मुख्यमंत्री को कितने दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ेगा, इस पर अनिश्चितता है और इसे लेकर भी करुणानिधि राजनीति कर रहे थे। वे तरह तरह की बातें कर रहे थे। वे कभी कह रहे थे कि सचिवालय में कोई काम नहीं हो रहा है। मंत्रियों ने कार्यालय जाना बंद कर रखा है। अफसहशाह मनमानी कर रहे हैं और पूरी सरकार ही लकवाग्रस्त हो गई है। इस तरह के आरोप लगाते हुए वे मांग कर रहे थे कि जबतक जयललिता अस्पताल में हैं, तो कोई अंतरिम व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि सरकारी कामकाज सही तरीके से चल सके।
शुरू शुरू में हेल्थ बुलेटिन में कहा जा रहा था कि मुख्यमंत्री की हालत में सुधार हो रहा है और दवाइयां काम कर रही हैं। उन्हें देखने के लिए कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी अस्पताल गए थे और प्रदेश के राज्यपाल ने भी अस्पपताल जाकर उनसे मुलाकात की थी।
उन सबको जयललिता के स्वास्थ्य और बीमारी के बारे में जानकारी दी गई। राज्यपाल ने प्रदेश के मंत्रियों से लगातार बातचीत की और कावेरी जल के बारे में भी उनसे मंत्रणा की और ताजा स्थिति की जानकारी ली।
एक हेल्थ बुलेटिन में कहा गया कि जयललिता को अभी अस्पताल में रहने की जरूरत है। यह भी कहा गया कि जितने दिनों तक उनके अस्पताल में रहने की शुरू में उम्मीद की गई थी, उससे ज्यादा समय तक उन्हें वहां रहना पड़ सकता है।
इसके बाद तो करुणानिधि ने सरकार चलाने के लिए एक अंतरिम व्यवस्था तैयार करने की अपनी मांग तेज कर दी। करुणानिधि की राजनीति जारी थी और इसी बीच राज्यपाल ने संविधान के तहत मिले अधिकार का प्रयोग करते हुए जयललिता के सारे मंत्रालयों को वित्तमंत्री ओ पनीरसेल्वम को सौंप दिया और यह अधिसूचना भी जारी कर दी कि मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता वित्तमंत्री पनीरसेल्वम करेंगे।
राजभवन से जारी की गई एक विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि राज्यपाल ने यह व्यवस्था मुख्यमंत्री जे जयललिता की सलाह पर ही की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस बीच जयललिता प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी रहेंगी।
पनीरसेल्वम दो बार जयललिता की अनुपस्थिति में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। दोनो मौके उस समय आए थे, जब जयललिता को जेल जाना पड़ा था। जेल से बाहर आने पर पनीरसेल्वम ने इस्तीफा दे दिया था और जयललिता फिर मुख्यमंत्री के पद पर आ गई थीं।
राज्यपाल की विज्ञप्ति में कहा गया है कि जयललिता के वापस कार्यालय में आने तक उनके सारे मंत्रालय पनीरसेल्वम के पास ही रहेंगे।
राज्यपाल के इस निर्णय का लगभग सभी लोगों ने स्वागत किया है। इस निर्णय के बाद अब कभी भी मंत्रिमंडल की बैठक हो सकती है और आवश्यक निर्णय लिए जा सकते हैं। जयललिता के मंत्रालयों के काम भी अब सुचारु रूप से चल सकेंगे।
विधानसभा मे विपक्ष के नेता डीएमके के एम के स्टालिन ने भी राज्यपाल के निर्णय की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के नेता को निर्धारित कर अनेक समस्यााओं का समाधान कर दिया गया है।
वामपंथी नेता नहीं चाहते थे कि कोई अंतरिम मुख्यमंत्री बने। वे यही चाहते थे कि जयललिता के मंत्रालयों को किसी और को सुपर्द कर दिया जाय। (संवाद)
तमिलनाडु के राज्यपाल का निर्णय सराहनीय
अलग थलग पड़े करुणानिधि
एस सेतुरमण - 2016-10-13 15:51
डीएमके नेता करुणानिधि ने अवसरवादिता की हद कर रखी है। जब से मुख्यमंत्री जयललिता इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुइ हैं, वह प्रशासन को लेकर हंगामा मचा रहे हैं और कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में प्रदेश का प्रशासन पंगु हो गया है और कावेरी जल जैसे महत्वपूर्ण मसले पर कोई निर्णय लेने वाला नहीं है।