किसी के चाहने या न चाहने से क्या होता है? आखिरकार वहां जीत ट्रंप की ही हुई। उन्होंने अपनी जीत के लिए बहुत अच्छी रणनीति बना रखी थी। वे राजनीति में नये हैं, लेकिन उन्होंने यह साबित कर दिया कि वे एक अच्छे राजनीतिज्ञ हैं। वे व्यवस्था के खिलाफ बोल रहे थे और उनके इस व्यवस्था विरोध ने ही उनको जीत दिलवा दी। उन्होंने अपना ध्यान श्वेत लोगों और खासकर बेरोजगारी का सामना कर रहे लोगों पर केन्द्रित किया।

उनकी जीत से उस परंपरा को भी बढ़ावा मिला है कि 8 साल के बाद जीतने वाली पार्टी बदल जाती है, हालांकि यह परंपरा बहुत पुरानी नहीं है। पिछले तीन बार से ही ऐसा हो रहा है। 18 महीने पहले अनेक लोग उनके राष्ट्रपति बनने की महत्वाकांक्षा का मजाक उड़ा रहे थे, लेकिन वे सभी के सभी गलत साबित हुए और ट्रंप राष्ट्रपति बनने में सफल हुए।

अन्य देशों की तरह भारत में भी लोग उनकी आलोचना कर रहे थे। इसका कारण उनके द्वारा महिलाओं और मुसलमानों के खिलाफ दिए गए बयान थे। इसके अलावा वे अप्रवासियों के खिलाफ भी बोला करते थे।

अभी यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है कि भारत के बारे में उनकी नीति क्या होगी। भारत के नीति निर्माताओं का उनके साथ कोई बातचीत नहीं रही है। वे मुंबई आए थे और ट्रंप टावर का उद्घाटन किया था। लेकिन इसके अलावा उनके बारे में भारत के लोग कुछ नहीं जानते। कुछ लोग कहते हैं कि वे चुनाव जीतने के लिए भी कुछ अनाप शनाप बोलते थे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे एक बदले हुए व्यक्ति के रूप में नजर आएंगे।

वैसे भारत के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि उनके कार्यकाल में अमेरिका का भारत से रिश्ता बेहतर होगा। इसका एक कारण यह है कि वहां रह रहे भारतीय मूल के लोग आमतौर पर इस चुनाव मे ट्रंप का ही साथ दे रहे थे। यह दूसरी बात है कि वे भारत के काॅल सेंटर्स का मजाक उड़ाया करते थे और रोजगार के आउटसोर्सिंग के खिलाफ बोला करते थे।

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि वे चीन के खिलाफ भारत को प्रमोट करेंगे। ऐसा वे एशिया में शक्ति संतुलन को बढ़ावा देने के लिए करेंगे। उन्होंने एक बार पाकिस्तान को दुनिया का सबसे ज्यादा खतरनाक देश कहा था। हो सकता है अब वे पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा दी जा रही मदद में कटौती करें। उन्होंने भारत और अन्य देशों से अद्र्ध परमाणु देश पाकिस्तान से पैदा हुई समस्या को हल करने के लिए मदद की मांग भी की थी।

भारत की कुछ चिंताएं हैं, जिन पर ट्रंप को ध्यान देना होगा। एक चिंता तो अमेरिका के आईटी सेक्टर में काम करने के लिए गए भारतीयों को होनी वाली वीजा समस्या से संबंधित है। अमेरिका मे करीब 32 लाख भारतीय रह रहे हैं और वहां जाने वाले भारतीयों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। अनेक लोग वहां पढ़ने के लिए जाते हैं। यदि वीजा के नियम को कठोर कर दिए गए, तो भारत के लोगों को परेशानी होगी।

ट्रंप ने एक बार कहा था कि विदेशी व्यापार को अमेरिका के खिलाफ किया जाता रहा है। उनका यह रवैया भारत के खिलाफ जाएगा। उन्होंने जीत के बाद कहा है कि वे उनके साथ होंगे, जो उन्हें अपने साथ लेंगे। इस समय भारत अमेरिका के बहुत नजदीक है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ट्रंप के कार्यकाल में यह नजदीकी और बढ़ेगी। (संवाद)