ओमप्रकाश चैटाला के दल ने पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति बहुत बेहतर कर ली थी। 2004 में उसे सिर्फ 9 सीटें हासिल हुई थीं, जो 2009 के चुनाव में बढ़कर 31 हो गई। यदि भाजपा के साथ दल का चुनावी गठबंधन हो जाता, तो वह गठबंधन सत्ता में भी आ सकता था। कांग्रेेस तो चुनाव हार ही गई थी, लेकिन निर्दलीयों के समर्थन से उसने बहुमत जुटाकर अपनी सरकार बना ली और बाद में भजनलाल की पार्टी के 6 में से 5 विधायकों को तोड़कर और उसे अपने में मिलाकर खुद का बहुमत भी हासिल कर लिया।

इस तरह कांग्रेस की सरकार बन गई और नवगठित सरकार ने स्थायित्व भी प्राप्त कर लिया है, लेकिन मुख्यमंत्री भूपींदर सिंह हुड्डा की परेशानियां समाप्त नहीं हुई हैं। पिछली विधानसभा में विपक्ष बहुत कमजोर था, लेकिन इस बार विपक्ष बहुत मजबूत है। सरकार विपक्ष की मजबूती की बानगी विधानसभा के सत्र के दौरान देख चुकी है।

एलनाबाद के उपचुनाव ने भी मुख्यमंत्री को निराश किया है। वहां मुख्यमंत्री ने चुनाव प्रचार के दौरान अपनी पूरी ताकत उस सीट को जीतने में झोक दी। कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ी, लेकिन फिर भी चैटाला उम्मीदवार को पराजित नहीं किया जा सका। यह सच है कि उस सीट पर विधानसभा के आमचुनाव में भी चैटाला की ही जीत हुई थी, लेकिन जिस स्तर पर हुड्डा ने वह चुनाव जीतने की कोशिश की, उससे वहां की हार कांग्रेस को गमगीन करने वाली ही रही।

मुख्यमंत्री हुड्डा की समस्या प्रशासन के मोर्चे पर भी है। अपने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री ने विकास कार्यो पर बहुत ज्यादा खर्च किया था। उस खर्च का असर खजाने पर अभी भी दिखाई पड़ रहा है। वित्तीय संसाधनों की कमी हो गई है। पैया कहां से आए, यह सवाल महत्वपूर्ण हो गया है। देखना है कि मुख्यमंत्री वित्तीय संकट से कैसे निजात पाते हैं और कहां से खजाना भरते हैं।

ओमप्रकाश चैटाला की पार्टी मुख्य विपक्षी दल है। सरकार को वह महंगाई, कानून व्यवस्था और विकास कार्यों के अभाव के मसले पर घेरने की कोशिश भी कर रही है, लेकिन उसकी समस्या यह है कि सरकार को घेरने में वह अकेली पड़ रही है। अन्य विपक्षी दलों की हालत बेहद खराब है। 6 में से 5 विधायक ेके कांग्रेस में चले जाने के बाद भजन लाल की पार्टी स्तब्ध है। बसपा भी ठंढी पड़ी हुई है और भाजपा में भी किसी तरह का उत्साह नहीं रह गया है। यानी मुख्य विपक्षी दल के रूप में चैटाला के दल की एक समस्या अन्य विपक्षी दलों को भी सरकार के खिलाफ सक्रिय बनाने की है।

उधर चैटाला के दोनों बेटों के खिलाफ सीबीआई ने आय से अघिकर संपत्ति होने का मुकदमा जड़ दिया है। खुद चैटाला के खिलाफ भी सीबीआई की जांच चल रही है। जांच एजेसी ने विधानसभा के अध्यक्ष से उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है। अनुमति मिलने के बाद उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हो जाएगा। (संवाद)