बाबरी मस्जिद के विघ्वंस के 24 साल पूरे होने वाले हैं। इसके बावजूद राम अभी भी चुनावी मुद्दा बन जाते हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति जाति और संप्रदाय से प्रभावित है। यही कारण है कि राम का मुद्दा यहां हमेशा इस्तेमाल किया जाता रहा है। भाजपा को पता है कि बाबरी मस्जिद के स्थल पर राममंदिर का निर्माण करना आसान नहीं है, इसलिए उसने रामायण के निर्माण की घोषणा कर दी है।

जैसे ही केन्द्र सरकार ने अयोध्या में रामायण म्यूजियम बनाने का एलान किया, समाजवादी पार्टी ने भी राम के नाम का इस्तेमाल कर अपनी राजनैतिक गोटी बिछानी शुरू कर दी। उसकी उत्तर प्रदेश की सरकार ने अयोध्या मे प्रस्तावित रामलीला केन्द्र में विश्वस्तरीय थीम पार्क बनाने की घोषणा कर दी। अगस्त महीने में उसने इस केन्द्र के निर्माण को हरी झंडी दिखाई थी। समाजवादी पार्टी ने अयोध्या, मथुरा और काशी में हिन्दुओं के धर्मस्थलों के विकास की योजना भी बनाई है। इसके पीछे वह भी पर्यटन को बढ़ावा देने का तर्क दे रही है।

आने वाला चुनाव कांग्रेस के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। वह अपनी गिरती साख को वहां बचाने की कोशिश कर रही है। वह पिछली दफे यहां 1989 में सत्ता में थी। बसपा भी लोकसभा के चुनाव में लगे झटके से उबरने की कोशिश कर रही है। उसमें उसे एक भी सीट नहीं मिल सकी थी। समाजवादी पार्टी की सरकार के खिलाफ लोगों के एक हिस्से में असंतोष है और सपा खुद पारिवारिक कलह की शिकार है। इसका लाभ उठाकर बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही है।

भारतीय जनता पार्टी दावा कर रही है कि राम मंदिर आगामी चुनाव में कोई मुद्दा नहीं होगा, लेकिन प्रस्तावित रामायण म्यूजियम उन लोगों को संतुष्ट करने की कोशिश है, जो जल्द से जल्द विवादित स्थल पर रामलला का मंदिर बनवाना चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी चुनाव मे राम को मुद्दा बनाएगी, इसका संकेत उस समय भी मिला, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लखनऊ दशहरा के दिन रामलीला उत्सव में अपने भाषण का समापन जय श्री राम के नारे के साथ किया।

विपक्ष भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगा रहा है कि वह राम के नाम का राजनैतिक इस्तेमाल कर रही है, लेकिन वह बहुत चालाकी से इसे पर्यटन को बढ़ावा देने का नाम दे रही है। केन्द्र सरकार अंतरराष्ट्रीय रामायण काॅन्फ्रेंस का प्रस्ताव भी कर रही है, जिसमें 12 देशों के लोग हिस्सा लेंगे।

इसका विस्तार करने के लिए संस्कृति मंत्रालय ने बुद्ध सर्किट, रामायण सर्किट और कृष्ण सर्किट की पहचान की है। रामायण सर्किट के लिए 225 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और उसमें से अकेले रामायण म्यूजियम के लिए 151 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। चित्रकूट के लिए 43 करोड़ रुपये और फूलपुर के श्रींगारपुर के लिए 23 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। ये तीनों स्थान उत्तर प्रदेश में है। भारतीय जनता पार्टी को लग रहा है कि इससे मंदिरवादी समर्थकों का उत्साह बढे़गा।

इस म्यूजियम के प्रस्ताव के बाद राममंदिर के निर्माण की मांग और तेज हो गई है। केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और भाजपा सांसद विनय कटियार राम मंदिर के निर्माण की मांग रहे हैं। सुश्री भारती कह रही हैं कि इस बात को लेकर विवाद नहीं है कि वहां राम पैदा हुए थे या नहीं, बल्कि इस बात को लेकर विवाद है िकवह जमीन वक्फ बोर्ड की है या रामजन्मभूमि न्यास की।

सभी पार्टियां अपने अपने तरीके से प्रतिक्रिया कर रही हैं और इस तरह राम चुनाव का एक केन्द्रीय मसला बनते जा रहे हैं। (संवाद)