पार्टी के टिकटों के बंटवारे में भी मायावती ने अन्य दलों को पछाड़ दिया है। उन्होने लगभग सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। उम्मीदवारों की कोई अधिकृत सूची उन्होंने मीडिया को जारी नहीं की है, लेकिन जिन लोगों को टिकट मिलने वाले हैं, उन सभी लोगों को बता दिया गया है और वे सभी अभी से ही अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में लोगों के बीच काम कर रहे हैं। बीच बीच में कुछ उम्मीदवारों को बदला भी जा रहा है, लेकिन वैसे उम्मीदवारों की संख्या कम है और बदल दिए जाने के डर से शेष उम्मीदवार गंभीरता से अपने अपने क्षेत्रों में चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं।

बहुजन समाज पार्टी आक्रामक तौर से मुस्लिम कार्ड खेल रही है। वह भारी संख्या में मुसलमानों को उम्मीदवार बना रही है। मुसलमानों के साथ साथ मायावती ब्राह्मणों को भी खुश रखने में कोई कोर कसर नहीं दिखा रही है। मायावती अपना ज्यादा समय दिल्ली में बिताती हैं, लेकिन आजकल वे बार बार लखनऊ आ रही हैं। वे चुनावी तैयारियो की लगातार निगरानी कर रही हैं।

मायावती ने अबतक अपनी पार्टी के नेताओं की अनेक बैठकों को संबोधित किया है। वे जिला और नगर ईकाइयों के पदाधिकारियों से बैठकें कर रही हैं। पार्टी समन्वयकों के साथ भी वह लगातार संपर्क में है। पार्टी के अंदर अनेक बदलाव हुई हैं। वह वैसे लोगों को महत्व दे रही हैं, जो पार्टी को जीत दिला सकते हैं और उन्हें यदि लगता है कि कोई व्यक्ति पार्टी के काम का नहीं है, तो उसे वे पार्टी के पद से हटा देती हैं।

मायावती प्रदेश एक अनेक जातियों और समूहों के लोगों के साथ भी संपर्क में हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को भाईचारा बैठकें आयोजित करने के लिए कह रखा है। उन बैठकांे के आयोजकों से संपर्क बनाकर वह खुद भी सभी जातियों और समूहों पर नजर जमाए बैठी हैं।

सतीशचन्द्र मिश्र पार्टी के ब्राह्मण चेहरा हैं, जबकि नसीमुद्दीन सिद्दकी मुस्लिम चेहरा। वह अन्य पिछड़े वर्गों में आने वाली जातियों को भी अपनी ओर खींचने की लगातार कोशिश कर रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दलितों को अपनी ओर खींचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और उसके लिए उन्होंने अभियान चला रखा है, लेकिन मायावती को उसकी परवाह नहीं है। वे इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि दलित मतदाता भाजपा की ओर नहीं नहीं जाने वाले।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी दलित वोटों को फिर से कांग्रेस के पाले में लाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए कांग्रेस ने एक दलित सम्मेलन का आयोजन भी किया और प्रदेश भर के कांग्रेसी दलित नेताओं ने उस सम्मेलन में हिस्सा लिया। राहुल गांधी ने वायदा किया कि पार्टी के अंदर दलित नेताओं को महत्वपूर्ण पदों पर रखा जाएगा।

समाजवादी पार्टी भी दलितों को लुभाने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अंबेडकर एक बहुत बड़ी प्रतिमा बनाने की घोषणा की है और उन्होंने दलितों के लिए रोजगार सृजन का वायदा किया है। (संवाद)