चौहान ने वहां स्मार्ट सिटी के विशेषज्ञों से भी बातें की। उनकी यात्रा का एक उद्देश स्मार्ट सिटी के बारे में भी जानकारी हासिल करना था और उसके लिए वहां से निवेश आकर्षित करना था। उन्होंने अन्य उद्योगों से जुड़े उद्योगपतियों से भी बातचीत की। वे गोपीचंद हिन्दुजा से भी मिले और उनसे अनेक उद्योगों के बारे में बातचीत की। उन्होंने उनसे खाद्य संस्करण उद्योग, स्मार्ट सिटी, कुषि उद्योग और अपरंपरागत ऊर्जा से संबंधित बातचीत भी की।

उन्होंने भारत-यूनाइटेड किंगडम स्वास्थ्य संस्थान के चेयरमैन प्रोफेसर माइक पाक्रर से भी मुलाकात की। उन्होंने लंदन के उपमहापौर राजेश अग्रवाल से भी बात की और इंटरनेशनल ट्रेड आॅर्गेनाइजेशन के यूके मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय गुप्ता से भी मुलाकात की। मध्य प्रदेश में निवेश की संभावनाएं नाम के एक सेमिनार को भी उन्होंने संबोधित किया।

गौरतलब हो कि कुछ समय पहले श्री चौहान ने मध्यप्रदेश में शराब बनाने के कारखानों को बनाने पर रोक लगा दी थी। लेकिन कुछ ऐसे शराब उद्यमियों को कारखाने शुरू करने की इजाजत अदालत ने दे दी थी, जो पहले ही उसके लिए इजाजत पा चुके थे। हाई कोर्ट के उस फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी। चौहान की शराब उत्पादकों से हुई मुलाकात को देखते हुए अनुमान लगाया जा सकता है कि मध्यप्रदेश में फिर शराब उत्पादन की इजाजत दी जा सकती है।

इस बीच बार बार विदेश यात्राओं को लेकर उनकी आलोचना भी हो रही है। आलोचना करने वाले विपक्ष के नेता ही नहीं हैं, बल्कि उनकी अपनी पार्टी के लोग भी हैं। आलोचना करने वालों में सरताज सिंह भी शामिल हैं, जो पार्टी के वरिष्ठ विधायक हैं और जिन्हें अधिक उम्र का होने के कारण कुछ महीने पहले मंत्री पद से हटा दिया गया था।

सरताज सिंह ने कहा कि विदेशों में दौरे के बदले मुख्यमंत्री को प्रदेश में निवेश के अनुकूल माहौल बनाने की कोशिश करनी चाहिए। उसके बाद निवेशक खुद ब खुद प्रदेश में खिंचे चले आएंगे। कोशिश यह की जानी चाहिए कि निवेशक अधिकारियों क हाथों प्रताड़ित नहीं हों।

खनन के मुद्दे पर भी सरताज सरकार की खिंचाई कर चुके हैं। उसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर भी मेट्रो परियोजना और नौकरशाही को लेकर सरकार पर हमला कर चुके हैं

सबसे दिलचस्प बात यह है कि बाबूलाल गौर और सरताज सिंह सरकार के कामकाज में उस समय से गलतियां ढूंढ़ने लगे हैं, जब से उनका मंत्री पद गया है। जब वे सत्ता में थे, तो उन्हें सरकार की कोई गलती नहीं दिखाई देती थी। लेकिन अब उन्हें सरकार के कामकाज में गलतियां दिखाई देने लग गई हैं

सरताज सिंह जब मंत्री थे, तो लोक निर्माण और वन विभाग जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय उनके पास हुआ करते थे। गौर तो उद्योग मंत्री भी थे और एक समय गृह मंत्री भी। शहरी विकास मंत्रायल भी कभी उनके पास हुआ करता था।

मुख्यमंत्री के विदेश दौरों को लेकर कोई बहुत अच्छी प्रतिक्रिया सामने नहीं आ रही है। आमतौर पर लोगों का मानना है कि इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है और विदेशी पूंजी प्रदेश में नहीं आ रही है। इसके लिए नौकरशाही को जिम्मेदार बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद इस तथ्य को स्वीकार कर चुके हैं। उन्होंने उद्योग विभाग द्वारा सिंगल विंडो सिस्टम को लागू नहीं किए जाने के कारण अपना गुस्सा जाहिर किया था। यही कारण है कि विदेशी निवेश को लेकर लोग बहुत ज्यादा आशान्वित नहीं हैं। (संवाद)