दिल्ली में कुल 272 नगर निगम की सीटें हैं। उनमें भारतीय जनता पार्टी को 2012 में विशाल बहुमत मिला था। कांग्रेस की करारी हार हुई थी और बहुजन समाज पार्टी तीसरे स्थान पर थी।
पर इस साल आम आदमी पार्टी एक बड़ी ताकत के रूप में उभरी है। इसलिए पिछले चुनाव से इस बार का चुनाव बिल्कुल अलग रहने वाला है। इस समय मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी में ही होने वाला है।
दिल्ली मूें बिहारी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं की संख्या बहुत ज्यादा है। उनका स्थानीय नेतृत्व तो अभी तक नहीं उभरा है, लेकिन हारजीत में उनका योगदान बहुत ज्यादा रहता है। शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश का समझा जाता था और उसका फायदा कांग्रेस को मिलता था। लेकिन बाद में शीला दीक्षित की वह पहचान कमजोर होती गई, क्योंकि वे बीच बीच में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के खिलाफ टिप्पणियां कर देती थीं। इससे लोगों में उनकी उत्तर प्रदेश की पहचान को लेकर भ्रम पैदा हो गया और कांग्रेस को उसका नुकसान उठाना पड़ा।
भारतीय जनता पार्टी ने उसी बिहारी वोटों को ध्यान में रखते हुए मनोज तिवारी को दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष बनाया है। इसके पहले बनाए गए अध्यक्ष भी उत्तर प्रदेश के ही थे, लेकिन उनसे भाजपा को फायदा नहीं हुआ। वे अपने आपको बिहार और पूर्वांचल के मतदाताओं से जोड़ नहीं पाए।
लेकिन मनोज तिवारी बिहार के हैं। भोजपुरी गायक के रूप में वे एक जाने पहचाने शख्स हैं। उन्होंने भोजपुरी फिल्मों में रोल भी किया है। दिल्ली की पूर्वाेत्तर लोकसभा क्षेत्र का वह संसद में प्रतिनिधित्व भी करते हैं।ं
सवाल उठता है कि क्या मनोज तिवारी भारतीय जनता पार्टी की नाव को डूबने से बचा सकेंगे? पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 70 में से सिर्फ 3 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी। आम आदमी पार्टी ने 67 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी और कांग्रेस को एक सीट भी नहीं मिल पाई थी।
इतना तो तय है कि अब आम आदमी पार्टी को उतनी बड़ी सफलता नहीं मिल सकती, लेकिन अभी भी यह प्रदेश की सबसे बड़ी ताकत है। इसका कारण यह है कि केजरीवाल सरकार ने बिजली और पानी से संबंधित अपने वायदों को पूरा किया। भ्रष्टाचार के मामले में भी केजरीवाल सरकार ने बहुत हद तक सफलता पाई है। बिजली के दफ्तरों को भ्रष्टाचार से लगभग मुक्त कर दिया गया है। उसी तरह जल बोर्ड के दफ्तर से भी दलाल गायब हो गए हैं।
परिवहन विभाग में भी भ्रष्टाचार बहुत कम हो गया है। एक समय था कि दलाल खुले आम परिवहन विभाग के दफ्तरों पर चक्कर लगाया करते थे और बिना घूस दिए हुए कोई अपना ड्राइविंग लाइसेंस भी शायद ही बना पाता होगा। लेकिन अब काफी फर्क पड़ा है।
जिला कार्यालयों में भी भ्रष्टाचार में कमी आई है। ट्रैफिक पुलिस के भ्रष्टाचार से आउटो वाले परेशान रहते थे। वे भी अब राहत की सांस ले रहे हैं।
तीन मुख्य वायदों के अलावा केजरीवाल अन्य मामले में ज्यादा सफल नहीं हो पाए हैं। लेकिन इसके लिए वे केन्द्र सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं, जो उन्हें काम करने नहीं देती।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी काफी जोश खरोश में है। वह केन्द्र में सत्ता में है और उसके बाद संसाधनों की कमी नहीं है। उनके पास प्रतिबद्ध कार्यकत्र्ता भी हैं। इसलिए इस बार आम आदमी पार्टी का काम आसान नहीं है।
जहां तक कांग्रेस की बात है, तो अभी भी उसके अंदर जड़ता छाई हुई है। अजय माकन कांग्रेसियों का हौसला बढ़ाने में सफल नहीं हो पाए हैं और जो कद दिल्ली कांग्रेस में शीला दीक्षित ने बना लिया था, उससे वे बहुत नीचे हैं।
विमुद्रीकरण का असर दिल्ली के चुनाव पर पड़े बिना नहीं रह सकता। केजरीवाल विमुद्रीकरण का शुरू से ही विरोध कर रहे हैं। विरोध कांग्रेस भी कर रही है। दूसरी तरफ भाजपा भी इसी को मुख्य मसला बनाकर चुनाव लड़ने वाली है। विमुद्रीकरण के कारण लोगों की परेशानी यदि चुनाव तक बनी रही, तो भाजपा को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है और तब आम आदमी पार्टी का काम बहुत आसान हो जाएगा।(संवाद)
        
            
    
    
    
    
            
    दिल्ली नगर निगम के चुनाव के लिए पार्टियां तैयार
क्या मनोज तिवारी भाजपा की नाव पार लगा पाएंगे?
        
        
              उपेन्द्र प्रसाद                 -                          2016-12-18 03:15
                                                
            
                                            नई दिल्लीः अगले साल के अप्रैल महीने में दिल्ली नगर निगम के चुनाव होने हैं। इस समय दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में बांट कर रखा गया है और तीनों पर ही भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।