इस सिलसिले में जहां एक ओर भारत सरकार ने ई टूरिस्ट वीजा की शुरुआत की, वहीं दूसरी ओर विदेशी पर्यटकों के लिए स्पेशल हेल्पलाइन से लेकर टूरिस्ट किट व मोबाइल सिम तक तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। केंद्र सरकार का मकसद पर्यटन उद्योग को बढावा देकर उसमें ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करना है। इसके लिए वह पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर भारत का नाम प्रमुखता से उभारना चाहती है और इसी मकसद से वह विदेशी पर्यटकों को भारत की ओर आकर्षित करने पर खासा ध्यान दे रही है। लेकिन कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण के मोर्चे पर केंद्र और राज्यों की पुलिस व्यवस्था की नाकामी के चलते इस सारी कवायद के ज्यादा सकारात्मक नतीजे देखने को नहीं मिल रहे हैं। सरकारी आंकडों के मुताबिक भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में अपेक्षित या उल्लेखनीय बढोतरी नहीं हो रही है।
भारत की समृध्द पर्यटन संपदा के बारे में मशहूर अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन ने कहा है, 'भारत वह भूमि है, जिसे दुनिया के तमाम लोग देखने की हसरत रखते हैं और जिन्होंने उसकी एक झलक भी देखी है, वे उस एक झलक के बदले दुनिया के तमाम नजारों को ठुकरा सकते हैं।’ मार्क ट्वेन का यह कथन भारत की सांस्कृतिक विविधता, चप्पे-चप्पे पर बिछा उतार-चढाव भरा इतिहास, उसी इतिहास से तादात्म्य बनाती अनमोल पुरा संपदा, बेमिसाल वास्तुशिल्प और नयनाभिराम प्राकृतिक नजारों की हकीकत बयान करने वाला है। सदियों से दुनियाभर के आकर्षण का केंद्र रही इसी हकीकत ने पर्यटन के वैश्विक मानचित्र में भारत को अहम जगह दिला रखी है और वह एक बडे उद्योग का रूप लेकर देश की अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।
भारत ही नहीं, दुनिया का लगभग हर विकसित व विकासशील देश आज पर्यटन उद्योग को लेकर बेहद संजीदा और सचेत है। भारत में तो यह तीसरा सबसे बड़ा सेवा उद्योग है। इस उद्योग को लेकर भारत की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत सरकार में बाकायदा इसके लिए पर्यटन मंत्रालय एक नोडल एजेसी के रूप मे सक्रिय है जिसका कार्य भारत में पर्यटन उद्योग का विकास और संवर्द्धन करना है। मुख्य रूप से इसके अंतर्गत पर्यटन में निवेश की नीतियां और कार्यक्रम बनाना तथा केंद्र और राज्य सरकार के पर्यटन संबंधी कार्यक्रमों आदि का समन्वय करना आता है।
पर्यटन उद्योग के प्रति भारत की इस गंभीरता को भलीभांति समझने के लिए हमें भारतीय अर्थव्यवस्था को इससे होने वाले लाभ के विषय में थोड़ा गहराई से जानना-समझना होगा। उपलब्ध आधिकारिक आंकडों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग की हिस्सेदारी छह फीसद से अधिक है। इसके साथ ही देश के सकल रोजगार में भी इस क्षेत्र का हिस्सा लगभग नौ फीसद है। जाहिर है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग ने अपना एक विशिष्ट और अत्यंत लाभकारी मुकाम बना लिया है। उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि पर्यटन उद्योग से होने वाले इस लाभ का एक बड़ा हिस्सा हमें विदेशी पर्यटकों से प्राप्त होता है। दर्शनीय पर्यटन स्थलों के कारण भारत की तरफ विदेशी सैलानियो का खासा रुझान रहता है। उनकी आमद भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है।
इसी संदर्भ में एक रिपोर्ट पर गौर करें तो भारत में प्रतिवर्ष लगभग पचास लाख विदेशी पर्यटक आते हैं, जिनसे भारतीय पर्यटन उद्योग को तकरीबन ग्यारह अरब डॉलर की कमाई होती है। ऐसे में अगर विदेशी पर्यटकों की आमद में कमी होने लगे तो यह निश्चित ही चिता का विषय है। इसी संदर्भ में विदेशी पर्यटकों की आमद के पिछले पांच वर्षों के आंकड़े गौरतलब हैं। सन 2011 में भारत में विदेशी पर्यटकों के आने की दर में नौ फीसद की बढ़ोतरी हुई थी जो कि 2012 में छह फीसद और 2013 में तीन फीसद पर पहुंच गई। हालांकि 2014 में इसमें कुछ बढ़ोतरी हुई, लेकिन वर्ष 2015 में पुन: उनके आवागमन में कमी ही पाई गई। इस साल जनवरी से जून तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक जरुर विदेशी पर्यटकों की आवक में लगभग सात फीसद की बढोतरी देखी गई है।
इन आंकड़ों से इतर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले कई राज्यों में उनकी आमद में कमी ही पाई जा रही है। जैसे कि विदेशी सैलानियों को लुभाने वाले हिमाचल के शिमला-मनाली से लेकर आगरा के ताजमहल तक और ऐतिहासिक किलों और हवेलियों के प्रदेश राजस्थान के सभी पर्यटन स्थलो पर इस वर्ष अब तक विदेशी पर्यटकों की आमद घटने की ही बात सामने आई है। साल-दर-साल भारत में विदेशी पर्यटकों की आवक में वृद्धि दर कम होना बताता है कि अगर इसी तरह से भारत के प्रति विदेशी पर्यटको का लगातार मोहभंग होता रहा, तो आने वाले समय में यह रुझान भारतीय पर्यटन उद्योग के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है। पर्यटन मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति ने इस स्थिति के लिए विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा और कुशल श्रम शक्ति का अभाव तथा आधारभूत ढांचे की कमी को जिम्मेदार ठहराया है। समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में विदेशी पर्यटकों की वृध्दि दर में लगातार होने वाली इस गिरावट पर चिंता जताते हुए सरकार से इस बारे में शीघ्र प्रभावी कदम उठाने को कहा है।
भारत के प्रति विदेशी पर्यटकों की इस उदासीनता या मोहभंग की अहम वजह है उनके साथ होने वाली आपराधिक वारदातें। पिछले कुछ सालों से हमारे देश में विदेशी पर्यटकों, खासकर महिला पर्यटको के साथ लूटपाट व दुराचार की घटनाएं बढ़ी हैं। इसी वजह से विदेशी पर्यटकों खासकर महिला पर्यटकों की आमद साल-दर-साल घटती जा रही है। बीते वर्षों में देश के विभिन्न शहरो में ट्रेवल ऑपरेटरों से बातचीत के जरिए किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी कि ज्यादातर विदेशी सैलानियों की भारत आने को लेकर हिचक के पीछे मुख्य वजह असुरक्षा का भाव है। सर्वेक्षण के मुताबिक इस संबंध में लगभग सत्तर फीसद ट्रैवल ऑपरेटरों का कहना था कि हर विदेशी पर्यटक की भारत आने की पहली शर्त पुख्ता सुरक्षा होती है और मौजूदा हालात में भारत में इस चीज का खासा अभाव दिख रहा है।
विदेशी सैलानियों के साथ होने वाली आपराधिक वारदातों के कुछ मामलो पर गौर करें तो अभी इसी साल अप्रैल में राजस्थान के अजमेर घूमने आए एक स्पेनिश जोड़े पर कुछ बदमाशों ने हमला कर उसें घायल कर दिया और महिला के साथ बलात्कार की कोशिश भी की। एक अन्य वारदात में अपने माता-पिता के साथ देहरादून घूमने आई बारह साल की इजरायली लड़की के साथ एक फोटोग्राफर ने बदसलूकी करने की कोशिश की। ऐसे ही पिछले साल जून में दिल्ली के द्वारका में एक तीस वर्षीय विदेशी महिला का सामूहिक बलात्कार कर उसके साथ लूटपाट भी की गई थी। वर्ष 2014 में दिल्ली में एक इक्यावन वर्षीय डेनिश महिला के साथ भी लूटपाट और बलात्कार की घटना हुई थी। इसके अलावा, 2013 में मध्यप्रदेश के दतिया में विदेशी महिला के साथ हुई सामूहिक बलात्कार की वारदात ने भी देश को शर्मसार किया था। कुल मिलाकर तथ्य यह है कि पिछले तीन-चार साल में विदेशी सैलानियों के साथ होने वाले अपराधों में बेतहाशा इजाफा हुआ है। जाहिर है, ऐसी घटनाओं के चलते विदेशी पर्यटकों के मन में भारत भ्रमण लेकर असुरक्षा का भाव घर करता जा रहा है, जिसकी वजह से वे भारत की ओर से लगातार मुंह फ़ेरते जा रहे हैं। (संवाद)
भारत से मुंह फेरते विदेशी सैलानी
मोहभंग की वजह है उनके साथ होने वाले आपराध
अनिल जैन - 2016-08-29 13:57
पर्यटन के क्षेत्र में विकास और देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में पर्यटन की हिस्सेदारी को बढ़ाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख एजेंडों में से एक है। इसके लिए केंद्र सरकार जहां एक ओर घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है तो दूसरी ओर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भी सरकार तमाम कोशिशें कर रही है। इसके तहत बुनियादी ढांचे को सुधारने से लेकर पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं की बेहतरी पर जोर दिया जा रहा है।