अगले कुछ दिनो मे विधानसभा चुनावों के मतदान होने वाले हैं और उसके ठीक पहले हुई इस घटना ने मुख्यमंत्री चांडी और उनके नेतृत्व वाले यूडीएफ को अंदर से हिला दिया है। इस घटना के बाद विपक्ष का हमला और भी तेज हो गया है। सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं के लिए पूछे जा रहे सवालों का जवाब देना आसान नहीं लग रहा है।
सत्तारूढ़ गठबंधन भ्रष्टाचार और कुशासन को लेकर पहले ही सवाल के घेरे में थी। भ्रष्टाचार के मसले पर एलडीएफ के हमले का सामना यूडीएफ नहीं कर पा रहा था। खुद मुख्यमंत्री के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो गया है। उसका फायदा सीपीएम के नेतृत्व वाला एलडीएफ उठाने की भरपूर कोशिश कर रहा था, जिसमें वह सफल भी हो रहा था।
इस बीच एक दलित लड़की के साथ हुआ यह अपराध मुख्यमंत्री और उनके मोर्चे के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। एलडीएफ ही नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी भी सरकार को घेरने में लगी हुई है। केन्द्र सरकार भी प्रदेश की चांडी सरकार पर दबाव बना रही है। केन्द्र के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यदि प्रदेश सरकार इस घटना की सीबीआई जांच की मांग करती है, तो केन्द्र इसके लिए तैयार है।
दरअसल दलित लड़की की हत्या कांड में प्रशासन ने एक से बढ़कर एक गलती की। यदि पुलिस प्रशासन संवेदनशील होता, तो वह कांड होता ही नहीं, क्योंकि एक कमरे के मकान में रहने वाली मां-बेटी ने पहले ही पुलिस को बता दिया था कि उसके साथ कुछ बुरा होने वाला है, लेकिन पुलिस ने समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की। यदि उसे सुरक्षा दे दी जाती, तो वह कांड होता ही नहीं।
उस कांड के होने के बाद भी पुलिस का रवैया बहुत ही गैरजिम्मेदाराना रहा। इसका नतीजा है कि यह समाचार लिखे जाने तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। जो टीम जांच कर रही थी, वह किसी नतीजे पर पहुंच नहीं पा रही थी। यही कारण है कि अब जांच के लिए नई टीम बना दी गई है।
बलात्कार और हत्या के बाद अपराधियों को पकड़ने और सबूत इकट्ठी करने के बदले पुलिस ने जो रवैया अपनाया, उससे सबूत मिटते चले गए। सबसे पहले तो जहां यह घटना घटी थी, उस जगह को सील नहीं किया गया। इसके कारण वहां लोगों के आने जाने के कारण अनेक साक्ष्य मिट गए।
पोस्ट मार्टम करते समय भी गड़बड़ियां की गईं। पुलिस के डाॅक्टर द्वारा पोस्ट मार्टम किया जाना चाहिए था, लेकिन यह काम एक पोस्ट ग्रेडुएट डाॅक्टर स्टूडेंट से कराया गया। पोस्ट माॅर्टम की विडियो रिकाॅर्डिंग भी नहीं कराई गई, जो कानूनन अनिवार्य है।
पोस्ट माॅर्टम के बाद आनन फानन में लड़की का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। ऐसा करके दुबारा पोस्ट माॅर्टम की संभावना को भी समाप्त कर दिया गया। पुलिस कहती है कि इसके लिए लड़की के परिवार वाले जिम्मेदार हैं और उन्होंने ही हड़बड़ी दिखाई, लेकिन अब बात सामने यह आ रही है कि पुलिस ने ही परिवार के लोगों को फटाफट अंतिम क्रियाकर्म करने के लिए कहा था। (संवाद)
यूडीएफ की हार की चिंता और बढ़ी
पी श्रीकुमारन - 2016-05-09 17:52
तिरुअनंतनपुरमः ओमन चांडी सरकार फिर से वापसी करने के लिए अपनी सारी ताकत लगाने के बावजूद अपने आपको आश्वस्त नहीं पा रही थी और इस बीच एक दलित लड़की के साथ बलात्कार और उसके बाद हुई उसकी हत्या ने मुख्यमंत्री का काम और भी कठिन कर डाला है।