घोटाले की शुरुआत विद्यालय के प्रवेश के समय ही हो जाती है। वे छात्रों को बेहतर जाॅब अवसर और उज्ज्वल भविष्य का वादा करते हैं और नामांकन के समय ही छात्र से 50 हजार रुपये तक ही अतिरिक्त राशि वसूल लेते हैं। लड़कियों से कुछ ज्यादा ही राशि वसूली जाती है, क्योंकि ज्यादा अंक और बेहतर रैंक लाने से उनकी शादी कुछ आसान हो जाती है। लेकिन कभी कभी वे लड़कियों को कुछ छूट भी दे देते हैं। ऐसा वे अपनी संस्था की बेहतर छवि के लिए करते हैं।

इस काॅकस ने मिलकर इंटरमीडियट परीक्षा के नतीजों को ही बदल डाला। उनके कारण मेरिट लिस्ट प्रभावित हो गया। वे पिछले 6 सालों से ऐसा कर रहे हैं और उनकी हरकतों के कारण जिन्हें टाॅप करना चाहिए, वे टाॅप करने से वंचित रह जाते हैं। सर्व शिक्षा अभियान शुरू होने के बाद शिक्षा माफिया की पकड़ और भी मजबूत हो गई। इस अभियान के नाम पर वे शिक्षा के लिए उपलब्ध राशि की लूट करने लगे। गरीबों और खासकर लड़कियों को शिक्षा देने के नाम पर यह लूट हो रही है।

सरकार आंकड़ों के आधार पर दावा करती है कि उसने शिक्षा के क्षेत्र में नये आयाम तैयार किए हैं और साक्षारता दर 70 फीसदी तक पहुंच गई है, लेकिन घोटाले के सामने आने से सरकार के इन दावों पर सवाल खड़े हो गए हैं।

यदि 13 टाॅपरों की फिर से परीक्षा नहीं ली जाती, तो यह घोटाला सामने नहीं आता, हालांकि वह परीक्षा मीडिया द्वारा उस घोटाले पर जारी की गई रिपोर्ट के बाद ली गई। रुबी राय नाम की लड़की ने कला संवर्ग में टाॅप किया था और विज्ञान संवर्ग मे टाॅप करने वाले छात्र का नाम सौरम कुमार था। दोनों एक ही काॅलेज के विद्यार्थी थे। रुबी राय पाॅलिटिकल साइंस की छात्रा थी और उसमें उसे 100 में 95 अंक आए थे। जब उनसे पूछा गया कि राजनैतिक शास्त्र को अंग्रेजी में क्या कहा जाता है, तो उसने बताया कि इसे प्रोडिगल सायंस कहा जाता है। जब पूछा गया कि उसमें क्या पढ़ाया जाता है, तो उसने बताया कि उसमें खाना बनाने के बारे में पढ़ाया जाता है। सांयस टाॅपर सौरभ को पता ही नहीं था कि इलेक्ट्रान और प्रोटोन क्या होते हैं। सौरभ को 500 में से 485 अंक आए थे, जबकि रुबी को 500 में से 444 अंक आए थे।

दोनों टाॅपर बिसुन राय काॅलेज के थे। उस काॅलेज में पिछले कुछ सालों से 12वीं के सभी परीक्षार्थी पास हो रहे हैं। यानी वहां पास होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत 100 है। वह काॅलजे बच्चा राय नाम का व्यक्ति चला रहा है, जो एक साथ ही लालू यादव, नीतीश कुमार और केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह का नजदीकी है। काॅलेज के सभी 1007 छात्रों ने प्रथम श्रेणी से परीक्षा उत्तीर्ण किया। यह अपने आपमें एक बहुत बड़ा आश्चर्य है। उनमें से 222 छात्रों को तो समान अंक ही प्राप्त हुए। उनमें 200 छात्रों ने बिल्कुल एक तरह के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिकाओं मे दिए थे। (संवाद)