रजनीकांत को विजयकांत ने ही चुनावी बहस में आने को मजबूर कर दिया। कैप्टन ने अपने एक भाषण में कह दिया था कि रजनीकांत की तरह उन्हें राजनीति में आने से डर नहीं लगता है। यह रजनीकांत के प्रशंसकों को अच्छा नहीं लगा और उन्होंने हमले शुरू कर दिए। विजयकांत की तो अपनी एक पार्टी है। उस पार्टी से वे चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ पार्टियों के गठबंधन के वे नेता हैं, र्जिन्हें गठबंधन ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश किया है। दूसरी तरफ रजनीकांत किसी पार्टी से जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद वे चुनाव में शामिल होने के लिए बाध्य हो रहे हैं। उन्हें अन्य सभी पार्टियां अपने लिए प्रचार करने को कह रही हैं। विजयकांत ने अबतक 150 फिल्मों में काम किया है और तमिलनाडु के लोग उन्हें ब्लैक एमजीआर कहते हैं।
तमिलनाडु के चुनाव में हमेशा फिल्मी मसाला रहता है। 1950 और 1960 के दशक से ही तमिलनाडु की राजनीति और फिल्मी दुनिया का संबंध रहा है। इस चुनाव में भी मुख्यमंत्री पद के तीनों दावेदार फिल्मों से जुड़े रहे हैं। करुणानिधि फिल्मी कथाएं लिखने के लिए मशहूर रहे हैं। मुख्यमंत्री जयललिता तमिल सिनेमा की सुपरहिट हिरोइन रही है और विजयकांत 150 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। एमजीआर तो फिल्मस्टार थे ही, उनकी पत्नी जानकी देवी, जो उनकी मौत के तुरंत बाद कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री बनी थीं, भी फिल्म स्टार थीं। जानकी देवी को तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है।
करुणानिधि के पहले सीएल अन्नादुरे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। वे भी फिल्मों से जुड़े हुए थे। फिल्मी संवादों में राजनीति वाले वाक्य डालने की शुरूआत अन्नादुरै ने ही थी। फिल्मों के द्वारा ही डीएमके ने प्रदेश में अनीश्वरवाद और तमिल राष्ट्रीयता का प्रचार किया था।
करुणानिधि ने फिल्मों के लिए गरीबों के पक्ष में और अमीरों के खिलाफ अनेक संवाद लिखे। उन्होंने इस तरह की अनेक पटकथाएं लिखीं। दूसरी तरफ एमजीआर ने ऐसे अभिनेता की भूमिका की, जो गरीबों के लिए अमीरों से लड़ता था। इसके कारण उन्हें बहुत लोकप्रियता मिली। करुणानिधि से विवाद होने के बाद जब उन्होंने डीएमके का विभाजन कर अन्ना डीएमके बनाई, तो लोगों ने उनका भरपूर सहयोग किया।
अब विजयकांत और रजनीकांत भी एमजीआर की तरह की भूमिकाएं फिल्मों में करते हैं। 1996 में रजनीकांत राजनीति में आते आते रह गए थे। नरसिंहराव से मुलाकात के बाद उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का मन बनाया था, लेकिन वे आखिरकार अंतिम कदम नहीं उठा सके। उन्होंने उस चुनाव में डीएमके और टीएमसी के गठबंधन का समर्थन किया था, जो चुनाव मंे विजयी रहा। उसके बाद से प्रत्येक चुनाव के पहले अटकलबाजी होती है कि रजनी राजनीति और चुनाव में शामिल होंगे या नहीं।
विजयकांत ने 2005 में अपनी पार्टी बनाई और 2006 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 10 फीसदी मत मिले। 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को मिले मतों की संख्या और भी बढ़ गई। 2014 के चुनाव में वे एनडीए में शामिल हो गए, लेकिन इसके बाद उनका वोट शेयर गिरकर 5 फीसदी हो गया। (संवाद)
तमिलनाडु चुनाव में पुराना फिल्मी नाच
विजयकांत बनाम रजनीकांत की पुरानी लड़ाई एक बार फिर
कल्याणी शंकर - 2016-04-22 09:37
तमिलनाडु का चुनावी संग्राम तेज हो रहा है और उसमें फिल्मी मसाला भी रंग भर रहा है। दो सिने अभिनेता भी आमने सामने खड़े हैं। एक तरफ अभिनेता से नेता बन चुके विजयकांत खड़े हैं, तो दूसरी तरह रजनीकांत खड़े हैं। दोनों के अपना अपना प्रशंसक समूह है। विजयकांत को उनके प्रशंसक कैप्टन कहते हैं। इसका कारण उनकी एक फिल्म का नाम कैप्टन प्रभाकरण था। वह फिल्म बहुत हिट हुई थी। उसके बाद ही लोग उन्हें कैप्टन कहने लगे। आज तमिलनाडु में कैप्टन के पास प्रशंसकों का सबसे बड़ा ग्रुप है। इस चुनाव के दौरान विपक्षी पार्टियों द्वारा कैप्टन की सबसे ज्यादा खोज की जा रही थी।