केन्द्र सरकार के इन दोनों निर्णयों का प्रदेश की अधिकांश पार्टियां विरोध कर रही हैं। स्टेट बैंक आॅफ त्रावणकोर (एसबीटी) बचाओ फोरम का गठन किया गया है। इस फोरम का गठन एक कान्र्फेंस में किया गया, जिसमें सीपीएम के प्रदेश सचिव के बालाकृष्णन, सीपीआई के प्रदेश सचिव पी रवीन्द्रन और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष वीएम सुधीरन मौजूद थे।
आरोप लगाया जा रहा है कि एसबीटी का भारतीय स्टेट बैंक में विलय इसलिए किया जा रहा है, ताकि उसे निजीकरण की ओर धकेला जाय। गौरतलब हो कि यूडीएफ सरकार के कार्यकाल मंे विधानसभा ने एक सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास किया था, जिसमें एसबीटी के निजीकरण के किसी भी प्रयास का विरोध करने की बात की गई थी। कोडियरी बालाकृष्णन ने कहा कि एलडीएफ की सरकार एसबीटी को समाप्त किए जाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगी, क्योंकि यह एकमात्र ऐसा बैक है, जिसका मुख्यालय केरल में है।
केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष सुधीरन ने एसबीटी के प्रति अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता को दुहराया और सलाह दी कि सरकार को एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और केन्द्र सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए।
सीपीआई के नेता पी रवीन्द्रन ने कहा कि यह कदम उठाकर केन्द्र सरकार अपने काॅर्पोरेट एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी केन्द्र के इस निर्णय का विरोध करती है।
एसबीटी के प्रदेश भर में 852 ब्रांच हैं। वक्ताओं का कहना था कि यदि इसका भारतीय स्टेट बैंक में विलय हुआ, तो इससे प्रदेश का बहुत नुकसान हो जाएगा।
प्रदेश की तमाम पार्टियां केन्द्र सरकार द्वारा फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स त्रावणकोर (फैक्ट) के निजीकरण का भी विरोध कर रही है। केन्द्र सरकार ने उस कंपनी के 51 फीसदी शेयर को निजी हाथों में बेच देने का निर्णय किया है। यह कंपनी देश की उन 22 सरकारी कंपनियों में एक है, जिनका निजीकरण का फैसला केन्द्र सरकार ने किया है।
सीपीएम के प्रदेश सचिव कोडियरी बालाकृष्णन ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से यह कंपनी निजी हाथों में चली जाएगी। गौरतलब हो कि 2003-04 में भी केन्द्र की तब की भाजपा सरकार ने इस कंपनी के विनिवेश का फैसला किया था। उस समय भी उस फैसले का जबर्दस्त विरोध हुआ था और केन्द्र सरकार उस पर फैसले को अमली जामा नहीं पहुंचा पाई थी।
पिछली यूपीए सरकार ने उम्मीद जताई थी कि घाटे में चल रही इस कंपनी को फिर से जिंदा किया जाएगा। इसके लिए 991 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा भी की गई थी। लेकिन केन्द्र सरकार अपनी घोषणा पर अमल नहीं कर सकी।
2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार ने फैक्ट को पटरी पर लाने के लिए कुछ भी नहीं किया और अब वह उसे बेचने की दिशा में आगे बढ़ रही है। (संवाद)
फैक्ट और एसबीटी पर सत्ता और विपक्ष एक साथ
केन्द्र सरकार के निर्णय का प्रदेशव्यापी विरोध
पी श्रीकुमारन - 2016-06-22 12:45
तिरुअनंतपुरमः केन्द्र सरकार के दो निर्णयों ने प्रदेश की सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर ला खड़ा कर दिया है। उसका एक निर्णय स्टेट बैक आॅफ त्रावणकोर का स्टेट बैंक आॅफ इंडिया में विलय है और दूसरा निर्णय फर्टिलाइजर और केमिकल्स त्रावणकोर का निजीकरण है।