पिछले 50 साल में प्रदेश की राजनीति में जबर्दस्त बदलाव आया है। आज जिस तरह की उथल पुथल मची हुई है, वैसी पिछले 5 दशकों के दौरान कभी नहीं रही। 93 साल के करुणानिधि एक बार फिर लोगों से मुख्यमंत्री बनने के लिए वोट मांग रहे हैं, जबकि करिश्माई जयललिता एक बार फिर मुख्यमंत्री की शपथ लेने के लिए जोर आजमाईश कर रही है।

तमिलनाडु विधानसभा में 234 सीटें हैं। उनके लिए 5 पक्ष चुनाव लड़ रहे हैं। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों की संख्या बहुतायत है और इस बार सबकी नजरें उन मतदाताओं पर टिकी हैं, जो पहली बार विधानसभा चुनाव में वोट डालेंगें

करूणानिधि और जयललिता दोनों के लिए ’अभी नहीं तो कभी नहीं’ का सवाल है। करूणानिधि 93 साल के हो गए हैं और बहुत संभावना है कि वे अंतिम बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। जयललिता उम्र मंे करुणानिधि से काफी कम हैं, लेकिन वे बीमार रहती हैं। इसलिए उनके लिए भी ’अभी नहीं तो कभी नहीं’ का सवाल मुह बाए खड़ा है।

ये ब्रांड की राजनीति हो रही है। मुफ्त में कुछ न कुछ देने की घोषणाएं की जा रही हैं। शराबबंदी के वायदे किए जा रहे हैं। किसानों के हितों की भी बात की जा रही है और गरीबों के लिए रोना रोया जा रहा है।

भारतीय जनता पार्टी भी तमिलनाडु में अपनी राजनीति के लिए जमीन तैयार करने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद इसके लिए काफी प्रयास कर रहे हैं। पिछले 6 मई को अपने एक चुनावी भाषण में श्री मोदी प्रदेश में सुशासन की बात कही। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में सुशासन तभी हो सकता है, जबकि प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां सत्ता से बाहर हों, क्योंकि दोनों भ्रष्टाचार में गले तक डूबी हुई हैं।

श्री मोदी ने दोनों तमिल नेताओं का नाम नहीं लिया, लेकिन बिना नाम लिए उन्होंने दोनों पर जबर्दस्त हमले किए। लोगों को पता चल रहा था कि मोदी के हमले किन पर हो रहे हैं। पिछले साल दिसंबर में जब आंधी और तूफान के साथ बाढ़ आई थी, तो केन्द्र ने सबसे पहले राहत काम शुरू किया था। इस तरह का दावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने चुनावी भाषण में किया।

बाढ़ में राहत पहुंचाने के मसले पर जयललिता को सबसे ज्यादा हमलों का सामना करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबसे ज्यादा हमलावर दिखे, लेकिन हमला करने वाले वे अकेले व्यक्ति नहीं हैं। करुणानिधि भी उस मसले पर हमला कर रहे हैं और राहुल व सोनिया ने भी दिसंबर की बाढ़ का मुद्दा बना डाला है।

राहुल गांधी ने प्रदेश के औद्योगिक पिछड़ापन के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु पर 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।

तमिलनाडु में कांग्रेस का विभाजन हो गया है। वासन ने अपने तमिल मणिला कांग्रेस को फिर से जिंदा कर लिया है और वे तीसरे मोर्चे में शामिल हो गए हैं। तीसरे मोर्चे मे 6 पार्टियां शामिल हैं और उस मोर्चे का नेतृत्व डीएमडीके के नेता विजयकांत कर रहे हैं। उसमें सीपीआई और सीपीएम भी शामिल हैं। वाइको के एमडीएमके भी है, तो दलित नेता तिरुमावलवन की वीसीके भी है। इस तीसरे मोर्चे की सफलता इसके नेता विजयकांत की लोकप्रियता पर निर्भर करता हैं

पीएमके इस बार अकेली चुनाव लड़ रही है। एस रामदाॅस के बेटे अंबुमणि रामदाॅस मुख्यमंत्री पद के दावेदार बने हुए हैं। उत्तरी तमिलनाडु के वनियार बहुल इलाके में इसका असर है, लेकिन अब अंबुमणि कह रहे हैं कि उनकी पार्टी सिर्फ वनियारों की पार्टी नहीं है, बल्कि इसमें सब लोग हैं और यह सबकी पार्टी है।

यानी दो मुख्य दावेदारों के अलावा तीन और सत्ता के दावेदार हैं और यह कहना अब आसान नहीं है कि चुनाव के नतीजे क्या होंगे। (संवाद)