घोषणा करते हुए राजन ने कहा था कि सरकार से विचार विमर्श के बाद उन्होंने वह फैसला किया। इससे स्पष्ट होता है कि विचार विमर्श के दौरान उनको यह पता चल गया होगा कि मोदी सरकार उन्हें उनके उस पद पर और नहीं रखना चाहती है। हालांकि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उनके काम को अच्छा बताया और कहा कि सरकार उनके विचार का सम्मान करती है। यानी वित्तमंत्री बताना चाह रहे थे कि गवर्नर के पद पर नहीं बने रहना राजन का अपना विचार था और सरकार उनके उस विचार का सम्मान करती है। वित्त मंत्री ने यह भी लगे हाथों कह डाला कि सरकार जल्द ही उनके उत्तराधिकारी की घोषणा करेगी।
जो लोग मोदी सरकार को जानते हैं, उनके लिए राजन की उस घोषणा में कुछ भी अप्रत्याशित नहीं लगा और उसमें न ही कुछ आश्चर्यजनक लगा। इसका कारण यह है कि भाजपा के एक नेता राजन पर लगातार निजी हमले कर रहे थे और प्रधानमंत्री उस निजी हमले पर चुप्पी साधे हुए थे। राजन पर आधारहीन आरोप लगाए जा रहे थे और प्रधानमंत्री उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रहे थे।
राजन को भी यह अहसास हो गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक में अब उनको नया कार्यकाल नहीं मिलने जा रहा है। इसका एक कारण तो यह था कि गवर्नर और डिपुटी गवर्नर की नियुक्ति के लिए एक नया मेकैनिज्म तैयार किया जा रहा था, हालांकि खुद राजन भी उस मेकैनिज्म के हिस्से थे। इसलिए उन्होंने अपनी तरफ से ही सेवा विस्तार न लेने की घोषणा कर डाली। जब उन्होने यह घोषणा की तो उन्हें मनाने की कोई कोशिश भी मोदी सरकार की ओर से नहीं हुईं।
अपने तीन साल के कार्यकाल में राजन ने जो सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की, वह मुद्रास्फीति की दर को नियंत्रित करने से संबंधित था। इसमें कोई मत नहीं कि इस दौरान कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भी लगातार गिर रही थीं और इसके कारण भी महंगाई पर नियंत्रण लग रहा था।
राजन बैंकों दुरवस्था को समाप्त करने की कोशिश कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने कई कदम उठाए थे, यदि उन्हें मौका मिलता तो वे अपने उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपने पद पर एक कार्यकाल और रह सकते थे, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं थीं
राजन के वर्तमान कार्यकाल के ढाई महीने अभी भी बाकी हैं। इस बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक घटनाएं घटने वाली हैं और इस बीच वे भारतीय रिजर्व बैंक का नेतृत्व करते रहेंगे।
श्री राजन दुनिया के एक ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री हैं। उन्हें एक प्रयोगकर्मी अर्थशास्त्री के रूप में जाना जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में उन्होंने अनेक प्रयोग किए, जिसका फायदा देश को मिला है, लेकिन उनके कई प्रयोग अभी भी मंझधार में ही हैं। इसलिए उनका अभी जाना हमारे देश के लिए कोई अच्छी खबर नहीं है। (संवाद)
मोदी के राज में राजन की विदाई आश्चर्यजनक नहीं
भाजपा को एक कठपुतली गवर्नर चाहिए
एस सेतुरमन - 2016-06-23 12:20
जब भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने घोषणा की कि अब वे अपने वर्तमान पद का कार्यविस्तार नहीं चाहते, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राहत की सांस ली होगी, क्योंकि अब उन पर यह आरोप नहीं लगेगा कि उन्होंने उनकी सेवा का विस्तार नहीं किया।