सहकारी संघवाद की धज्जियां पिछले दिनों उस समय भोपाल में उड़ी, जब केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन भोपाल में थे। वहां भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सिंह चौहान सरकार है।

भोपाल में केरल के मुख्यमंत्री को एक समारोह में शामिल होने से रोक दिया गया। इसकी कड़े शब्दों में निंदा की गई है और इसे केरल के मुख्यमंत्री का अपमान कहा जा रहा है।

चूंकि मध्यप्रदेश की पुलिस ने केरल के मुख्यमंत्री की सुरक्षा सुनिश्चित करने से इनकार कर दिया, इसलिए उनके पास समारोह में शिरकत किए बिना वापस आने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।

इस घटना से भारतीय जनता पार्टी के लोगों के अलावा केरल के अन्य सारे लोग आहत हैं। इस घटना की निंदा न केवल सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के नेता कर रहे हैं, बल्कि विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे के नेता भी इसकी निंदा कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष वीएम सुधीरन ने इस मध्य प्रदेश सरकार द्वारा केरल का किया गया अपमान बताया है, तो पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता ओमन चांडी ने भी इसकी तीखे शब्दों में निंदा की है।

सीपीएम के प्रदेश सचिव के बालाकृष्णन ने इसके लिए भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पर जबर्दस्त हमला किया है। उन्होंने कहा कि यह घटना मध्यप्रदेश सरकार और भाजपा के केन्द्रीय नेताओं की पूरी जानकारी में हुई है और इससे पता चलता है कि आरएसएस और भाजपा के लोग कितने असहिष्णु हैं।

यह सच है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वहां के पुलिस महानिदेशक ने इसके लिए केरल के मुख्यमंत्री से माफी मांगी है, लेकिन इसके कारण जो नुकसान हो गया है, उसकी भरपाई नहीं हो सकती।

भोपाल में जो हुआ, वह गलत तो था ही। उसके बाद केरल के भारतीय जनता पार्टी के नेता जो कर रहे हैं, वह तो और भी आपत्तिजनक है। वैसा करके वे अपने आपको मजाक का पात्र बना रहे हैं। वे उस घटना को सही बता रहे हैं। उस घटना को वाजिब बताकर वे केरल में अपने आपकों राजनीति के हाशिए पर और भी आगे धकेल रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदेश की राजनीति के हाशिए पर है। भोपाल मे घटी उस घटना के बाद उनकी स्थिति लोगों के बीच और भी कमजोर हो जाएगी।

इस घटना को केन्द्र के केरल विरोधी रवैये के रूप में देक्षा जा रहा है। कुछ समय पहले केरल के मुख्यमंत्री ने एक शिष्टमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया। भोपाल में उनके साथ किए गए व्यहार को उस अपमान की अलग कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।

केन्द्र ने केरल के साथ और भी अन्याय किया है। उसने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत केरल को दिए जाने वाले अनाज की मात्रा में कटौती कर दी है।

इसके साथ साथ केन्द्र केरल में आॅल इंडिया इंस्टीच्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज का केन्द्र निकट भविष्य में खुलने की संभावना से इनकार कर दिया है। इनकार करने के बाद केन्द्र उलटे राज्य सरकार पर आरोप लगा रहा है कि वह इंस्टीच्यूट के लिए सही जगह केन्द्र को नहीं दे पा रही है। लेकिन सच्चाई यह है कि पूर्ववर्ती चांडी सरकार ने उस संस्थान के लिए चार स्थानों का चयन किया है और केन्द्र की टीम उन स्थानों का निरीक्षण तक नहीं कर पाई है। बिना निरीक्षण किए ही वह कह रही है कि राज्य सरकार उसे उचित जगह नहीं मुहैया करवा पा रही है।(संवाद)