पूर्ण विकास को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने अलग से यह विभाग गठित करने का फैसला किया है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश देश का पहला प्रदेश हो गया है, जो इस तरह का एक विभाग गठित कर रहा है। यह निर्णय पिछले 16 जुलाई को लिया गया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश ईकाई की कार्यकारिणी की पिछले 1 अप्रैल को हुई बैठक में ही इस विभाग के गठित करने की अपनी मंशा से लोगों को अवगत करा दिया था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने 2011 के ग्लोबल विकास एजेंडे में जो पैरामीटर तय किए थे, उसका अध्ययन किया गया और भूटान के समाज के प्रसन्नता सूचकांक को भी ध्यान में रखते हुए इस विभाग के गठन का फैसला किया गया।
भूटान ने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता की अपनी एक अवधारणा तैयार कर रखी है। उसके चार स्तंभ हैं। उनमें पहला है अच्छा प्रशासन, दूसरा है टिकाऊ सामाजिक आर्थिक विकास, तीसरा है सांस्कृतिक संरक्षण और चैथा है पर्यावरण का संरक्षण। यह 9 पैरामीटर पर आधारित है और उनमें मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य, शिक्षा और रहन सहन का स्तर शामिल है। वह सांस्कृतिक बहुलता का भी ख्याल रखता है।
शिवराज सिंह चैहान की सरकार प्रसन्नता का विभाग तो बना रही है, लेकिन इससे उसकी चुनौतियां काफी बढ़ जाएंगी। इसका कारण यह है कि मध्यप्रदेश के सामाजिक सूचकांक बहुत अच्छे नहीं हैं।
सरकारी आंकड़ो को देखा जाय, तो 2001 के बाद प्रदेश मंे 19 हजार किसानों ने आत्महत्या कर ली है। उनमें से अधिकाश ने आत्महत्या आर्थिक वजहों से की है। पिछले जून महीने में प्रदेश सरकार ने बाल मृत्यु दर के आंकड़े जारी किए। उससे पता चला कि मध्यप्रदेश में बाल मृत्यु दर के मामले में देश का नंबर वन राज्य है। 1000 पैदा हुए बच्चों में 52 बच्चे एक साल उम्र पूरा करने के पहले ही मर जाते हैं। 5 साल से कम उम्र के करीब 49 फीसदी बच्चों का वजन सामान्य से कम होता है। बच्चा पैदा करते समय मरने वाली महिलाओं की संख्या भी मध्यप्रदेश में बहुत ज्यादा है। प्रदेश में अपराध की विकास दर भी बढ़ती जा रही है और खासकर महिलाओं पर होने वाले अत्याचार के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है।
बहुत संभव है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान कुछ समय तक यह विभाग अपने पास ही रखें। उन्होंने कहा कि प्रसन्नता के पैरामीटर पर अपनी राय देने के लिए विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि शुरुआती दौर के लिए इस विभाग पर 3 करोड़ 80 लाख रुपये खर्च करने का प्रावधान है। विभाग का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति के पास होगा, जो सरकारी सेवक नहीं भी हो सकता है। उसके डेढ़ लाख रुपये प्रति महीने की तनख्वाह मिलेगी। उसके नीचे एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी होगा, जो प्रदेश सरकार के सचिव के स्तर का होगा। इसके अलावे शोध अधिकारी भी होंगे। अंत में यह विभाग एक एनजीओ का रूप ले सकते है। (संवाद)
मध्यप्रदेश में अब प्रसन्नता का विभाग खुला
भूटान की सफलता से मुख्यमंत्री ने सीखा
एल एस हरदेनिया - 2016-07-19 10:05
भोपालः भूटान के उदाहरण से उत्साहित होकर मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार के अंदर एक प्रसन्नता विभाग स्थापित करने की घोषणा कर दी है। इस विभाग का काम प्रदेश के सवा सात करोड़ लोगों की प्रसन्नता बढ़ाने का होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य लोगों को पूर्ण प्रसन्नता देने का है। वह चाहते हैं कि लोग अपनी बुद्धि, दिमाग और आत्मा से खुश रहें। वे लोगों का आध्यात्मिक और दार्शनिक विकास चाहते हैं।