पिछले 5 महीनों में अनेक नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। पार्टी छोड़ने वालों मे अधिकांश नेता मायावती के बहुत करीबी थे और उन्हें पार्टी के अंदर महत्वपूर्ण पद मिले हुए थे।

मायावती को सबसे बड़ा झटका स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया। श्री मौर्य विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी विधायक दल के नेता थे। इस नाते वे विधानसभा में विपक्ष के नेता भी थे। बहुजन समाज पार्टी में मायावती के बाद दूसरे सबसे ज्यादा चर्चित नेता थे। पिछड़े वर्ग की कोयरी जाति पर उनका अच्छा प्रभाव रहा है।

मौर्य ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता हासिल कर ली है। उन्होंने अपनी जाति की एक विशाल रैली आयोजित कर अपनी ताकत का प्रदर्शन भी कर दिया है। उस रैली को अमित शाह ने भी संबोधित किया था। रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था।

उसी तरह आरके चैधरी ने भी पार्टी छोड़ दी। वे बहुजन समाज पार्टी से उसके निर्माण के समय से ही जुड़े हुए थे। हालांकि एक बार पहले भी उन्होंने पार्टी छोड़ी थी, लेकिन बाद में वे पार्टी में लौट आए थे। वे पासी नाम की दलित जाति से आते हैं, जो संख्याबल में मायावती की जाति के बाद प्रदेश में दूसरे नंबर पर है।

हाल ही में बृजेश पाठक ने भी पार्टी छोड़ दी। वे एक प्रभावशाली ब्राह्मण नेता हैं। उन्होंने भी पार्टी छोड़ते समय मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाया। बृजेश पाठक के कारण मायावती को ब्राह्मण वोटों का लाभ हुआ करता था।

गौरतलब हो कि प्रदेश भर मे ब्राह्मण भाईचार सभाओं का आयोजन बृजेश पाठक ही किया करते थे।

मायावती के सामने सबसे बड़ी चुनौती उन दलितों को अपनी पार्टी के फोल्ड मे लाना है, जो लोकसभा चुनाव में उनको छोड़ चुके थे। उन्होंने नरेन्द्र मोदी के कारण भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया था।

भारतीय जनता पार्टी दलितों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए जबर्दस्त कोशिश कर रही है। उनके नेता और कार्यकत्र्ता दलितों के घरो में जाकर खाना खा रहे हैं। उन्हें काम देने का वायदा कर रहे हैं। भाजपा के इन प्रयासों ने मायावती को परेशान कर रखा है।

बसपा के बड़े नेता ही नहीं, बल्कि अनेक विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी है और सभी के सभी मायावती पर टिकटों की बिक्री के आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि मायावती एक से पैसे लेकर टिकट देती हैं और यदि कोई उससे ज्यादा पैसा देने वाला मिल जाता है, पहले से टिकट वापस लेकर दूसरे को टिकट दे देती हैं।

मायावती के सुरक्षा अधिकारी रहे पद्म सिंह तक ने बसपा छोड़ दिया है और वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं।

मायावती यह दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि उनकी पार्टी में सबकुछ ठीक चल रहा है। इसके लिए वे मुस्लिम विधायकों को अपनी पार्टी में मिला रही हैं और यह दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि मुसलमानों की पहली पसंद उनकी पार्टी है।

मायावती इस बार मुसलमानों को बहुत ज्यादा टिकट दे रही हैं। प्रदेश में मुसलमानों की आबादी 18 फीसदी है। वह मुसलमानों से अनुरोध कर रही हैं कि वे दलितों के साथ जुड़कर प्रदेश की सत्ता की भागीदारी करें।

बृजेश पाठक के पार्टी छोड़ने के बाद मायावती अब सतीश मिश्र से कह रही हैं कि वे प्रदेश भर में ब्राह्मण भाईचारा बैठके आयोजित करवाएं। वे ब्राह्मणों को भी बहुत टिकट दे रही हैं। मुसलमानों के अलावा उनका जोर ब्राह्मणों को ज्यादा से ज्यादा अपनी ओर आकर्षित करना है। (संवाद)