मध्यप्रदेश से तीन सीटों के लिए चुनाव हो रहे थे। भारतीय जनता पार्टी उन तीनों सीटों पर कब्जा करना चाहती थी। इसके लिए उसने तीन उम्मीदवार खड़े कर दिए थे, जबकि उसके पास सिर्फ दो उम्मीदवारों को जिताने लायक विधायक थे।
मध्यप्रदेश विधानसभा में कुछ 230 सदस्य हैं और जीतने वाले उम्मीदवार को 58 वोट चाहिए थे। दो उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के बाद भारतीय जनता पार्टी के पास सरप्लस 49 विधायकों के ही वोट थे। जाहिर है, तीसरे उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए उसे 11 अन्य विधायकों के मतों की जरूरत थी।
भारतीय जनता पार्टी ने ये 11 मत हासिल करने के लिए अपनी सारी ताकत लगा दी। वे गैर भाजपा विधायकों को अपनी ओर करने के लिए सारे तिकड़म आजमा रहे थे। वे कांग्रेस के विधायकों पर भी डोरे डाल रहे थे। लेकिन उनकी तमाम कोशिशें नाकाम रहीं और वे अपनी तीसरे उम्मीदवार को जीत नहीं दिला सके, क्योंकि कांग्रेस एकजुट होकर तन्खा के समर्थन में खड़ी थी।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस अनेक गुटों में बंटी हुई है। इसके कारण लग रहा था कि कहीं भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के कुछ विधायकों का वोट पाने में सफल न हो जाए। लेकिन कमलनाथ ने तन्खा के चुनाव की बागडोर संभाल रखी थी। वे कांग्रेसियों को एकजुट रखने में सफल रहे और इस तरह तन्खा की जीत और भाजपा की हार हो गई।
भारतीय जनता पार्टी राज्यसभा में अपने और अपने समर्थकों की संख्या बढ़ाने के लिए बहुत ही प्रयत्नशील थी। यही कारण है कि उसने अपने ताकत से ज्यादा उम्मीदवार अन्य अनेक राज्यों में खड़े कर रखे थे। कहीं कहीं वह निर्दलीय को भी समर्थन कर रही थी। कुछ राज्यों में उसकी दाल गली भी, पर मध्यप्रदेश में उसे निराशा हाथ लगी। उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में भी उसे निराशा हाथ लगी।
विवेक तन्खा की जीत के बाद कांग्रेसियों में जश्न का माहौल है और कांग्रेस का आलाकमान अब मध्यप्रदेश को भी गंभीरता से लेने लगा है। इस चुनाव की जीत का श्रेय कमलनाथ को जाता है, जिसे आलाकमान ने तन्खा को जीत दिलवाने की जिम्मेदारी सौंप रखी थी। इस जीत के बाद कमलनाथ और उनके समर्थकों मंे भारी उत्साह का माहौल है।
कहा जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की बागडोर कमलानाथ के हाथ में सौंपी जा सकती है और उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया जा सकता है।
जब इस बाबत पत्रकारों ने तन्खा से पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें किसी पद की तमन्ना नहीं है, लेकिन वे चाहेंगे कि मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के तहत बदहाली का जो माहौल है, वह समाप्त हो और इसके लिए जो भी कुछ संभव होगा वे करेंगे।
विवेक तन्खा ने अपनी जीत के लिए बसपा प्रमुख मायावती को भी धन्यवाद किया। बसपा के 4 विधायकों के मत भी उन्हें ही मिले। उन्होंने बसपा के समर्थन को अपन लिए महत्वपूर्ण माना। गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी बसपा ने कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने मे भूमिका निभाई है। (संवाद)
कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में दी भाजपा को चुनौती
राज्य सभा में कांग्रेस के विवेक तन्खा की जीत
एल एस हरदेनिया - 2016-06-16 17:50
भोपालः लंबे अरसे के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेसजनों ने जश्न मनाया। वह जश्न था कांग्रेस के राज्य सभा प्रत्याशी विवेक तन्खा की जीत का। तन्खा ने भाजपा के उम्मीदवार को हरा कर एक शानदार जीत हासिल की और यह संभव हुआ कांग्रेस की एकता के कारण।