मुलायम सिंह यादव एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं। अनेक किस्म के उठापटक से वे गुजर चुके हैं, लेकिन परिवार का इस तरह का झगड़ा पहली बार हो रहा है और इसके बीच लग रहा है कि पार्टी और परिवार के ऊपर वे अपनी पकड़ खोते जा रहे हैं। पार्टी को एक साथ रखने की उनकी क्षमता पर भी सवाल खड़ा हो रहा है।

उनके भाई शिवपाल सिंह को अखिलेश ने अपने मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया। एक महीने में दूसरी बार अखिलेश्ज्ञ ने अपने चाचा के खिलाफ कार्रवाई की। पहले तो उनके अधिकांश मंत्रालय छीन लिए गए थे। पिता के बीच बचाव के बाद वे वापस भी कर दिए गए। लेकिन दूसरी बार तो उन्होंने अपने चाचा को मंत्रिमंडल से ही बर्खास्त कर दिया।

उसके बाद पिता और पुत्र के बीच और भी झगड़ा बढ़ा है। कहते हैं कि मुलायम ने कोशिश की थी कि शिवपाल को अखिलेश मंत्रिमंडल में वापस ले लें, लेकिन अभी तक उन्हें वापस नहीं लिया गया है और शिवपाल ने भी वापसी की उम्मीद त्याग दी है। इसके साथ ही दोनों पक्षों के बीच सुलह की कोई संभावना अब समाप्त हो गई है।

अखिलेश को अपने पिता के प्रभाव से बाहर हो जाना चाहिए। इसमें विलंब करने पर उनको ही नुकसान होगा। अपनी सरकार के पहले तीन साल तक को अखिलेश की वही स्थिति रही, जो यूपीए सरकार मे मनमोहन सिंह की हुआ करती थी। वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जरूर थे, लेकिन सत्ता उनके हाथ में नहीं थी। असली सत्ता उनके पिता के पास थी। पिता के अलावा कुछ अन्य वरिष्ठ पार्टी नेताओं पर भी अखिलेश की नहीं चलती थी। उल्टे अखिलेश को उनकी इच्छा के अनुसार काम करना पड़ता था।

अखिलेश अब अपने तरीके से राजनीति करना चाह रहे हैं, लेकिन पुराने तरीके से राजनीति करने वाले लोगों को उससे परेशानी हो रही है। उदाहरण के लिए पुराने तरीके से राजनीति करने वाले लोग जाति, संप्रदाय की राजनीति के साथ साथ बाहुबल की राजनीति पर भी भरोसा करते हैं, लेकिन अखिलेश नये किस्म की राजनीति की शुरुआत करना चाहते हैं।

अखिलेश की सोच आधुनिक है। वह मंडल युग से बाहर निकलना चाहते हैं। वे अपने आपको एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, जो विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इसके कारण समाजवादी पार्टी में दो पीढ़ियों के बीच में संघर्ष छिड़ गया है।

अखिलेश को अपने रास्ते पर आगे बढ़ता जाना चाहिए। इसके कारण उन्हें इस समय परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। हो सकता है आगामी विघानसभा चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिले, लेकिन आगामी लोकसभा आमचुनाव में वे अपने आपको बेहतर स्थिति में पा सकते हैं। इसलिए अच्छा हो कि वे शिवपाल और अमर सिंह जैसे तत्वों से अपने आपको मुक्त कर लें।

अखिलेश आगामी चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे या नहीं, इसको लेकर मुलायम सिह यादव अपने बयान लगातार बदल रहे हैं। उन्होंने पहले कहा था कि अगले मुख्यमंत्री के बारे में फैसला चुनाव के बाद ही होगा। उसका मतलब था कि अखिलेश को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। लेकिन कुछ ही समय बाद उनकी ओर से बयान आने लगा कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश ही होंगे। पर 24 घंटे के अंदर उनका बयान फिर बदल गया और उन्होंने कहा कि चुनाव के नतीजे आने के बाद ही निर्णय किया जाएगा कि मुख्यमंत्री कौन हो।

मुलायम द्वारा बार बार बयान बदलना यह बताता है कि पार्टी पर से उनकी पकड़ कमजोर होती जा रही है और अखिलेश उनपर भारी पड़ रहे हैं। इसके कारण ही वे यह निर्णय नहीं कर पा रहे हैं कि अखिलेश को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया जाय या नहीं। (संवाद)