प्रियंका गांधी को कांग्रेसी पिछले कई सालों से तुरुप का पत्ता मानते रहे हैं। उनका कहना रहा है कि जब राहुल गांधी सफल नहीं होंगे, तो प्रियंका राजनीति मे आएगी और आकर कांग्रेस को संभाल लेगी। कांग्रेस में जो कुछ हो रहा है और चुनावों में उसकी एक के बाद एक जो दुर्गति हो रही है, उसे देखते हुए कहा जा रहा है कि अब प्रियंका को राजनीति में आ ही जाना चाहिए। राहुल की समस्या यह है कि वे फुल टाइम राजनीति नहीं करते। राजनीति करते करते वे एकाएक गायब हो जाते हैं। कांग्रेस के पतन को रोकने के लिए उन्होंने अभी तक कोई तरीका भी नहीं ढूंढ़ा है। इसलिए यदि प्रियंका को लाया जा सकता है, तो यह हताशा में ही उठाया गया कदम हो सकता है।
पर सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस को फिर से पटरी पर लाने में प्रियंका सफल हो पाएगी? इस समय तो सिर्फ यही बात हो रही है कि अब वह रायबरेली और अमेठी के बाहर उत्तर प्रदेश के अन्य इलाकों में भी कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगी। वहां अगले साल चुनाव होने जा रहा है। वहां कांग्रेस चैथे नंबर की पार्टी है। 1989 के बाद वह सत्ता में कभी नहीं आई है। 2012 के विधानसभा चुनाव में इसकी दुर्गति हो गई थी और पिछले लोकसभा चुनाव में तो उत्तर प्रदेश से सिर्फ मां और बेटे ही जीत सके थे। वह भी शायद इसीलिए संभव हो पाया था, क्योंकि समाजवादी पार्टी ने वहां अपने उम्मीदवार नहीं खड़े किए थे और अघोषित रूप से मां और बेटे का समर्थन किया था।
प्रशांत किशोर को कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश का अपना रणनीतिकार बना रखा है। किशोर ने सुझाव दिया है कि कांग्रेस किसी ब्राह्मण को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करे। उन्होने इसके लिए प्रियंका गांधी और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम सुझाए हैं। इन दोनों में से किसी एक को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाने का सुझाव दिया गया है। इसका कारण यह है कि ब्राह्मण कांग्रेस के परंपरागत मतदाता रहे हैं और अभी भी वे कांग्रेस को वोट दे सकते हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की संख्या भी बहुत है। यही कारण है कि प्रियंका के नाम की चर्चा आज जोरों पर है।
कांग्रेस के अंदर के लोगांे को कहना है कि 2019 के चुनाव में प्रियंका गांधी पूरी तरह राजनीति में कूद पड़ेगी और उसके पहले उत्तर प्रदेश के चुनाव में वह सघन प्रचार करेंगी। भारतीय जनता पार्टी उनके पति राॅबर्ट वाड्रा पर लगातार हमले कर रही है। प्रियंका के राजनीति मे कूदने का एक बड़ा कारण यह भी होगा। पार्टी के लोगों को लगता है कि प्रियंका के आने से कार्यकत्र्ताओं और समर्थकों का मनोबल बढ़ेगा और मतदाताओं को भी वह कांग्रेस के साथ जोड़ पाएंगी।
लेकिन एक संशय इस बात को लेकर भी है कि प्रियंका की राजनीति के बारे में अभी कुछ भी पता नहीं है। उनका राजनैतिक दर्शन क्या है, इसके बारे में भी किसी को पता नहीं। उनके विचारों के बारे में लोग अभी तक अनजान हैं, क्योंकि देश के सामने मौजूद सवालों पर वह कोई टिप्पणी करती नहीं दिखाई देंती। इसके अलावा उनके पति राॅबर्ट वाड्रा को लेकर उठ रहे सवाल उनके सामथ्र्य को संदिग्ध बना देते हैं। प्रियंका के आने के बाद कांग्रेस के अंदर दो केन्द्र बन जाने की भी संभावना है। देखना दिलचस्प होगा कि प्रियंका के कांग्रेस में सक्रिय होने से इसकी राजनीति किस ओर जाती है। (संवाद)
उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रियंका
किधर जाएगी कांग्रेस की राजनीति
कल्याणी शंकर - 2016-07-08 09:50
प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने को लेकर एक बार फिर अटकलबाजी शुरू हो गई है। वे उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगी अथवा नहीं, इसको लेकर दोनों तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं। कांगे्रस के सामने इस समय अस्तित्व का सवाल खड़ा हो गया है। इसलिए यदि प्रियंका कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगें, तो इसे लेकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। लगता है कि अब वह समय आ गया है। पर बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रियंका गांधी राजनीति में आकर सफल होंगी और इससे कांग्रेस को उबरने में फायदा मिलेगा?