वीएस पर मुख्यमंत्री के भड़कने का कारण विपक्ष के नेता का वह आरोप था, जिसमें उन्होंने कहा था कि चांडी सरकार भ्रष्टाचार में ऊपर से नीचे तक डूबी हुई है। उन्होंने कहा कि उस सरकार पर 136 केस हैं, जिनमें अकेले मुख्यमंत्री पर 31 केस हैं।
उस आरोप पर मुख्यमंत्री बहुत नाराज हुए और उन्होंने वीएस को उस गलतबयानी के लिए माफी मांगने के लिए कहा। उन्होंने धमकी दी कि उस बयान के लिए यदि वीएस ने माफी नहीं मांगी, तो वे उनपर अदालत में मानहानि का मुकदमा करेंगे और उनके खिलाफ चुनाव प्रचार के दौरान गलतबयानी कर लोगों को गुमराह करने का मामला निर्वाचन आयोग के पास भी ले जाएंगे।
लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने चुनौती स्वीकार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री उनके खिलाफ अदालत में मानहानि का दावा करने के लिए आजाद हैं। उन्होंने उन्हें मामले को निर्वाचन आयोग के पास ले जाने की भी चुनौती दे डाली।
दरअसल चांडी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ कुल 136 मुकदमे नहीं चल रहे हैं और न ही मुख्यमंत्री के खिलाफ 31 मुकदमें चल रहे हैं। सच यह है कि कुल 136 शिकायतें सरकार के खिलाफ हैं, जिनमें मुकदमे भी हैं और कुछ शिकायत ऐसे भी हैं, जिनसे संबंधित कोई मुकदमा किसी अदालत में इस समय नहीं चल रहा है।
यही बात मुख्यमंत्री के लिए भी सच है। उनके खिलाफ भी 31 मुकदमे नहीं हैं, बल्कि 31 शिकायतें या आरोप हैं। इसलिए तकनीकी रूप से मुख्यमंत्री का गुस्सा जायज है।
लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा उस पर उस आरोप पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करने और वीएस द्वारा उनकी चुनौती स्वीकार करने से चुनाव प्रचार के दौरान भ्रष्टाचार का मसला एक बार फिर केन्द्रीय मसला बन गया है।
चांडी सरकार के मंत्रियों पर अनेक मामले चल रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं। मुकदमों की संख्या भले उतनी नहीं हो, जितनी वीएस बता रहे थे, लेकिन इसमें तो सच्चाई है कि मुकदमे हैं और एक से एक गंभीर मुकदमे हैं। उन मुकदमों और उनकी संख्या पर बहस कराने से भी कांग्रेस और उसके नेतृत्व वाले यूडीएफ के खिलाफ माहौल बनने लगा है। और यह सब अच्युतानंदन द्वारा लगाए गए उस आरोप और आरोप पर मुख्यमंत्री द्वारा व्यक्त की गई तीखी प्रतिक्रिया के बाद ही हुआ है।
चुनाव प्रचार के दौरान भ्रष्टाचार का मसला धीरे धीरे हाशिए पर जा रहा था और शराब के बार बंद करने का मामला केन्द्र में आ गया था। इस मसले पर एलडीएफ रक्षात्मक मुद्रा में था। यूडीएफ शराबबंदी पर उसे अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कर रहा था और रुख स्पष्ट करने में एलडीएफ नेताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
इस बीच एकाएक भ्रष्टाचार का मुख्य मुद्दा बन जाना अच्युतानंदन की रणनीति की जीत है। यदि उस बयान को मुख्यमंत्री अदालत में ले जाते हैं, तो इससे फजीहत मुख्यमंत्री की ही होगी, क्योंकि भ्रष्टाचार के एक एक मामले पर लोगों की स्मृति में आने लगेंगे। (संवाद)
भारत: केरल
भ्रष्टाचार अब मुख्य मुद्दा बन गया है
अच्युतानंदन के जाल में फंस गए मुख्यमंत्री चांडी
पी श्रीकुमारन - 2016-04-28 09:43
तिरुअनंतपुरमः राजनीति में ज्यादा चतुराई दिखाने से हमेशा फायदा ही नहीं होता है। कभी कभी नुकसान भी हो जाता है। केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी को इस सच्चाई का अहसास हो गया होगा। वे चतुराई दिखाकर विधानसभा में विपक्ष के नेता वीएस अच्युतानंदन को धमका रहे थे, लेकिन उनका दांव उलटा पड़ रहा है।