भाजपा द्वारा भय की राजनीति में केरल के कार्यकत्र्ता ही नहीं, बल्कि केन्द्रीय नेता भी शामिल हो गए हैं और केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद तो खुली धमकी पर भी उतर आए हैं। वे वाम पार्टियों के लोगोे को धमकाने वाले अंदाज में कह रहे हैं कि केन्द्र में और अन्य अनेक राज्यों में उनकी पार्टी की सरकार है और वे उसका इस्तेमाल कर उनके (वामपंथियों के) ठिकाने लगा देंगे।

इस तरह की बयानीबाजी किसी नेता को शोभा नहीं देती और जब वह नेता केन्द्र का मंत्री हो, तब तो यह अत्यंत ही अशोभनीय है। श्री प्रसाद को अपने जुबान पर लगाम लगानी चाहिए और उन्हें यह समझना चाहिए कि इस तरह के बयानो से केरल की जनता तो डरेगी नहीं, उल्टे उनका मजाक उड़ेगा।

रविशंकर प्रसाद कह रहे हैं कि केरल की विजय से उत्साहित होकर वामपंथी उनकी पार्टी के लोगों पर हमल कर रहे हैं, पर सच्चाई यह है कि भाजपा के लोग ही वामपंथी कार्यकत्र्ताओं और अपने अन्य राजनैतिक विरोधियो के खिलाफ आक्रामक हो रहे हैं।

केरल प्रदेश सीपीएम के सचिव के बालकृष्णन ने रविशंकर प्रसाद के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि हमले उनकी पार्टी के लोग नहीं कर रहे हैं, बल्कि भाजपा के लोग ही उनकी पार्टी के लोगों पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकत्र्ताओं ने धर्मादम में उनकी एक पार्टी कार्यकत्र्ता की हत्या कर दी। गौरतलब हो कि धर्मादम मुख्यमंत्री पी विजयन का विधानसभा क्षेत्र है, जहां से वे चुनाव जीतकर आए हैं।

बालकृष्ण ने कहा कि भाजपा के लोगों ने सीपीआई विधायक चन्द्रशेखरन पर भी हमला किया। चन्द्रशेखरन कन्हानगढ़ से विजयी हुए हैं। भाजपा कार्यकत्र्ताओं ने सीपीएम के नेमम दफ्तर में भी तोड़फोड़ की और उसे ध्वस्त कर डाला। गौरतलब हो कि नेमम से ही भाजपा के एकमात्र प्रत्याशी ओ राजगोपाल चुनाव जीत सके हैं।

भारतीय जनता पार्टी न केवल वामपंथी नेताओं और कार्यकत्र्ताओं को धमका रही है, बल्कि प्रदेश की नवगठित सरकार को भी धमका रही है। इससे ज्यादा निंदनीय बात और क्या हो सकती है कि जिस सरकार को जनता ने गठित किया है, उसे केन्द्र का एक मंत्री केन्द्र में अपनी सरकार होने की याद दिलाकर धमका रही हो।

भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में सीपीएम आॅफिस के सामने प्रदर्शन किया। वह प्रदर्शन भी हिंसक हो गया था। भारतीय जनता पार्टी को जवाहरलाल नेहरू की घटनाओं से सीख लेनी चाहिए। उत्तराखंड में उसकी जो दुर्गति हुई, उस दुर्गति से भी उसने कुछ नहीं सीखा है।

हिंसा में लिप्त होने की बजाय भारतीय जनता पार्टी को केरल के अपने नेता ओ राजगोपाल से सीख लेनी चाहिए। पी विजयन के मुख्यमंत्री बनने के पहले उन्होंने उनके पास जाकर उनसे मुलकात की और उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि केरल की सरकार के साथ वे जनता की भलाई के कामों के लिए सहयोग करेंगे। भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व जो कर रहा है वह प्रधानमंत्री के सहयोगी संघवाद के वायदों के भी खिलाफ है। (संवाद)