वेलिंगकर से जुड़ा यह प्रकरण आरएसएस के उस चरित्र को दर्शाता है, जिसके तहत वह सत्ता पाने के लिए भावनात्मक मुद्दे का इस्तेमाल करता है और सत्ता पाने के बाद उस मुद्दे पर पलटी मार लेता है। भावनात्मक मुद्दे को भड़काने से उसे वोट मिलते हैं। वोट उसकी राजनैतिक शाखा भारतीय जनता पार्टी की जीत सुनिश्चित कर देती है, लेकिन जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी चुनाव पूर्व मुद्दे को उठाने वाले अपने समर्थकों के साथ कैसे सलूक करती है, उसका ताजा उदाहरण सुभाष वेलिंगकर की उनके गोवा संघ सरचालक के पद से हुई बर्खास्तगी है।
मुख्य रूप से यह गोवा का मामला है, इसलिए इसका असली असर आगामी साल होने वाले गोवा के विधानसभा चुनाव के नतीजों में देखने को मिलेंगे, लेकिन इसका एक राष्ट्रीय पक्ष भी है और वह यह है कि गोवा से उत्साहित होकर देश के अन्य हिस्सों के संघ नेता भी विद्रोह कर सकते हैं। आरएसएस एक बहुत ही अनुशासित संगठन माना जाता है, लेकिन गोवा में उसके अनुशासन की घज्जियां उड़ रही हैं। संघ के एक प्रमुख पदाधिकारी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं और उनको निकाले जाने के बाद 400 से भी ज्यादा संघ कार्यकत्र्ता उस निष्कासित नेता के साथ जाने की घोषणा कर देते हैं।
आखिर सुभाष वेलिंगकर के विद्रोह से जुड़ा मामला क्या है और उनकी शिकायत क्या है? दरअसल सुभाष भारतीय भाषा सुरक्षा मंच (भाभासुम) भी चलाते हैं। इस मंच के बैनर तले यह मांग की जा रही है कि गोवा में प्राथमिक शिक्षा का माध्यम सिर्फ वहां की स्थानीय भाषा कोंकणी और मराठी ही हो, पर चर्चा द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा की भाषा अंग्रेजी है। मंच के लिए उससे भी अधिक आपत्तिजनक बात यह है कि उनमें सौ से ज्यादा स्कूलों को प्रदेश सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। मंच की मांग है कि प्रदेश सरकार उन स्कूलों को दिए जा रहे अनुदान को समाप्त करे।
यह मांग कोई नई नहीं है। जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में नहीं थी, तो वह भी यह मांग करती थी। इसके पक्ष में पार्टी ने खुद भी आंदोलन चलाए थे और सुभाष वेलिंगकर के आंदोलनों में बढ़चढ़कर हिस्सा भी लिया था। इस मांग के द्वारा भारतीय जनता पार्टी ने स्थानीय भाषाओ के समर्थकों के बीच अपनी पैठ बढ़ाई थी। 2012 के विधानसभा चुनाव के पहले इस मुद्दे पर बहुत ही उग्र आंदोलन हुए थे और भारतीय जनता पार्टी की वहां सरकार बनने का एक कारण भाषा का यह मुद्दा भी था। भाजपा उस समय की सरकार से मांग करती थी कि चर्च द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों को दिया जा रहा सरकारी अनुदान समाप्त कर दिया जाय, क्योंकि वे स्थानीय भाषा में प्राथमिक शिक्षा नहीं प्रदान कर रहे हैं। भाजपा नेता कहते थे कि यदि उनकी सरकार बनी, तो वे इस अनुदान को समाप्त कर देंगे।
लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा की प्राथमिकता वहां बदल गई। मनोहर पर्रिकर वहां के मुख्यमंत्री बने, लेकिन चर्च के उन स्कूलों को दिया जा रहा अनुदान जारी रहा। इसके कारण प्रदेश आरएसएस के प्रमुख और उनके समर्थक भाषा आंदोलनकारी भड़क गए और सरकार पर वे लगातार दबाव बनाते रहे कि चर्च के उन स्क्ूलों का अनुदान बंद हो और स्थानीय भाषा को प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई का माध्यम अनिवार्य किया जाय।
उनका आंदोलन होता रहा और समय बीतता रहा। इस बीच 2014 का लोकसभा चुनाव भी आ गया। उसमें भी गोवा में भाजपा की ही जीत हुई। फिर मनोहर पर्रिकर केन्द्र में रक्षा मंत्री हो गए। उस समय तक भाषा आंदोलनकारियों को वे किसी तरह बहलाते रहे, लेकिन उसके बाद उन्होंने साफ कह दिया कि चर्च के स्कूलों को दिया जाने वाले अनुदान नहीं समाप्त किया जाएगा। उन्होंने यह भी कह दिया कि जो उनका विचार है, वही पार्टी का भी विचार है।
मनोहर पर्रिकर द्वारा साफ साफ एलान किए जाने के बाद सुभाष वेलिंगकर ने उन्हे धोखेबाज औा विश्वासघाती कहना शुरू कर दिया। इसके साथ उन्होंने घोषणा कर दी कि पर्रिकर की राजनीति का जवाब अब राजनीति से ही दिया जाएगा। उन्होंने एक नई पार्टी के गठन की घोषणा कर दी और पार्टी के गठन की तिथि की घोषणा कर दी। उन्होने भारतीय जनता पार्टी के साथ गोवा में सत्ता की भागीदारी कर रही गोवा गोमांतक पार्टी से अपील भी कर दी है कि वह भाजपा को छोड़कर उसके साथ आ जाए और उसके साथ मिलकर ही अगले विधानसभा का भी चुनाव लड़े।
गोवा में अरविदं केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में है। उसके कारण भारतीय जनता पार्टी पहले से ही परेशान है, क्योंकि भ्रष्टाचार के मसले पर केजरीवाल की छवि अभी भी किसी भी भाजपा नेता से बेहतर है और पूरे देश की तरह गोवा में भी भ्रष्टाचार एक मुद्दा है। केजरीवाल द्वारा मिल रही चुनौती के साथ साथ संघ के विद्रोह से भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह हिली हुई है और इस बीच उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ गोवा के संघ प्रमुख द्वारा सड़कों पर आकर किया गया विरोध प्रदर्शन उसे बहुत ही ज्यादा नागवार गुजरा। फिर एकाएक सुभाष को संघ के प्रमुख पद से हटा दिया गया।
आने वाले समय भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। 2 अक्टूबर को नई पार्टी का गठन अब लगभग तय माना जा रहा है। उसके बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि गोवा गोमांतक पार्टी क्या रुख अपनाती है। संघ के 400 से भी ज्यादा कार्यकत्र्ताओं ने सुभाष का समर्थन कर दिया है। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि भारतीय जनता पार्टी के कितने कार्यकत्र्ता और नेता इस नई पार्टी में शामिल होते हैं। चाहे जो भी हो, लेकिन इतना तो तय है कि इस विद्रोह ने भारतीय जनता पार्टी का गोवा में फिर से वापस आने का सपना चकनाचूर कर दिया है। (संवाद)
संघ की गोवा ईकाई में विद्रोह
भाजपा के सरकार में वापसी के सपने चकनाचूर
उपेन्द्र प्रसाद - 2016-09-01 11:39
सुभाष वेलिंगकर को गोवा के आरएसएस प्रमुख से हटाए जाने के बाद संघ में वहां विद्रोह हो गया है। खुद वेलिंगकर को इसीलिए उनके पद से हटाया गया, क्योंकि उन्होने विद्रोह करने की चेतावनी दे दी थी और भारतीय जनता पार्टी से अलग एक नई पार्टी का गठन आगामी 2 अक्टूबर को करने की घोषणा कर दी थी। चाहता तो संघ 2 अक्टूबर का इंतजार कर सकता था, लेकिन वेलिंगकर द्वारा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ एक प्रदर्शन का नेतृत्व करने की कीमत अविलंब बर्खास्तगी के रूप में चुकानी पड़ी।