इस पर अपनी आपत्ति जताते हुए केरल के वित्तमंत्री टाॅमस आइजक ने केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को एक पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि जिस विधेयक को राज्यसभा में पास किया गया, उसमें वे बातें शामिल नहीं की गईं, जिनपर वित्तमंत्रियों की बैठक में सहमति बनी थी।

आपत्ति क्लाउज 10 के संशोधन पर है। इसमें केन्द्रीय करों को राज्यों में विभाजित किए जाने का प्रावधान है। इसके तहत अब एक नया फ्रेमवर्क तैयार कर दिया गया है, जिस पर वित्तमंत्रियों की बैठक में सहमति नहीं बनी थी। सहमति क्या, उस पर चर्चा तक नहीं हुई थी।

इसके कारण राज्यों के हितों की न केवल अनदेखी हो रही है, बल्कि उससे राज्यों को वित्तीय नुकसान होना भी सुनिश्चित हो गया है। यही कारण है कि केरल के वित्तमंत्री ने अपने पत्र में अपना कड़ा विरोध उस प्रावधान को लेकर जताया है।

वित्तमंत्रियों की बैठक में सहमति बनी थी कि केन्द्र द्वारा प्राप्त करों का पूरा हिस्सा राज्यों के साथ हिस्सेदारी के लिए उपलब्ध होगा और उससे राज्य अपना सही हिस्सा पाएंगे।

लेकिन राज्यसभा में पारित किए गए विधेयक में यह बात नहीं शामिल है। उसमें कुछ करों में ही राज्यों को हिस्सेदारी देने की बात की गई है। इसके कारण राज्यों को वह लाभ नहीं होगा, जो उन्हें पहले बताया गया था। केरल के वित्त मंत्री को सबसे ज्यादा आपत्ति इसी बात को लेकर है।

केरल के वित्तमंत्री ने अपने प़त्र में कहा है कि संशोधित प्रावधान जिसे राज्य सभा से पारित करा दिया गया है, वित्तमंत्रियों की बैठक में कभी विचार के लिए आया ही नहीं।

इसलिए साफ है कि केन्द्र सरकार ने इस मसले पर पूरी तरह यूटर्न ले लिया है और उसके इस निर्णय से सहयोगी संघवाद की भावना चोटिल होती है। केरल के वित्तमंत्री के पत्र का सार यही है।

केरल और पश्चिम बंगाल अब प्रदेशों के वित्तमंत्रियों की अगली बैठक का इंतजार कर रहे हैं। यदि उस बैठक में केरल और पश्चिम बंगाल की चिंताओं को दूर नहीं किया जाता, तो इस मसले पर केन्द्र के साथ उनका टकराव तय हैं। और जीएसटी व्यवस्था के सही अमल के लिए उस तरह के टकराव से बचा जाना चाहिए। सच तो यह है कि टकराव की स्थिति में जीएसटी को क्रियान्चित करना बहुत ही कठिन साबित हो सकता है।

गौरतलब हो कि जीएसटी को लागू करने के लिए अगले साल के 1 अप्रैल का समय रखा गया है।

लेकिन केन्द्र द्वारा करोे के विभाजन का नया फ्रेमवर्क तैयार कर उस अमल को कठिन बना दिया गया है।

आने वाले समय में वित्तमंत्रियों की जो बैठक होगी, उसमें यह मसला निश्चय ही गर्म रहेगा। देखना दिलचस्प होगा कि उसमें क्या होता है। (संवाद)