उत्तर भारत के राज्यों में स्थिति अलग होती है। वहां कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के रूप में दो बड़ी पार्टियां हैं, जिनकी विचारधारा अलग अलग है। इसलिए लोगों के पास दो विचारधाराओं में से एक को चुनने का विकल्प रहता है। लेकिन दक्षिण के इस राज्य में स्थिति बिल्कुल विपरीत है। यहां न तो कंाग्रेस उनके सामने मुख्य विकल्प के रूप में मौजूद है और न ही भारतीय जनता पार्टी। तमिलनाडु की दोनों सबसे बड़ी पार्टियों की विचारधारा एक है।
तमिलनाडु की सत्ता से कांग्रेस दशकों पहले बाहर हो चुकी है। लेकिन वह किसी एक पार्टी के साथ मिलकर कुछ सीटें हासिल कर लेती थीं। इस तरह वह अपन आपको मुख्य धारा में बनाए रखती थी, पर अब तो वह पूरी तरह हाशिए पर चली गई है। उसे एक के बाद एक चुनाव हारती जा रही है।
पिछले लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस के उम्मीदवारों ने प्रदेश की 39 में से 38 सीटों पर अपनी जमानतें जब्त करा ली थी। उस चुनाव के बाद कांग्रेस को उस समय एक और झटका लगा, जब मूपनार के बेटे जीके वासन ने पार्टी छोड़ दी और अपनी पुरानी टीएमसी को एक बार फिर जिंदा कर दिया। अनेक कांग्रेस नेता पार्टी को छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गए हैं।
दशकों पहले डीएमके को विभाजित कर तमिल फिल्मों के नायक एमजीआर ने एक नई पार्टी बनाई थी। उस पार्टी का नामकरण उन्होंने अन्नादुरै के नाम पर किया था। अन्नादुरै ही डीएमके के संस्थापक थे। एमजीआर ने अपनी पार्टी का नाम आल इंडिया अन्नाडीएमके रखा था। उस पार्टी के गठन के बाद तमिलनाडु में मुख्य विपक्ष की भूमिका से भी कांग्रेस बेदखल कर दी गई थी।
दोनों तमिल पार्टियों ने अपना अपना अलग वोट बैंक तैयार कर लिया था। दोनों पार्टियां बारी बारी से वहां सरकारें बनाती रहीं। वे बारी बारी से कांग्रेस के साथ जुडती रहीं और केन्द्र में भी कांग्रेस का सहयोग करती रहीं।
केन्द्र की राजनीति में गठबंधन के दौर में दोनों पार्टियों ने कांग्रेस और भाजपा के साथ मिलकर केन्द में भी सत्ता की भागीदारी की है।
पिछले कुछ समय से डीएमके की स्थिति खराब हो रही है। इसका एक कारण तो इसके नेता करुणानिधि का उम्रदराज होना है। वे 93 साल के हो चुके हैं और अधिक उम्र के कारण उनका स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं रहता है। इसके अलावा उनकी विरासत को लेकर उनके बेटों के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है। इसके कारण पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है। भ्रष्टाचार के आरोपों में करुणानिधि के परिवार के सदस्यों के फंसने के कारण भी उनकी अपील कमजोर पड़ने लगी है।
दूसरी तरफ जयललिता भ्रष्टाचार के मामलों का सामना करने के बावजूद मजबूत बनी हुई है। सजा पाकर तो वह जेल भी जा चुकी हैं, लेकिन हाई कोर्ट से वरी होकर एक बार फिर मुख्यमंत्री बनी हुई हैं, जबकि उनका मामला अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। मुकाबला करुणानिधि और जयललिता के बीच ही है। (संवाद)
तमिलनाडु की राजनीति में गर्मी आई
जया और करुणा फिर आमने सामने
हरिहर स्वरूप - 2016-05-04 01:19
पांच राज्यों में हो रहे विधानसभाओं के आम चुनाव में तमिलनाडु के चुनाव सबसे ज्यादा दिलचस्प हैं। लोगों के सामने चुनौती यह है कि दो तमिल पार्टियों मे से वे किसका चुनाव करें, क्योंकि दोनों पार्टियो के नेता भ्रष्टाचार मे गर्दन तक डूबे हुए हैं। दोनों पार्टियो ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए एक से बढ़कर एक प्रलोभन दिए हैं। दोनों अपने विपक्षियों को रौंदने के लिए सभी तरीके आजमा रहे हैं।