बनारस की जनसभा बहुत सफल रही। नीतीश द्वारा संबोधित की गई सभा में लोगों की उपस्थिति अच्छी खासी थी। इसके कारण प्रदेश के अन्य नेताओं की नींद हराम हो गई हैं। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नेता इसके कारण परेशान हो रहे हैं।

नीतीश की इस सभा से परेशानी का सबसे बड़ा सबब उनके द्वारा नशाबंदी के लिए किया गया आहवान है। वे उत्तर प्रदेश के चुनाव में नशाबंदी को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाने वाले हैं। अन्य पार्टियों को यह समझ में नहीं आ रहा कि वे इसकी काट कैसे करेंगे।

गौरतलब हो कि जब बिहार में नीतीश कुमार ने नशाबंदी की घोषणा की तो उन्हें वहां जबर्दस्त समर्थन मिला। उन्हें बिहार में ही नहीं, देश भर में इसके लिए समर्थन मिल रहा है।

नीतीश कुमार की नजर उत्तर प्रदेश के कुर्मी मतदाताओं पर है, जिनकी संख्या प्रदेश में अच्छी खासी है। अनेक विधानसभाओं में तो उनकी भूमिका निर्णायक होती है। नीतीश कुमार भी कुर्मी जाति के ही है। उत्तर प्रदेश में कुर्मी यादवों के बाद दूसरे नंबर की सबसे ज्यादा ताकतवर जाति है।

मुख्यमंत्री अखिलेश कुमार भी कुर्मी जाति के लोगों को अपनी ओर खींचने मे लगे हुए हैं। बेनी प्रसाद वर्मा कुर्मी जाति हैं और वे एक बार फिर समाजवादी पार्टी में आ गए हैं। उन्हें मुलायम सिंह यादव ने राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाया है।

नीतीश कुमार इस बात को महसूस कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में कुर्मियों को राजनैतिक दलों द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में ज्यादातर कुर्मियों ने भारतीय जनता पार्टी को नरेन्द्र मेादी के ओबीसी होने के कारण वोट दिया था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी उनके नेताओं को तवज्जो नहीं दे रही है। विनय कटियार और ओमप्रकाश सिंह कुर्मी हैं और भारतीय जनता पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं में गिने जा रहे हैं, लेकिन उन्हें पार्टी के अंदर दरकिनार कर दिया गया है। उन्हें सरकार में भी जगह नहीं दी गई है।

नीतीश कुमार ने नरेन्द्र मोदी को शराबबंदी के मसले पर चुनौती दे रखी है। भारतीय जनता पार्टी को डर लग रहा है कि नीतीश कुर्मियों को अपनी ओर खींच सकते हैं। अजित सिंह के साथ समझौते का डर भी भाजपा को सता रहा है।

कुर्मियों को शिकायत है कि उनके दावे को खारिज करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने एक कुशवाहा को पार्टी की प्रदेश ईकाई का अध्यक्ष बना दिया है।

बनारस की सभा से उत्साहित होकर नीतीश कुमार ने पूरी ताकत के साथ उत्तर प्रदेश का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने अन्य समान विचारों वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करने का भी एलान कर दिया है। नीतीश कुमार की नजर कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर भी है।

बेनी प्रसाद को पार्टी में लेकर राज्यसभा का सदस्य बना देने के पीछे भी नीतीश कुमार से मुलायम को मिलने वाली चुनौती ही है। (संवाद)