इसलिए राजनाथ सिंह के इस बयान का क्या निहितार्थ है। इसका कोई मतलब नहीं है, सिर्फ उद्देश्य यह है कि देश के राजनैतिक तापमान को बढ़ाया जाय और उसका लाभ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में होने वाले चुनाव में उठाया जाय। उधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभी जगह जाकर सफल सर्जिकल स्ट्राइक का गाना गा रहे हैं और इधर राजनाथ सिंह सीमा को सील करने की बात कर रहे हैं।
गृहमंत्री देश को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं उनकी सरकार पिछली सभी सरकारों से अलग है और इस समय देश सबसे ज्यादा सुरक्षित है।
दरअसल सीमा को सील कर देने का विचार पहली बार उस समय आया था, जब पंजाब आतंकवाद से ग्रस्त था। उस समय इन्दिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं और उसी समय सीमा को मजबूत करने का विचार आया था। उस समय आतंकवादी सीमा पार जाते थे। वहां जाकर प्रशिक्षण पाते थे और लौटकर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देते थे। सैकड़ों बीएसएफ पिकेट्स तैयार किए गए थे और जहां संभव हो, सीमा पर कंटीले तार लगा दिए गए थे। नदी ही जहां सीमा थी, वहां तार नहीं लगाए जा सकते थे। इसलिए वहां के लिए कुछ अन्य इंतजाम किए गए थे।
उसके बाद सभी सरकारों ने पाकिस्तान से लगी सीमा को मजबूत करने के लिए कुछ न कुछ उपाय किए हैं। ऊंची दीवार खड़ी कर सीमा को सील करने का विचार भी जबतब आता रहा है। अनेक विशेषज्ञों ने सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया, लेकिन दीवार खड़ी करने का विचार व्यावहारिक नहीं लगा। बंद दीवार से बेहतर तरीका जवानों द्वारा पहरेदारी और कंटीले तारों की फेंसिंग ही लगी।
जम्मू और कश्मीर में तो दीवार खड़ी करना ही असभंव है, क्योंकि वहां तो बर्फ से ढके पहाड़ हैं, जो गर्मियों मे पिघल भी जाते हैं। लगता है कि राजनाथ सिंह जम्मू और कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में ही दीवार खड़ी करने की बात कर रहे हैं, क्योंकि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद वे उन्हीं इलाकों के दौरे पर थे। यही कारण है कि राजनाथ सिंह का वह बयान राजनैतिक है न कि सामरिक।
कश्मीर क्षेत्र में पाकिस्तान से आने वाले रास्ते बर्फ से ढके होते हैं और दो या तीन महीने से वे बर्फ से मुक्त रहते हैं। उसी समय आतंकवादियों का भारत में घुसपैठ होता है। सरकार को इस प्रकार की घुसपैठ को रोकने के लिए उच्च टेक्नालाॅजी का इस्तेमाल करना चाहिए न कि उत्तेजना फैलाने वाले झूठे बयानों का। झूठे बयानो से देश कहीं नहीं पहुंचने वाला है।
कश्मीर की सीमा के विशेष रूप को देखते हुए ही अटलबिहारी वाजपेयी ने सुझाव दिया था कि दोनों देशों के लोगों को एक दूसरे इलाके में जाने की खुली इजाजत होनी चाहिए और उस आवाजाही की कड़ी निगरानी की जानी चाहिए।
मनमोहन सिंह ने भी उस विचार को आगे बढ़ाया। यदि मुशर्रफ कुछ और दिनों तक सत्ता में रहते, तो उस विचार पर कुछ काम भी होता, लेकिन उनके हटने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ सका।
लगता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह जानकारी थी कि दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर करने का वह मौका बहुत कम समय से छूट गया और उसी को पूरा करने के लिए वे पाकिस्तान के दौरे पर बिना किसी पूर्व तय कार्यक्रम के गए थे। लेकिन पाकिस्तान उस रास्ते पर आगे नहीं बढ़ा, क्योंकि वहां की सेना भारत विरोधी है। (संवाद)
भारत-पाक सीमा को पूरी तरह सील करना असंभव
राजनैतिक है गृहमंत्री का बयान
देवसागर सिंह - 2016-10-24 12:42
भारत और पाकिस्तान की सीमा 3323 किलोमीटर है और इसके अलावा 740 किलोमीटर नियंत्रण रेखा है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों घोषणा की कि सीमा और नियंत्रण रेखा को पूरी तरह सील कर दिया जाएगा, ताकि देश में आतंकवादी घुसपैठ नहीं कर सकें। राजनाथ सिंह का यह बयान सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आया है। जाहिर है इस बयान के राजनैतिक निहितार्थ हैं। वैसे अब तक की सभी सरकारों ने इस तरह की घोषणाएं समय समय पर की हैं।