भूटान की मुद्रा नू है। आमतौर पर 100 नू 90 रुपये के बराबर होता है। हालांकि आधिकारिक तौर पर 100 नू 100 रुपये के बराबर ही माना गया है। भूटान से लगे उत्तरी बंगाल और असम के इलाके में थोड़ा बहुत व्यापार चल रहा है और व्यापार के चलने में नू की भूमिका प्रमुख हो गई है।
भूटानी पक्ष की अब चांदी हो गई है। पहले की तरह वह अब भी भारत के पुरान 500 और 1000 रुपये के नोट स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन अब 100 रुपये की कीमत 70 से 75 नू की हो गई है। इसके बावजूद भारतीय व्यापारी नई परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए नू स्वीकार कर रहे हैं। वे इस बात के लिए आश्वस्त हैं कि स्थिति सामान्य होने पर वे 100 नू के 100 रुपये प्राप्त कर लेंगे।
जहां तक बांग्लादेश की बात है, तो वहां की मुद्रा टका है और भारतीय बंगाल के लोग पुराने रुपयों को टका में परिवर्तित करा रहे हैं। वे टका का भंडार खड़ा कर रहे हैं और उन्हें विश्वास है कि स्थिति सामान्य होने पर वे अपने टके को रुपये में बदल लेगें। आधिकारिक तौर पर एक टके का एक रुपया होता है। इस समय टके को प्रीमियम मिल रहा है। यानी ज्यादा रुपये से कम टके को खरीदा जा रहा है।
भारत के लोगों ने रुपया बदलवाकर टके का कितना बड़ा भंडार खड़ा कर लिया है, इसके बारे में निश्चित तौर पर कोई जानकारी नहीं है। दोनों देशों में से कोई भी इससे संबंधित आंकड़ा जारी करने को तैयार नहीं है।
भारत के लोगों ने मुद्रा के टर्म मे नुकसान सहा है, जबकि बांग्लादेश के व्यापारियों का नुकसान माल के रूप में हो रहा है। बांग्लादेश के लोगों को अन्य अनेक तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है।
हजारों बांग्लादेशी अपनी गंभीर बीमारियों का इलाज कराने के लिए रोजाना कोलकाता आते हैं। वे चेन्नई और बंगलूर भी जाते हैं। लेकिन 8 नवंबर के बाद उनमें से अनेक भारत में जहां तहां फंस गए हैं और भारी असुविधा का सामना कर रहे हैं। अब बांग्लादेशी भारत इलाज कराने के लिए भी नहीं आ रहे हैं, जिसके कारण भारत के अस्पतालों और नर्सिंग होम के मालिकों को नुकसान हो रहा है।
नेपाल का तो और भी बुरा हाल है। भारत की नोटबंदी का उसके आर्थिक विकास पर असर पड़ रहा है। पहले उम्मीद की जा रही थी कि उसके आर्थिक विकास की वृद्धि ढाई फीसदी होगी। अब सवा दो फीसदी के भी विकास दर के कम हो जाने की आशंका जाहिर की जा रही है।
एक समय था, जब नेपाल की सरकार भारतीय नोटों के चलन को वहां समाप्त करने की सोच रही थी। लेकिन जब नरेन्द्र मोदी पहली बार वहां प्रधानमंत्री बनने के बाद पहुंचे, तो उसने अपना विचार बदल डाला। जब भारत में 500 और 1000 रुपये के नोट बंद किए जाने की घोषणा हुई, तो नेपाल में एक अनुमान के अनुसार व्यापारियों के पास उस समय 90 करोड़ रुपये के वे दो बडे नोट थे। नेपाल के प्रधानमंत्री ने तत्काल भारत सरकार को फोन किया और सरकार ने आश्वासन भी दिया, लेकिन उससे संबंधित किसी आधिकारिक निर्णय की अभी तक कोई घोषणा नहीं की जा सकी है।
उसका एक परिणाम यह हुआ है कि नेपाल में भारतीय पर्यटकों की कमी हो गई है। इस सीजन में करीब 8 लाख भारतीय पर्यटक वहां जाते हैं, लेकिन इस समय वे नोटबंदी के कारण वहां से लगभग नदारत हैं।
नेपाल के लोग भारी संख्या में भारत में काम करते हैं और यहां से वे रुपया कमाकर वहां वापस भेजते हैं, लेकिन उनके बड़े नोटों की मान्यता समाप्त होने से उनके रुपये कागज के रूप में रह गए हैं। इसके कारण भारत में कमाकर अपनी कमाई नेपाल भेज चुके लोग स्तब्ध हैं। (संवाद)
नोटबंदी का असर: पड़ोसी देशों से व्यापार प्रभावित
आशीष बिश्वास - 2016-12-20 11:25
कोलकाताः भारत सरकार के नोटबंदी के फैसले से देश के पड़ोसी देशों के साथ व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कुछ पड़ोसी देशों की अर्थव्यवस्था इससे बुरी तरह प्रभावित हुई है। भारत और नेपाल के बीच का व्यापार तो लगभग कुछ समय के लिए समाप्त ही हो गया है। भूटान भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है।