी की आराधना नहीं कर सकते।
लेकिन भारतीय जनता पार्टी यह सब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर कर रही हैं। बिहार में उसकी करारी हार हुई है और वह नहीं चाहती कि उत्तर प्रदेश में भी उसे हार का सामना करना पड़े। इसके लिए वे वहां के लोगों का धार्मिक विभाजना को तूल दे रही है। वह इसके द्वारा मुसलमानों मंे भी फूट डालने की कोशिश कर रही है।
पर कांग्रेस इस मसले पर चुप है। उसकी चुप्पी बहुत ही अखरने वाली है। इससे उसके नेतृत्व की बौद्धिक दिवालियापन झलकता है। (संवाद)
महाराष्ट्र विधानसभा से विधायक का निलंबन
कांग्रेस के दोमुहेपन का पर्दाफाश
अमूल्य गांगुली - 2016-03-22 12:17
अब कांग्रेस भी भारतीय जनता पार्टी के रास्ते पर चलने लगी है। महाराष्ट्र विधानसभा में उसने उसकी एक झांकी दिखला दी। एक विधायक को विधानसभा से मात्र इसके लिए निलंबित कर दिया गया, क्योंकि उसने भारत माता की जय बोलने से इनकार कर दिया था। उसके निलंबन का प्रस्ताव कांग्रेस ने ही पेश किया था। इस तरह से कांग्रेस ने यह दिखा दिया कि वह भारत माता की जय बोलने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना से पीछे नहीं है। महाराष्ट्र विधानसभा से एक विधायक को निलंबित कराने के बाद अब कांग्रेस के पास एक और मसला रह गया है और यह है कि अब वह अयोध्या के विवादित स्थल पर राममंदिर के निर्माण के लिए भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार पर दबाव बनाए।