वीएस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब बात चुनाव प्रचार को हो, तो वे अन्य सभी नेताओं से हटकर हैं। उनकी सभा में भारी भीड़ उमड़ती है और इससे पता चलता है कि लोगों के बीच वे कितने लोकप्रिय हैं। आज केरल के चुनाव प्रचार में जितने भी नेता लगे हुए हैं, उनमें से कोई भी अच्युनानंदन जितनी भीड़ आकर्षित नहीं कर रहा है।
अच्युतानंदन की लोकप्रियता का लोहा सीपीएम में उनके धुर प्रतिद्वंद्वी पी विजयन को भी मानना पड़ा। वीएस के विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए विजयन ने कहा कि उनकी पार्टी के सुपरस्टार प्रचारक अच्युतानंदन ही हैं और उनकी मास अपील से पार्टी को सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है। विजयन ने अच्युतानंदन की इस तरह प्रशंसा पहली बार की है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि आपलोग यह सुनिश्चित करें कि वीएस अपने विधानसभा क्षेत्र से भारी बहुमत से यह चुनाव जीतें।
विजयन के उस भाषण का लोगों पर जबर्दस्त असर पड़ा है। पार्टी के नेताओं और कार्यकत्र्ताओं में उत्साह की नई लहर दौड़ी है।
एक और बात अच्युतानंदन के महत्व को रेखांकित करती है और वह बात है कांग्रेस के नेताओं द्वारा अच्युतानंदन को ही अपना सबसे बड़ा निशाना बना। मुख्यमंत्री ओमान चांडी से लेकर ए के अंटोनी तक अपने भाषणों में सबसे ज्यादा हमला अच्युतानंदन पर ही कर रहे हैं। इस क्रम में वे पी विजयन और अन्य नेताओं को बख्स रहे हैं। कांग्रेस के नेता निजी बातचीत में यह स्वीकार करते हैं कि अच्युतानंदन की लोकप्रियता उन सबके ऊपर भारी पड रही है।
सिर्फ चुनावी भाषणों में ही वीएस अपने विरोधियों पर भारी नहीं पड़ रहे हैं, बल्कि चुनावी बहसों में भी वे अपने प्रतिद्वंद्वियों को रक्षात्मक होने के लिए मजबूर कर देते हैं और कभी कभी तो उन्हे निरुत्तर भी कर देते हैं। अच्युतानंदन की इस कला का शिकार मुख्यमंत्री ओमन चांडी भी हो चुके हैं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुधीरन भी हो चुके हैं। अच्युतानंदन के कटाक्षों के शिकार एसएनडीपी के महासचिव वेल्लापल्ली नतेशन भी हो चुके हैं। गौरतलब हो कि नतेशन वीएस के चुनाव क्षेत्र में पिछले कई दिनों से सक्रिय है और उन्हें पराजित करने के लिए अपनी सारी शक्ति झोक रहे हैं।
अपनी खास शैली मे वीएस ने चुनाव अभियान की पहल भी अपने विरोधी यूडीएफ के हाथों से छीन ली है। पहले यूडीएफ एलडीएफ पर हावी हो रहा था, लेकिन एलडीएफ को अब अच्युतानंदन के कारण चुनाव अभियान में बढ़त हासिल हो गई हैं वह अब चुनावी एजेंडा निर्धारित करने लगे हैं। अच्युतानंदन ने चांडी सरकार के भ्रष्टाचार को अब मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने में सफलता हासिल कर ली है। चांडी खुद अच्युतनांनद के जाल में फंस गए। अच्युतानंदन ने चांडी और उनकी सरकार के मंत्रियों के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोपों की संख्या को मुकदमों की संख्या बताकर हमला किया और चांडी ने इसके कारण अच्युतानंदन के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर दिया। इसके बाद तो भ्रष्टाचार के मुकदमों और आरोपों को लेकर पूरे प्रदेश मे चर्चा शुरू हो गई और उनकी गणना भी की जाने लगी कि जो संख्या अच्युतानंदन ने बताई हैं वह सही है या गलत। इस क्रम में भ्रष्टाचार पर प्रदेश व्यापी चर्चा चल रही है और यह चुनाव का मुख्य मुद्दा बन गया है। (संवाद)
अच्युतानंदन होने का मतलब
केरल विधानसभा चुनाव के सुपरस्टार
पी श्रीकुमारन - 2016-05-05 11:55 UTC
तिरुअनंतपुरमः केरल में करो या मरो का चुनाव हो रहा है और इस चुनाव में अनेक स्टार प्रचारक हैं, लेकिन उनमें सिर्फ एक ही सुपरस्टार प्रचारक हैं और वे हैं पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन। उनकी उम्र 93 साल की है और वे पिछले 70 साल से राजनीति में सक्रिय हैं।