इस चुनाव के नतीजे दुनिया भर की राजनीति और पूरे विश्व की सुरक्षा पर असर डालने वाले हैं। अमेरिका की लोकतांत्रिक प्रणाली के भविष्य के लिए भी यह काफी महत्वपूर्ण है। डोलाल्ड ट्रंप के कारण यह चुनाव बहुत ही दिलचस्प हो गया है। ट्रंप ने रिपब्लिकन परंपरा को तोड़ते हुए बहुत ही प्रतिक्रियावादी रूप अख्तियार कर रखा है। उन्होंने वैसे कार्यक्रम पेश किए हैं, जिनसे अमेरिका और पीछे जाएगा। वे अमेरिका को महान बनाने का दंभ भरते हैं, लेकिन उनके कार्यक्रमों से उसकी महानता को धब्बा लगेगा।
अमेरिका पहले से ही ज्वालामुखी पर बैठा हुआ है। अपने कार्यकाल में ओबामा अमेरिका में अलग अलग समुदायों में दिख रहे विभाजन को समाप्त करने या कम करने में सफल नहीं हो सके हैं। ओबामा भले ही देश के राष्ट्रपति रहे हों, लेकिन अमेरिकी संसद के दोनों सदनो में बहुमत उनके विरोधी रिपब्लिक पार्टी का ही था। इसलिए उनके अनेक प्रयास विफल हो गए। उन्होंने विभाजन दूर करने के लिए अनेक कानून बनाने चाहे, लेकिन सदन मे उनकी पार्टी के अल्पमत में होने के कारण उनके प्रयास सफल नहीं हो सके।
हिलेरी क्लिंटन की स्थिति बहुत बेहतर थी, लेकिन अब मुकाबला कड़ा हो गया है। इसका कारण यह है कि युवाओं में उनकी वह पकड़ नहीं है, जो उनकी पार्टी मे उनके प्रतिद्वंद्वी सेंडर्स की थी। ईमेल लीक होने से पता चलता है कि हिलेरी क्लिंटन ने अपनी पार्टी की उम्मीदवारी पाने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया था, इसलिए सेंडर्स के समर्थक उनसे खफा भी हैं। हिलेरी के लिए अच्छी बात यह है कि खुद सेंडर्स उनके लिए प्रचार कर रहे हैं और डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिका के गरीबों और मजदूरों के लिए खतरा बता रहे हैं। वे कह रहे हैं कि हिलेरी क्लिंटन की जीत के बाद उनकी पार्टी के जनोन्मुख कार्यक्रमों को लागू करने में आसानी होगी।
सच यह है कि चुनाव प्रचार के अंतिम चरणों में डेमोक्रेटिक पार्टी के वाममार्गी और केन्द्रवादी क्लिंटन की जीत को सुनिश्चित करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं, हालांकि क्लिंटन से वे खुश भी नहीं हैं। उन्होंने अब चुनाव प्रचार को अपने नियंत्रण में ले लिया है। राष्ट्रपति ओबामा, उनकी पत्नी मिशिल ओबामा और बर्नी सैंडर्स ने चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाल रखा है। वे नेता संसद के दोनों सदनों में अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुत सुनिश्चित करने के लिए भी एड़ी चोटी का पसीना एक कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि राष्ट्रपति पद पर जीत के साथ साथ संसद मे भी बहुमत होना बहुत जरूरी है, तभी पार्टी के कार्यक्रम आसानी से लागू किए जा सकते हैं।
चुनाव में अनिवासी भारतीयों को लुभाने के लिए डोलाल्ड ट्रंप हिन्दू समर्थक बयान दे रहे हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि उनके राष्ट्रपति बनने से भारत को भी नुकसान होगा। इसका कारण यह है कि अपने विदेशी नीति से संबंधित बयानों में ट्रंप निरंतरता नहंीं दिखा रहे हैं। कभी वे कुछ बोलते हैं और कभी कुछ। उनके सलाहकार धुर दक्षिणपंथी हैं और उनकी सलाह पर वे ऐसी नीतियां अपना सकते हैं, जिनसे वहां रह रहे अल्पसंख्यकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। अनिवासी भारतीय भी वहां अल्पसंख्यक ही हैं। उनकी व्यापार नीतियां भी भारत के खिलाफ जा सकती हैं। इसलिए भारत और भारतीयों को ट्रपर को लेकर कोई भ्रम नहीं पाला चाहिए। (संवाद)
डोनाल्ड ट्रंप मानवता के लिए खतरा
इसे लेकर भारत को कोई भ्रम नहीं पालना चाहिए
नित्य चक्रबर्ती - 2016-11-05 09:13
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 8 नवंबर को मतदान होंगे। यह चुनाव अमेरिकी इतिहास का सबसे घिनौने चुनाव प्रचार का साक्षी रहा है। मतदाताओं में 10 लाख से भी ज्यादा लोग भारतीय मूल के हैं। चुनाव में मुख्य मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच है, हालांकि दो अन्य उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं।