विपक्ष को लगता है कि प्रदेश सरकार ने उसे एक बहुत ही बड़ा और शक्तिशाली मुद्दा दे दिया है और इसे उठाकर वे सरकार को रक्षात्मक होने के लिए बाध्य कर देंगे।

आंदोलन को तेज करते हुए तीन विपक्षी विधायकों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। दो विधायक पहले से ही अलग अलग हड़ताल कर रहे हैं।

विपक्ष का कहना है कि फी बढ़ोतरी के लिए तैयार होकर सरकार ने निजी क्षेत्र के मेडिकल काॅलेजों के प्रबंधन का साथ दिया है और उनके वित्तीय हितों की वह पूर्ति कर रही है। उनका कहना है कि सरकार ने छात्रों के हितो के विरुद्ध यह कदम उठाया है, जिसका विरोध किया जाना चाहिए।

कांग्रेस विधायक दल के नेता रमेश चेनिंथाला ने का है कि प्रदेश सरकार ने निजी क्षेत्र के मेडिकल काॅलेज के मालिकों के हाथों मे लाॅटरी थमा दी है। गौरतलब हो कि कांग्रेस विधायक दल के नेता होने के कारण रमेश चेनिंथाला विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं।

उन्होंने सरकार पर जे एम जेम्स के नेतृत्व वाले सुपरवाइजरी समिति से बात नहीं करने का भी आरोप लगाया है। गौरतलब है कि उस समिति ने मेडिकल काॅलेजों मे प्रवेश में हुई धांधली से संबंधित 1300 शिकायते पाई हैं। चेनिंथाला ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री विजयन ने स्पीकर द्वारा इस मसले पर शुरू की गई बातचीत में भी हिस्सा नहीं लिया है।

उस बैठक में खुद चेनिंथाला उपस्थित थे। उनका कहना है कि वे इस उम्मीद में वहां गये थे कि वहां मुख्यमंत्री भी रहेंगे, लेकिन उन्होने खुद उपस्थित रहने के बदले स्वास्थ्य मंत्री को अपने स्थान पर भेज दिया।

रमेश चेनिंथाला ने मांग की है कि फी बढ़ोतरी को सरकार प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाए और छात्रों के हित में उन्हें वापस ले ले। लेकिन सरकार ने उनकी मांग को ठुकरा दिया है, जिसके कारण तनाव और भी बढ़ गया है।

सरकार विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को खारिज कर रही है। वह कह रही है कि उसके ताजा निर्णय से मेडिकल काॅलेजों द्वारा छात्रों से मनमानी पैसे वसूलने से बचाव हो रहा है।

सरकार का कहना है कि युवा कांग्रेस काॅलेज प्रबंधन के एजेंट के रूप में काम करती रही है। इसलिए आखिर क्या कारण है कि काॅलेजों को फायदा पहुंचाने का नाम लेकर वह आंदोलन चला रही है?

सरकार कहती है कि पिछली सरकार ने प्रबंधन और एनआरआई कोटे के तहत प्रबंधन को मनमाने तरीके से नामांकन की छूट दे रखी थी, लेकिन अब वह संभव नहीं है।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर किसी तरह का हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। इसके कारण प्रदेश सरकार राहत महसूस कर रही है। (संवाद)