पिछले दिनों जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की गई और कांग्रेस जिला कमिटियों का गठन किया गया। यह सब केन्द्रीय आलाकमान के द्वारा ही किया गया। इन नियुक्तियों में देख जा सकता है कि चांडी का महत्व कितना कम हो गया है। चेनिंथाला गुट के सात लोगांे को जिला कांग्रेेस का अध्यक्ष बनाया गया, जबकि चांडी गुट के पांच लोगों को ही इसके लिए चुना गया। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष वी एम सुधीरन के दो पसंदीदा व्यक्तियों को अध्यक्ष बनाया गया।
केरल प्रदेश कांग्रेस में चांडी गुट को सबसे मजबूत गुट माना जाता रहा है। संगठन में नियुक्तियों का मामला हो या विधानसभा व लोकसभा के उम्मीदवारों के चयन का मामला हो, पिछले कुछ सालों से चांडी की ही चलती रही है, लेकिन इस बार जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों में उनकी नहीं चली और उन्हे मात्र 5 जिला अध्यक्षो से संतुष्ट रहना पड़ा है। न केवल चेनिंथाला उनसे आगे निकल गए हैं, बल्कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने भी अब अपने आपको मजबूत कर लिया है। चर्चा तो यह भी होने लगी है कि अब एक सुधीरन गुट भी अस्तित्व में आ गया है।
यही कारण है कि चांडी आजकल परेशान हैं। उन्होंने अपनी परेशानियों और गुस्से को छिपाया भी नहीं है। चांडी से जुड़े केरल के तीन नेताओ ने कांग्रेस के केरल प्रभारी मुकुल वासनिक से मुलाकात की और उन्हें अपनी नाखुशी से अवगत करा दिया।
चांडी चाहते थे कि कोल्लम और इडुक्की जिले में उनकी पसंद के कांग्रेसियों को जिला अध्यक्ष बनाया जाय। इसके लिए उन्होंने पूरा जोर लगा दिया था। पर उनकी नहीं सुनी गई और उनके लोगों को इन दोनों जिलों का अध्यक्ष नहीं बनाया गया। इसके कारण चांडी सबसे ज्यादा आहत हैं। मुकुल वासनिक को चांडी ने अपने लोगों द्वारा इस तथ्य से अवगत करा दिया है।
चांडी ग्रुप चाहता है कि प्रदेश कांग्रेस कमिटी और जिला कमिटियों का पूरी तरह से पुनर्गठन हो। यह गुट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुधीरन पर भी हमला करता रहा है और उन्हें हटाना चाहता है। सुधीरन को कांग्रेस आलाकमान ने नियुक्त किया है और वे चांडी और रमेश चेनिंथाला गुटों का निशाना बनते रहते हैं। दोनो ही गुट उन्हें हटाना चाहता है।
लेकिन कांग्रेस आलाकमान सुधीरन के मामले मे चांडी और चेनिंथाला गुट के दबाव में नहीं आ रहा है। उलटे उसने दो जिलों मंे सुधीरन की पसंद के व्यक्ति को अध्यक्ष बना दिया है। और इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस में यह चर्चा छिड़ गई है कि अब एक तीसरे गुट का उदय हो गया है और उसका नाम है सुधीरन गुट।
इसमें कोई शक नहीं है कि रमेश चेनिंथाला गुट को इस पुनर्गठन में फायदा हुआ है। रमेश चेनिंथाला खुद विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं और संगठन के अंदर उनको महत्व मिलने का मतलब है कि कांग्रेस आलाकमान ने अभी यह मान लिया है कि आने वाले चुनाव में उन्हें ही मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जा सकता है और यदि पेश नहीं भी किया गया, तो उन्हें ही सरकार बनने पर मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
लेकिन चांडी गुट के नेता अभी भी पूरी तरह निराश नहीं हुए हैं। उनका कहना है कि चांडी के राजनैतिक अंत की बात अभी नहीं की जा सकती। वे यह मानते हैं कि इस समय चांडी का कद घटा है, लेकिन अभी भी वे मैदान से बाहर नहीं हुए हैं और उन्हें जब कभी भी पहला मौका मिलेगा, वे फिर से अपनी पुरानी जगह पर वापस आ जाएंगे।
चांडी के साथ एक और बुरा हुआ है। उनके बाॅडी गार्ड ने सोलर पैनल घोटाले में उनके खिलाफ गवाही दे डाली है। बाॅडीगार्ड ने कहा कि कि जब चांडी मुख्यमंत्री थे, तो वे उनके फोन से सोलर पैनल घोटाले की मुख्य अभियुक्त सरिता नायर से बातचीत किया करते थे।
इससे चांडी का यह दावा गलत साबित हो जाता है कि उन्होंने सरिता नायर के साथ कभी भी फोन पर बातचीत नहीं की। आयोग के सामने पूर्व बाॅडी गार्ड ने बताया है कि सरिता से बातचीत करने के लिए चांडी उसके दो मोबाइल फोनो का ही इस्तेमाल किया करते थे।
पूर्व बाॅडी गार्ड के इस बयान से चांडी की मुसीबतें सोलर पैनल घोटाले में और भी बढ़ सकती है और इसके कारण उनका राजनैतिक भविष्य और भी अनिश्चय भरा हो जाता है।(संवाद)
केरल
जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में मजबूत हुए चेनिंथाला
क्या चांडी का राजनैतिक अंत हो रहा है?
पी श्रीकुमारन - 2016-12-19 11:33
तिरुअनंतपुरमः क्या पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओमन चांडी का राजनैतिक अंत हो रहा है? यह सवाल सिर्फ चांडी के विरोधी ही नहीं, बल्कि उनके समर्थक भी एक दूसरे से पूछ रहे हैं।