यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि केरल में पार्टी के दोनों गुटों के नेता राहुल की योजना को विफल बनाने के लिए कटिबद्ध दिखाई पड़ रहे हैं। एक गुट का नेतृत्व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चाडी कर रहे हैं, तो दूसरे गुट का नेतृत्व विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेनिंथाला के पास है।
अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने प्रदेश में राजनैतिक मामलों की एक समिति बनाई है। उम्मीद की जा रही थी कि इस समिति में वे लोग होंगे, जो राहुल गांधी करीबी हैं, लेकिन समिति के गठन के बाद साफ दिखाई दे रहा है कि इसमें रमेश चेनिंथाला और ओमन चांडी के लोग ही भरे हुए हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि दोनों गुटों के नेता अभी भी पार्टी पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। राहुल गांधी यह सब कसरत पार्टी पर उनकी पकड़ को कमजोर करने के लिए कर रहे हैं, लेकिन राहुल के प्रयास फिलहाल तो सफल होते नहीं दिखाई दे रहे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष वी एम सुधीरन को उनके पद से हटाने के लिए दोनों गुट राहुल गांधी पद दबाव बना रहे थे, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हुए और श्री गांधी ने साफ कह दिया कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर सुधीरन ही रहेगे। लेकिन सुधीरन पार्टी उच्च कमान की कार्ययोजना को लागू करने में सफल नहीं हो पाए हैं।
राहुल गांधी की समस्या यही है। अब तक तो उन्हें स्पष्ट हो गया होगा कि सुधीरन उनकी कार्ययोजना को लागू नहीं कर सकते और राहुल उन्हें अपने पद से नहीं हटाना चाहते। यदि उन्होंने सुधीरन को अध्यक्ष पद से हटा दिया, तो माना जाएगा कि राहुल ने केरल में अपनी हार स्वीकार कर ली।
पार्टी पर किसकी पकड़ मजबूत होती है, इसकी लड़ाई आने वाले दिनों में उस समय देखी जाएगी जब जिला कांग्रेस कमिटी के अध्यक्षो की नियुक्ति की जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि राहुल गांधी जिला अध्यक्षों की जो सूची तैयार करेंगे, उसमें उनके और सुधीरन के नजदीक रहने वाले कांग्रेसियों की संख्या ज्यादा होगी।
चांडी और चेनिंथाला को इसका भय सता रहा है। इसलिए दोनों ने अपने अपने समर्थको की सूची बना रखी है और कोशिश कर रहे हैं कि जिला अध्यक्षों के पदों का आपस में बंटवारा कर लें और इस तरह पार्टी पर अपनी मजबूत पकड़ बरकरार रखें।
लेकिन इस बार दोनों का काम पहले जैसा आसान नहीं होगा। कुछ युवा कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को चेनिंथाला और चांडी के इन इरादों से अवगत करा दिया है। उन्होंन राहुल से शिकायत की है कि विधानसभा चुनाव में हारे अपने अपने समर्थकों को ये दोनों कांगेस जिला अध्यक्ष बनाने को आतुर हैं।
दोनों की योजना बहुज स्पष्ट है। दोनों चाहते हैं कि राहुल गांधी पर दबाव बनाकर वे अपने अपने लोगों को कांग्रेस के जिला अध्यक्ष के पदों पर बैठा दें और इस तरह वे राहुल की योजना को पराजित कर दें।
3 नवंबर को प्रदेश कांग्रेस के राजनैतिक मामलों की समिति की बैठक होने वाली है। उसमें पता चलेगा कि राहुल ने कैसी सूची बना रखी है। (संवाद)
क्या राहुल गांधी केरल में सफल हो पाएंगे?
दोनों गुट उनकी योजना को विफल करने को कटिबद्ध हैं
पी श्रीकुमारन - 2016-11-01 11:40
तिरुअनंतपुरमः क्या कांग्रेस उपाध्यक्ष केरल में अपनी इच्छा के अनुसार पार्टी को चला पाएंगे? उन्होंने दक्षिण के इस प्रांत के लिए कुछ योजनाएं बना रखी हैं। क्या वे उन योजनाओं को अमली जामा पहना पाएंगे? यह सवाल प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं और कार्यकत्र्ताओं के दिमाग में तैर रहा है।