इस परियोजना के प्रभारी ने स्मार्ट सिटी वाले इलाके में रह रहे सरकारी कर्मचारियों को अपने घर खाली करने को कहा। उन्हें इसके लिए इस साल के जून तक का समय दिया है। घर खाली करने के नोटिस का सरकारी कर्मचारियों द्वारा भारी विरोध किया गया। उनके संगठन इसका विरोध करने कर रहे हैं। उस इलाके में करीब 1850 सरकारी कर्मचारी अपने परिवारों के साथ रह रहे हैं। इस इलाके को शिवाजी नगर और तुलसी नगर कहा जाता है।
स्मार्ट सिटी सरकारी कालोनियों की जगह ही बनाई जाएगी। परियोजना के अनुसार पहले से बने हुए घर गिराए जाएंगे। इन घरों को 1970 के दशक में बनाया गया था। वे घर इतने मजबूत हैं कि अगले 50 साल तक उनको कोई खतरा नहीं है और तबतक उनमें लोग रह सकते हैं। उन घरों की कीमत 50 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक है।
ये घर प्रदेश सचिवालय और अन्य सरकारी विभागों के बहुत नजदीक हैं। इसमंे शक है कि इन घरों में रहने वाले लोग उसी कीमत पर रहने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर पाएंगे। इसलिए जब घरो को खाली करने के लिए कहा गया, तो उस पर बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया आई। जिस अधिकारी ने घरों को खाली करने के लिए नोटिस जारी किया, वह मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा है। उसके खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त करने वालों में कैबिनेट के मंत्री, विधायक और भाजपा के कुछ अन्य नेता भी शामिल हैं।
सबसे कड़ी प्रतिक्रिया तो प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की ओर से व्यक्त की गई। उन्होंने सीधे सीधे मुख्यमंत्री पर ही हमला बोल दिया और कहा कि राज्य के इस विचार और संवेदनहीन रवैये की कटु आलोचना की जानी चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि मीडिया से मुझे पता चला है कि भोपाल नगर निगम से इस परियोजना के लिए लोगों का विश्वास हासिल नहीं किया था। स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए निगम के कर्मचारियों ने ही सुझाव दिए थे न कि निवासियो ने।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिवाजी नगर और तुलसी नगर में 30 हजार से 40 हजार पेड़ हैं। वे पेड़ पूरे भोपाल को स्मार्ट बनाते हैं। वे भोपाल को हरियाली प्रदान करते हैं और आॅक्सीजन बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस इलाके में हजारों सरकारी कर्मचारी अपने परिवार के साथ रहते हैं और उनमे से अधिकांश के पास रहने के लिए अपने मकान नहीं हैं। इस इलाके में अनेक व्यापारियों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियां चला रखी हैं। इसलिए यदि समार्ट सिटी परियोजना पर काम चला, तो ये सरकारी कर्मचारी और वे व्यापारी उजड़ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी योजना पर अमल के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं, बौद्धिक लोगों और अन्य व्यक्तियों की एक समिति बनाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उन घरों में रहने वाले लोगों को सरकार द्वारा ही वैकल्पिक आवास मुहैया कराया जाना चाहिए और उसके बाद ही उन्हें हटने के लिए कहा जाना चाहिए। उसके लिए सरकार द्वारा नये सरकारी मकान पहले बनाए जाने चाहिए।
हो रही तीखी प्रतिक्रिया को देखते हुए शिवराज सिंह चौहान को खुद बयान जारी करना पड़ा और उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को कहा कि जबतक उन्हें वैकल्पिक मकान नहीं मिले, तबतक वे अपने अपने घरों में बने रहें। उन्होंने सरकारी मकान बनाने की घोषणा भी कर डाली।
लेकिन मुख्यमंत्री पर्यावरण को क्षति होने वाली बात पर चुप्पी साध रखी है। उस परियोजना से 27 हजार पेड़ गिर जाएंगे। सामाजिक कार्यकर्ता कह रहे हैं कि इस इलाके को स्मार्ट सिटी के रूप में चुनने के पहले पर्यावरण को होने वाली संभावित क्षति का आकलन नहीं किया गया। (संवाद)
भोपाल का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट: पर्यावरणवादी कर रहे हैं विरोध
एल एस हरदेनिया - 2016-04-23 09:35
भोपालः भोपाल में भी एक स्मार्ट सिटी बनाने की मंजूरी मिली है। इस परियोजना की शुरूआत होना अभी बाकी है, लेकिन पहले से ही इसके खिलाफ माहौल बनने लगा है। कहा जा रहा है कि इसके कारण आसपास के इलाके के पर्यावरण की भारी क्षति होगी। इसलिए जिस इलाके में इसे बनाया जाना है, उस इलाके के लोग इसका विरोध कर रहे हैं।