कांग्रेस की समस्या सिर्फ सहयोगी पार्टियां ही नहीं हैं, बल्कि वह अपने अंदर की गुटबाजी की समस्या से भी जूझ रही है। दोनों बडे़ गुट ज्यादा से ज्यादा सीटों के लिए अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं, जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चाहते हैं कि खराब छवि वाले विधायकों को टिकट से वंचित कर दिया जाय।

गौरतलब हो कि कांग्रेस के एक बड़े गुट का नेतृत्व गृहमंत्री रमेश चेनिंथाला करते हैं और दूसरे बड़े गुट का नेतृत्व खुद ओमन चांडी करते हैं। जब पिछली बार चुनाव हो रहा था, तो रमेश चेनिंथाला प्रदेश अध्यक्ष थे। दोनों नेताओं ने भारी संख्या में अपने अपने समर्थकों को टिकट दिलाए थे।

लेकिन इस बार कांग्रेस के अध्यक्ष सुधीरन हैं, जो उन दोनों नेताओं में से किसी के गुट में नहीं हैं। और वे चाहते हैं कि कांग्रेस के अंदर गुटबाजी का दौर समाप्त हो और वैसे लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिया जाय, किसी गुट में शामिल नहीं हैं।

अपने इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने सुझाव दिया है कि जो विधायक तीन बार से ज्यादा विधानसभा का सदस्य रह चुके हैं और उनकी छवि खराब हो गई है, तो फिर उन्हें टिकट से वंचित कर दिया जाय और उनकी जगह पर नये चेहरे को मौका दिया जाय।

लेकिन रमेश और चांडी उनसे सहमत नहीं। उन्हें लग रहा है कि सुधीरन प्रदेश की राजनीति में उन्हें कमजोर करने के लिए इस तरह की बात कर रहे हैं।

सुधीरन ने कुछ विधायकों के नाम भी गिनाए हैं और कहा है कि वे अनेक बार विधायक रह चुके हैं, पर उनकी छवि अब खराब हो गई है। इसलिए उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया जाय। जिन लोगों के नाम उन्होंने गिनाए हैं, उनमें से अधिकांश ओमन चांडी के गुट के हैं और कुछ रमेश चेनिंथाला के गुट के हैं।

सुधीरन उम्मीदवारों की एक सूची को लेकर दिल्ली पार्टी आलाकमान के पास पहुंचे हैं। उन उम्मीदवारों पर अंतिम फैसला दिल्ली में ही आलाकमान करेंगे। कहा जा रहा है कि सुधीरन के उस कदम को आलाकमान का भी समर्थन हासिल है। वह भी चाहता है कि केरल प्रदेश ईकाई में कांग्रेस के अंदर होने वाली गुटबाजी समाप्त हो और ऐसे लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिया जाय, जो किसी गुट के हिस्से में नहीं हों।

कांग्रेस की समस्या सिर्फ अपनी गुटबाजी तक ही सीमित नहीं है। इसे अपने सहयोगी दलों के साथ भी सीटों पर गठबंधन करना है और उसके लिए बातचीत चल रही है।

लगभग सभी सहयोगी इस बार पहले से ज्यादा सीटें चाहता है, जबकि कांग्रेस उनकी बढ़ी हुई मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं है। सबसे ज्यादा समस्या उसे केरल कांग्रेस (मणि) की ओर से आ रही है। उसे पिछली बार 15 सीटंे मिली थीे, लेकिन उसने अपनी मांग बढ़ाकर 17 कर दी है, पर कांग्रेस को लगता है कि उसे 15 सीटें दिया जाना भी उनके सामथ्र्य से बाहर है, क्योंकि उस पार्टी के अनेक नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।

उसी तरह आरएसपी और जनता दल (यूनाइटेड) की मांगें भी कांग्रेस को भारी पड़ रही है। दोनों अपनी ताकत से ज्यादा सीटें मांग रही है, जो कांग्रेस को मंजूर नहीं है।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग कांग्रेस के बाद यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट का दूसरा सबसे बड़ा घटक है। उसके कारण भी कांग्रेस को परेशानी हो रही है।

सीटों की संख्या ही नहीं, बल्कि किन क्षेत्रों से टिकट चाहिए, इसके लिए भी माथापच्ची हो रही है और सहयोगी दल उन सीटों की मांग कर रहे हैं, जिन्हें जीतना आसान लग रहा है। कुल मिलाकर कांगे्रस के लिए सीटों की समस्या बहुत बड़ी परेशानी का कारण बन रही है, क्योंकि कुछ घटक धमकी दे रहे हैं कि वे गठबंधन से बाहर जाकर यूडीएफ के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े कर सकते हैं। (संवाद)